Hindi Language Issue: हिंदी के मुद्दे पर गरमाया तमिलनाडु,स्टालिन ने भाजपा के खिलाफ खोला मोर्चा

Hindi Language Controversy: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने हिंदी के मुद्दे पर भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2022-10-18 18:30 IST

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन। (Social Media)

Hindi Language Controversy: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन (Tamil Nadu Chief Minister MK Stalin) ने हिंदी के मुद्दे पर भाजपा BJP) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में दिख रहे स्टालिन ने हिंदी भाषा को थोपे जाने के खिलाफ विधानसभा में बाकायदा प्रस्ताव पारित कराया है।

भाजपा लोगों को अंग्रेजी की पढ़ाई से रोकना चाहती है: स्टालिन

विधानसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए स्टालिन ने आरोप लगाया कि भाजपा लोगों को अंग्रेजी की पढ़ाई से रोकना चाहती है। उसे लगता है कि वह हिंदी की ताकत की वजह से सत्ता हासिल करने में कामयाब हुई है। इसीलिए गैर हिंदी भाषियों पर भी हिंदी भाषा को लादने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि हमें भाजपा का यह कदम कतई मंजूर नहीं है।

हिंदी को थोपे जाने का आरोप

स्टालिन समय-समय पर हिंदी भाषा को थोपे जाने का मुद्दा उठाते रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तमिलनाडु यात्रा के दौरान यह मुद्दा उठाया था। अब उन्होंने हिंदी भाषा को थोपे जाने का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ विधानसभा से प्रस्ताव भी पारित कराया है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु डुअल लैंग्वेज पॉलिसी यानी अंग्रेजी और तमिल के साथ चल रहा है।

हमारा साफ तौर पर मानना है कि हिंदी को गैर हिंदी भाषियों पर नहीं थोपा जाना चाहिए। गैर हिंदी भाषियों के लिए निश्चित तौर पर अंग्रेजी का विकल्प होना चाहिए। अगर सरकार की ओर से केवल हिंदी भाषियों को ही प्राथमिकता दी जाती है तो यह निश्चित रूप से संविधान का उल्लंघन होगा।

भाजपा पर किया तीखा हमला

भाजपा पर तीखा हमला करते हुए स्टालिन ने कहा कि भाजपा अंग्रेजी को पूरी तरह से हटाने की कोशिश में जुटी हुई है। भाजपा की इसी मुहिम के कारण लोगों को अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हासिल करने से रोका जा रहा है। भाजपा की नीतियों से साफ है कि उसका दिल पूरी तरह केवल हिंदी के लिए धड़कता है। वह दिखावे के लिए प्रादेशिक भाषाओं के प्यार की बात कहती रही है।

उन्होंने सवाल किया कि अगर भाजपा सही मायने में प्रादेशिक भाषाओं का विकास चाहती है तो तमिल सहित अन्य प्रादेशिक भाषाओं को केंद्र सरकार की प्रशासनिक भाषा क्यों नहीं घोषित किया जाता? सच्चाई तो यह तो भाजपा प्रादेशिक भाषाओं के विकास की नहीं बल्कि हिंदी के विकास की कोशिश में जुटी हुई है।

भाषाई मुद्दे को गरमाने की कोशिश

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने कहा कि हम चाहते हैं कि देश की सभी प्रादेशिक भाषाओं को भारत की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया जाए। उन्होंने 1965 के हिंदी विरोधी आंदोलन की याद दिलाते हुए कहा कि डीएमके की ओर से यह आंदोलन चलाया गया था और इस आंदोलन के जरिए डीएमके सत्ता हासिल करने में कामयाब हुई थी। उन्होंने कहा कि डीएमके की स्थापना ही अपनी मातृभाषा और अन्य भाषाओं को बचाने के लिए हुई थी। इसलिए हमें हिंदी को थोपा जाना कतई मंजूर नहीं है। उन्होंने तमिलनाडु के लोगों से भी भाजपा की नीतियों का डटकर मुकाबला करने का आह्वान किया।

''स्टालिन तमिलनाडु में एक बार फिर भाषाई मुद्दे को गरमाने की कोशिश में जुटे''

सियासी जानकारों का मानना है कि स्टालिन तमिलनाडु में एक बार फिर भाषाई मुद्दे को गरमाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इसी कारण वे लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे हैं और अब उन्होंने इसके खिलाफ विधानसभा से प्रस्ताव पारित कराकर भाजपा व केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। तमिलनाडु में भाषाई मुद्दा वैसे भी असर दिखाता रहा है और अब स्टालिन इसके जरिए सियासी फायदा उठाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

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