कहां से आया क्वारंटाइन शब्द, क्या है इसका मतलब, जानिए यहां
कोरोना वायरस के दुनिया में फैलने के साथ-साथ एक शब्द हर किसी की जुबान पर चढ़ गया। वो शब्द है क्वारंटाइन। लेकिन क्या आप जानते हैं इस शब्द का मतलब
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के दुनिया में फैलने के साथ-साथ एक शब्द हर किसी की जुबान पर चढ़ गया। वो शब्द है क्वारंटाइन (quarantine)। आज हर कोई इसका इस्तेमाल कर रहा है। हालांकि कुछ लोग आज भी इसका अर्थ नहीं जानते हैं, लेकिन ये शब्द आज के समय में सबसे अधिक प्रचलित शब्दों में से एक बन चुका है। लेकिन दोस्तों क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ये शब्द कहां से आया और इसका पहली बार कब इस्तेमाल हुआ था।
एक तरह का प्रतिबंध
सबसे पहले हम आपको इसका अर्थ समझा देते हैं। क्वारंटाइन दरअसल उन लोगों पर लगाए गए उस प्रतिबंध को कहा जाता है जिनसे किसी बीमारी के फैलने का खतरा होता है। ऐसे में लोगों को एक जगह पर बंद कर दिया जाता है और इस दौरान उन्हें किसी से मिलने-जुलने, बाहर निकलने तक की इजाजत तक नहीं होती है।
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इस तरह का प्रतिबंध अकसर उन बीमारियों से ग्रसित मरीजों पर लगाया जाता है जो कम्यूनिकेबल डिजीज होते हैं। इसका अर्थ होता है कि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में होने वाली बीमारी। इसको मेडिकल आइसोलेशन या कॉर्डन सेनिटायर भी कहा जाता है।
जानवरों पर भी होता लागू
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कॉर्डन सेनिटायर का अर्थ लोगों को एक ही सीमा के अंदर रहने की इजाजत होती है। उसके बाहर वो नहीं निकल सकते हैं। यदि ऐसे लोगों को बाहर आम लोगों की तरह ही खुला छोड़ दिया जाए तो ये हजारों लोगों तक उस बीमारी का प्रसार कर सकते हैं। ऐसे में क्वारंटाइन एहतियात के तौर पर किसी मरीज पर लगाया गया प्रतिबंध भी है। आपको जानकर हैरत हो सकती है लेकिन ये सच है कि ये इंसान के अलावा जानवरों पर भी लागू होता है।
कहां से आया शब्द
क्वारंटाइन शब्द दरअसल क्वारंटेना (quarantena) से आया है, जो वेनशियन भाषा का शब्द है। इसका अर्थ 40 दिन होता है। 1348-1359 के दौरान प्लेग से यूरोप की 30 फीसद आबादी मौत के मुंह में समा गई थी। इसके बाद 1377 में क्राएशिया (city-state of Ragus) ने अपने यहां पर आने वाले जहाजों और उन पर मौजूद लोगों को एक द्वीप पर 30 दिनों तक अलग रहने का आदेश जारी किया था।
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इस दौरान ध्यान दिया जाता था कि किसी व्यक्ति में प्लेग के लक्षण तो नहीं हैं। 1448 में इस क्वारंटाइन के समय को बढ़ाकर 40 दिन का कर दिया गया था।
पहले था ट्रेनटाइन
जब तक ये तीस दिनों तक था तो उसको ट्रेनटाइन कहा जाता था, जब ये 40 दिनों का हुआ तो इसको क्वारंटाइन कहा जाने लगा था। यहां से ही इस शब्द की उत्पत्ति भी हुई। 40 दिनों के क्वारंटाइन का असर उस वक्त साफ दिखाई दिया था और इससे प्लेग पर काफी हद तक काबू पा लिया गया था। उस वक्त प्लेग के रोगी की लगभग 37 दिनों के अंदर मौत हो जाती थी।
7वीं शताब्दी में हुआ था ज़िक्र
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क्वारंटाइन का जिक्र 7वीं शताब्दी में लिखी गई गए किताब में भी मिलता है। इसको लेविटिकस ने लिखा था। इसमें बीमार व्यक्ति को दूसरों से अलग करने का जिक्र किया गया है। इस किताब में शरीर पर सफेद दाग उभरने पर बीमार व्यक्ति को सात दिनों के लिए अलग कर दिया जाता था। सात दिनों के बाद मरीज की जांच की जाती थी यदि इस दौरान उसमें कोई फायदा न होने पर उसको दोबारा 7 दिनों के लिए अलग रखा जाता था।
इस्लामिक इतिहास में भी हुआ क्वारंटाइन का ज़िक्र
इस्लामिक इतिहास में चेचक उभरने पर मरीज को कुछ दिनों के लिए अलग रखने का जिक्र मिलता है। 706-707 में छठे अल वालिद ने सीरिया के दमश्क में अस्पतालका निर्माण करवाया था। उन्होंने आदेश दिया था कि चेचक के मरीजों को अस्पताल में दूसरों से अलग रखा जाए। 1431 में इस बीमारी से ग्रसित मरीजों को अलग रखने की शुरुआत उस समय अनिवार्य तौर पर हुई जब ओटोमेंस ने चेचक के लिए एड्रिन में अस्पताल बनवाया था।
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इस्लामिक इतिहास में पहली बार 1838 में क्वारंटाइन को दस्तावेज के तौर पर दर्ज किया गया था। क्वारंटाइन की वजह से प्लेग और फिर यूरोप में 1492 में फैला चेचक, 19वीं शताब्दी की शुरुआत में स्पेन में फैला येलो फीवर, 1831 में हैजा रोकने पर काफी मदद मिली थी।