Ayodhya Famous Places: अयोधया नगरी जाएं तो यहाँ जाना न भूलें, अध्यात्म और पवित्रता का अनोखा संगम है ये शहर

Ayodhya Famous Places: अगर आप अयोध्या नगरी जाना चाहते हैं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप वहां कहाँ कहाँ घूम सकते हैं।

Update:2023-07-15 08:41 IST
Ayodhya Famous Places (Image Credit-Social Media)

Ayodhya Famous Places: सरयू नदी के पूर्वी तट पर स्थित, भगवान् राम की नगरी अयोध्या अपने अंदर बीते युग का ढेर सारा इतिहास समेटे हुए है। इसका वर्णन प्रसिद्ध महाकाव्य रामायण और श्रीरामचरितमानस में भी मिलता है। जिसमे अयोध्या के वैभव को प्रदर्शित किया गया है। अगर आप भी अयोध्या नगरी जाना चाहते हैं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप वहां कहाँ कहाँ घूम सकते हैं।

अयोधया नगरी जाये तो यहाँ जाना न भूलें

अगर आप प्रभु श्री राम की नगरी जाना चाहते हैं तो आपको बता दें कि यहाँ जाने का सबसे सही समय न तो नवंबर से फरवरी तक यानि ज़्यादा सर्दी में होता है क्योंकि उस समय तापमान 10 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। साथ ही न ही अप्रैल और जून यहाँ जाने वाला है क्योकि उस समय कभी-कभी पारा 47°C तक बढ़ जाता है। इसलिए यात्रा की योजना बनाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होगा। आइये जानते हैं कि आप अयोध्या में किन किन जगहों पर घूम सकते हैं और भगवान् का आशीर्वाद पा सकते हैं।

हनुमानगढ़ी

ये मंदिर एक किले के आकार में निर्मित है जहाँ तक पहुंचने के लिए आपको छिहत्तर सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ेंगी। 10 वीं शताब्दी का प्राचीन मंदिर तीर्थ शहर के केंद्र में स्थित है। इसके प्रत्येक कोने में गोलाकार किलेबंदी है और माना जाता है कि ये वो जगह है जहां भगवान हनुमान ने एक गुफा में निवास किया था और शहर की रक्षा की थी। मंदिर में भगवान हनुमान की एक सुनहरी मूर्ति है। जिसका विशेष महत्त्व है। हर दिन हजारों भक्त हनुमानगढ़ी में पूजा-अर्चना करने आते हैं और भगवान हनुमान से बुराइयों से सुरक्षा और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं।

रामकोट

एक ऊंची भूमि पर स्थित और मंदिरों और तीर्थस्थलों से परिपूर्ण, ये अयोध्या के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। रामनवमी का त्योहार यहां हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र (मार्च-अप्रैल) महीने में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान देश और दुनिया भर से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री यहाँ आते हैं और भगवान राम के दर्शन करते हैं।

मंदिर खुलने का समय: (गर्मी- सुबह 6.30 से 10.30 बजे और दोपहर 3.00 बजे से शाम 6.00 बजे तक, सर्दी- सुबह 7.30 बजे से 10.30 बजे और दोपहर 2.00 बजे से शाम 5.00 बजे तक)।

श्री नागेश्वरनाथ मंदिर

ऐसा माना जाता है कि भगवान राम के पुत्र कुश ने उन्हें समर्पित ये सुंदर मंदिर बनवाया था। यहां विराजित शिवलिंग काफी प्राचीन बताया जाता है। लोककथा के अनुसार, कुश सरयू नदी में स्नान कर रहे थे तभी उनका बाजूबंद पानी में गिर गया। कुछ समय बाद, एक नाग कन्या प्रकट हुई और उसे वापस लौटा दिया। उन्हें एक-दूसरे से प्यार हो गया और कुश ने उनके लिए मंदिर का निर्माण करवाया। अयोध्या में सबसे महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक होने के नाते, यह महाशिवरात्रि के त्योहार के दौरान हर जगह से भक्तों की बड़ी भीड़ को आकर्षित करता है। मंदिर की वर्तमान इमारत का निर्माण 1750 ई. में किया गया था। कहा जाता है कि अयोध्या के इष्टदेव भगवान नागेश्वरनाथजी ही हैं।

कनक भवन

1891 में टीकमगढ़ (मध्य प्रदेश) की रानी वृषभानु कुवंरि ने उत्कृष्ट रूप से अलंकृत मंदिर का निर्माण कराया। मुख्य मंदिर एक खुले आंतरिक क्षेत्र से घिरा हुआ है जिसमें रामपाड़ा का पवित्र मंदिर है। भगवान राम और उनके तीन भाइयों के साथ देवी सीता की सुंदर मूर्तियों को देखकर आप मंत्रमुग्ध हो जायेंगे।

तुलसी स्मारक भवन

तुलसीस्मारक भवन महान संत-कवि गोस्वामी तुलसीदास जी को समर्पित है। यहां नियमित प्रार्थना सभाएं, भक्ति संगीत कार्यक्रम और धार्मिक प्रवचन आयोजित किए जाते हैं। इस परिसर में अयोध्या शोध संस्थान भी है, जिसमें गोस्वामी तुलसीदासजी पर साहित्यिक रचनाओं का एक बड़ा भंडार है।
तुलसी स्मारक सभागार में प्रतिदिन शाम 6 बजे से रात 9 बजे तक रामलीला का मंचन किया जाता है; यह यहाँ का एक प्रमुख आकर्षण है।

त्रेता-के-ठाकुर

कालेराम-का-मंदिर के रूप में भी प्रसिद्ध, यह सुंदर मंदिर उस स्थान को चिह्नित करता है जहां भगवान राम ने पौराणिक अश्वमेध यज्ञ किया था। कुल्लू (हिमाचल प्रदेश) के राजा ने लगभग तीन शताब्दी पहले वर्तमान संरचना का निर्माण कराया था। बाद में इंदौर (मध्य प्रदेश) की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने इसका जीर्णोद्धार कराया। यहाँ स्थापित मूर्तियाँ काले बलुआ पत्थर से बनी हैं; ऐसा माना जाता है कि ये राजा विक्रमादित्य के काल के हैं।

सरयू नदी

उत्तर प्रदेश के सबसे प्रमुख जलमार्गों में से एक, इस नदी का उल्लेख वेद और रामायण जैसे प्राचीन हिंदू ग्रंथों में मिलता है। इसका शाब्दिक अनुवाद 'वह जो प्रवाहित हो रहा है' है, ये अयोध्या से होकर बहती है और माना जाता है कि ये इस धार्मिक शहर को पुनर्जीवित करती है और अशुद्धियों को दूर कर देती है! यहां साल भर विभिन्न धार्मिक अवसरों पर सैकड़ों श्रद्धालु पवित्र स्नान करने आते हैं।

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