छत्रपति शिवाजी महाराज: ऐसे बने 'महान योद्धा', अब वंशज कर रहे ये काम

Update:2020-02-19 16:03 IST

लखनऊ: छत्रपति शिवाजी महाराज एक ऐसा नाम है जो अपने आप में ही 'ताकत' है। आज के दिन मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म हुआ था। उनकी जयंती को 390 साल हो गये है। उनके बारें में कई ऐसी बातें हैं जिसे हर किसी को जानना चाहिये। जैसे किस तरह उन्होंने मुगलों को रण में धूल चटाई थी। वहीं उनका राज्यभिषेक कैसे हुआ? और कैसे वह 'छत्रपति' बन गये?

छत्रपति शिवा जी महराज की 390वीं जयंती आज:

भारत के सबसे बहादुर शासकों में से एक छत्रपति शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। मराठा साम्राज्य की नींव रखने का श्रेय छत्रपति शिवाजी को ही जाता है। उनकी जयंती पारंपरिक तरीके से मनाई जाती है। आज का दिन महाराष्ट्र में राजकीय अवकाश के तौर पर मनाया जाता है।

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मुगलों के खिलाफ जीती थीं कई जंगे:

जब मुगल शासकों का प्रभुत्व छाया हुआ था, उस दौर में शिवाजी ने मुगलों के खिलाफ न केवल कई जंगे लड़ी, बल्कि जीती भी थीं। वो उन योद्धाओं में से हैं जिन्हें उनकी बहादुरी और रणनीति के लिए याद किया जाता है। माना जाता है कि गुरिल्ला युद्ध की नई तकनीकों को उन्होंने जन्म दिया था। इसकी मदद से उन्होंने मुगलों को कड़ी टक्कर दी। शिवाजी वो शासक थे इन्होने मराठा की नौसेना को भी मजबूत किया था।

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राजगढ़ की संभाली थी गद्दी, ऐसे हुआ था राज्यभिषेक:

शिवाजी महाराज ने 44 साल की उम्र में साल 1674 में रायगढ़ की गद्दी सम्भाली थी। राज्याभिषेक के बाद ही वो छत्रपति कहलाए। इस दौरान उन्हें सिर्फ दो हजार मराठा सैनिकों की एक सेना मिली थी। उन्होंने अपनी सेना अपने बल पर मजबूत करते हुए 10 हजार सैनिकों की फौज खड़ी कर दी।

दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस महान नेता की महज 50 वर्ष की अल्पायु में तीन अप्रैल 1680 में मौत हो गई। उनके देहावसान के बाद संभाजी ने उनके शासन को आगे बढ़ाया था।

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ये हैं शिवाजी के वंशज:

वहीं शिवाजी महाराज के वंशज अब आम नागरिकों की तरह खेतीबाड़ी करते हैं। शिवाजी की 13वीं पीढ़ी राजशाही अंदाज में भले ही नहीं रहती लेकिन उनके उनकी पीढ़ी के एक सदस्य को मोदी सरकार ने राज्यसभा से नामित कर शासकीय कार्यों से जोड़ा हुआ है। उनका नाम है संभाजी महाराज।

वहीं इसी पीढ़ी के एक अन्य वंशज महाराज सतारा उदयन राजे भोंसले दो बार एनसीपी से लोकसभा सदस्य रहे हैं। इसके अलावा सांसद संभाजी के छोटे भाई मालुज जी शिक्ष्ण संस्थाओं की देखभाल करते हैं। इसके अलावा एक ट्रस्ट के मध्यम से परिवार खेती-बाड़ी करता है जिसकी आय ट्रस्ट को ही जाती है।

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