Telangana: एक राजनीतिक लड़ाई कविता और शर्मिला की

Telangana: तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता व आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस.जगन मोहन रेड्डी की बहन वाई.एस. शर्मिला में राजनीतिक लड़ाई शुरू हो गई है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2022-12-12 17:50 IST

Telangana: अत्यधिक प्रभावशाली राजनीतिक परिवारों से ताल्लुक रखने वाली दो महिलाएं तेलंगाना में अपने राजनीतिक करियर को बचाने के लिए लड़ रही हैं। इत्तेफाक से दोनों को उनके पिता और भाइयों ने दरकिनार कर रखा है। जहां तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी और मंत्री के.टी. रामाराव की बहन के. कविता सीबीआई जांच का सामना कर रही हैं वहीं आंध्र प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री वाई.एस.जगन मोहन रेड्डी की बहन वाई.एस. शर्मिला तेलंगाना में पैर जमाने की कोशिश कर रही हैं। राज्य पार्टी इकाई पर उनके भाई के पूर्ण नियंत्रण के कारण उन्हें आंध्र से बाहर कर दिया गया है।

2014 में निज़ामाबाद से एक सांसद के रूप में जीतीं थीं कविता

44 वर्षीय कविता 2014 में निज़ामाबाद से एक सांसद के रूप में जीतीं थीं लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के डी. अरविंद से हार गईं। अब वह अपने भाई केटीआर के साथ नवगठित 'भारत राष्ट्र समिति' में अपनी जगह तलाश रही हैं। तेलंगाना के मंत्री को केसीआर के स्वाभाविक उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले, कविता दिल्ली के हाई-प्रोफाइल आबकारी घोटाले में आरोपों और सीबीआई जांच से घिरी हुईं हैं जिससे उनकी रफ़्तार में स्पीड ब्रेकर लगा हुआ है।

कविता ने 2006 में 'तेलंगाना जागृति' नामक एक सांस्कृतिक संगठन बनाया, जो उनका समर्थन मंच है। सीबीआई की पूछताछ के बाद कविता ने हैदराबाद में केसीआर से मुलाक़ात की लेकिन न तो केसीआर ने कोई बयान दिया न केटीआर ने। दोनों ने अभी तक सीबीआई जांच पर कोई टिप्पणी नहीं की है। ये चुप्पी बहुत कुछ बता रही है क्योंकि वे पहले ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों को "निशाना" बना चुके हैं।

2014 में कविता ने जीती थी निजामाबाद लोकसभा सीट

2014 में अपने चुनावी पदार्पण में कविता ने कांग्रेस के दो बार के सांसद मधु गौड़ यक्षी के खिलाफ निजामाबाद लोकसभा सीट जीती थी। उन्होंने मधु गौड़ याक्षी को 1.67 लाख वोटों से हराया था। कविता को मिला भारी जनसमर्थन जल्द ही ख़त्म हो गया क्योंकि वह हल्दी किसानों की हल्दी बोर्ड बनवाने की मांग को पूरा करने में विफल रही थीं। २०१९ में कविता चुनाव जीत नहीं सकीं और इस नुकसान के बाद, वह कुछ महीनों के लिए सार्वजनिक दृश्य से बाहर हो गईं। लेकिन अक्टूबर 2020 में निज़ामाबाद से राज्य विधान परिषद के लिए चुने जाने के बाद सार्वजनिक जीवन में पुनः लौट आईं। वह दिसंबर 2021 में फिर से सदन के लिए चुनी गईं

शर्मिला का कठिन रास्ता

शर्मिला की डगर बहुत कठिन लगती है, क्योंकि वह अपनी राजनीतिक जमीन के लिए आंध्र छोड़ कर तेलंगाना पर भरोसा कर रही हैं। उनके भाई जगन मोहन रेड्डी ने पिता वाई.एस. राजशेखर रेड्डी की मृत्यु के बाद वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की स्थापना की और मई 2019 में सत्ता में आए। अब जगन ने वाईएसआरसीपी पर पूरी पकड़ बना ली है, और न केवल शर्मिला बल्कि उनकी मां को भी आसानी से बाहर कर दिया है।

शर्मिला ने 2019 के विधानसभा चुनावों के दौरान अपने भाई जगन मोहन रेड्डी के लिए सक्रिय रूप से प्रचार किया था। बाद में उन्होंने 8 जुलाई, 2021 को वाईएसआर तेलंगाना पार्टी (वाईएसआरटीपी) का गठन किया और तेलंगाना में अपने राजनीतिक भाग्य को आगे बढ़ाने का फैसला किया। लेकिन तेलंगाना के राजनीतिक क्षेत्र में उनको गंभीरता से नहीं लिया गया। शर्मिला ने जगन का नुस्खा अपनाते हुए समर्थन रैली के लिए निकल पड़ीं। हालांकि तेलंगाना में उनको केसीआर की भारत रक्षा समिति (बीआरएस) का कदम कदम पर सामना करना पड़ा है।

