देश में नई क्रांति लाने वाली ये 5 महिलाएं, जिन्होने पूरे देश को बदल दिया

आज के दौर में महिलाएं सभी बाधाओं को तोड़ते हुए दुनिया में अपना अलग मुकाम बना रही हैं। एक ऐसा दौर था जब महिलाओं को सिर्फ घर के कामकाज सिखाया जाता था और उन्हें पर्दे में रखा जाता था। लेकिन इन महिलाओं ने सभी बाधाओं को तोड़ कर पुरुष के साथ कदस से कदस मिला रही है।

Update: 2021-03-08 09:45 GMT
देश में नई क्रांति लाने वाली ये महिलाएं,

नई दिल्लीः आज के दौर में महिलाएं सभी बाधाओं को तोड़ते हुए दुनिया में अपना अलग मुकाम बना रही हैं। एक ऐसा दौर था जब महिलाओं को सिर्फ घर के कामकाज सिखाया जाता था और उन्हें पर्दे में रखा जाता था। लेकिन इन महिलाओं ने सभी बाधाओं को तोड़ कर पुरुष के साथ कदस से कदस मिला रही है। कुछ ऐसी ही महिलाएं है जिनका संघर्ष हमें प्रेरणा देती है।

मदर टेरेसा देश की सेवा में समर्पितः

गरीबों की सेवा में खुद को समर्पित करने वाली मदर टेरेसा को आखिर कौन नहीं जानता। जब मदर टेरेसा 19 साल की थी तब वे भारत का भ्रमण की। दो साड़ी और एक बल्टी में मदर टेरेसा ने अपनी पूरी जिंदगी गुजार दी। मदर टेरेसा को 1979 में उनके काम के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

मैरी क्यूरी का विज्ञान में सबसे बड़ा योगदानः

विज्ञान के क्षेत्र में इनका सबसे बड़ा योगदान रहा। मैरी क्यूरी ने रेडियो एक्टिविटी की। विज्ञान के क्षेत्र में यह नोबेल पुरस्कार जीतने वाली पहली महिला है। राजधानी वारसा में जन्मी मैरी क्यूरी, जो बाद में फ्रांस चली गईं थी। जहां पर यह प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के सूची में शामिल हुई।

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फ्लोरेंस नाइटिंगेलः

'लेडी विद द लैंप' के रूप में जानी जाती हैं, उन्होंने अपना जीवन दूसरों की मदद करने के लिए समर्पित कर दिया। एक अमीर घरानें में पैदा होने के बावजूद, इन्होने नर्सिंग किया और क्रीमियन युद्ध के दौरान घायल ब्रिटिश सैनिकों की सेवा की।

रानी लक्ष्मीबाई:

अग्रेंजो को छक्का छुड़ाने वाली रानी लक्ष्मीबाई भारते के बहादुर महिलाओं में से एक है। लक्ष्मीबाई ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जमकर लड़ाई लड़ी। एक तरफ अपने पीठ पर बेटे को लिए और दूसरी तरफ हाथ में तलवार लिए हुए अपने जीवन के अंत तक लड़ती गई। उनकी बहादुरी के किस्से भारतीय संस्कृति में एक मिसाल बन गया।

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सावित्रीबाई फुले:

भारत की पहली ऐसी महिला जो लड़कियों के लिए स्कूल खोली। यह अपने पति के साथ मिलकर स्कूल खोली। यह भारत की पहली महिला शिक्षिका भी बनीं। इन्होनें 'अछूत' समझे जाने वाले लोगों के लिए अपने घर में एक कुआँ खोलकर जाति व्यवस्था की लड़ाई लड़ी।

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