केसीआर और केटीआर की तरह जगन रेड्डी भी साधे चुप्पी

केसीआर और केटीआर की तरह, जगन रेड्डी भी अपनी बहन की मुश्किलों पर चुप्पी साधे हुए हैं। 28 नवंबर को शर्मिला को वारंगल में पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने, बीआरएस समर्थकों द्वारा उनके काफिले पर हमला किये जाने और आगजनी की घटनाओं पर जगन शांत रहे हैं। शर्मिला के खिलाफ गुस्सा तब भड़का जब उन्होंने वारंगल जिले के नरसमपेट से बीआरएस विधायक पी. सुदर्शन रेड्डी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप जड़ दिए। तब से, पुलिस ने सुरक्षा जारी रखने में असमर्थता जताते हुए तेलंगाना को उनकी 'प्रजा प्रस्थानम यात्रा' की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। जब शर्मिला ने अनुमति रद्द किए जाने का विरोध करने के लिए प्रगति भवन जाने की कोशिश की, तो उन्हें उस समय हिरासत में ले लिए गया जब वह अपनी एसयूवी में बैठी हुईं थीं।

9 दिसंबर को शर्मिला ने विरोध में वाईएसआर के आवास लोटस पॉन्ड में उपवास पर बैठने का फैसला किया लेकिन अगले ही दिन पुलिस ने उन्हें जबरन हटा दिया जिसके चलते वह एक अस्पताल में भर्ती हो गईं। बहरहाल, शर्मिला ने तेलंगाना में 3500 किमी का पैदल मार्च पूरा किया है। अपने तेलंगाना संबंधों को उजागर करने के लिए शर्मिला ने कहा था, मैंने हैदराबाद में पढ़ाई की। मैंने यहां अपने बेटे और बेटी को जन्म दिया। मैं इस भूमि (तेलंगाना) के लिए बहुत प्रासंगिक हूं।

ट्विटर पर छिड़ी जंग

गिरफ्तारी की घटना के बाद हाल ही में कविता और शर्मिला दोनों के बीच ट्विटर पर विवाद हो गया था। शर्मिला की गिरफ्तारी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी से आने वाले समर्थन ने स्पष्ट रूप से कविता को तेलुगू में ट्वीट करने के लिए मजबूर किया। कविता ने शर्मिला को निशाना बनाने के लिए व्यंग्यपूर्ण काव्यात्मक तेलुगु का इस्तेमाल किया और कहा कि कैसे एक फूल (भाजपा पर इशारा) उनका समर्थन कर रहा है।

शर्मिला को भाजपा का दिया एजेंट करार

शर्मिला को भाजपा का एजेंट करार देते हुए कविता ने आरोप लगाया कि वाईएसआरटीपी अध्यक्ष और भाजपा नेता मिलकर काम कर रहे हैं। शर्मिला ने भी अपने ही अंदाज में कविता पर पलटवार किया। उन्होंने टिप्पणी की कि टीआरएस नेता न तो पदयात्रा कर रहे हैं और न ही लोगों की समस्याओं का समाधान कर रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वादे पूरे नहीं किए गए। शर्मिला ने ताना मारा कि कविता की गुलाबी (टीआरएस का रंग) में कोई जगह नहीं है जहां केवल पद हैं लेकिन काम नहीं है। फिर कविता ने शर्मिला को कमल की सहयोगी के रूप में संबोधित करते हुए एक कविता के साथ जवाब दिया। उन्होंने वाईएसआरटीपी नेता को 'कमल गुप्त' और 'नारंगी तोता' कहा। यह कहते हुए कि वह उनकी तरह राजनीतिक पर्यटक नहीं हैं, कविता ने उन्हें याद दिलाया कि वह तेलंगाना आंदोलन से उभरी हैं।

शर्मिला के अनुसार, मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने अपने वादों को तोड़ दिया है। टीआरएस प्रशासन अलोकतांत्रिक तरीके से काम कर रहा है। शर्मिला ने टीआरएस नेताओं और सदस्यों को ठग बताया। उन्होंने टीआरएस को एक नया नाम दिया, इसे तालिबान की राष्ट्र समिति कहा। शर्मिला ने तेलंगाना के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले प्रोफेसर कोदंडा राम, प्रोफेसर जयशंकर और अन्य व्यक्तियों जैसे प्रमुख व्यक्तियों को स्वीकार करने और पहचानने में विफल रहने के लिए सीएम केसीआर की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि टीआरएस में काम करने वाले तालिबान जैसे हैं।

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