सिंधिया परिवार की कहानी: क्या सच में रानी लक्ष्मीबाई से हुई थी लड़ाई, जानें सच्चाई

भारतीय इतिहास में जिस तरह योद्धा काफी प्रसिद्ध हैं, उसी तरह देश से गद्दारी करने वाले गद्दार भी काफी फेमस हैं। आज हम आपको ग्वालियर के राजा जयाजीराव सिंधिया की गद्दारी के बारे में बताने जा रहे हैं।

Update:2020-03-13 13:24 IST
सिंधिया परिवार की कहानी: क्या सच में रानी लक्ष्मीबाई से हुई थी लड़ाई, जानें सच्चाई

भारतीय इतिहास में जिस तरह योद्धा काफी प्रसिद्ध हैं, उसी तरह देश से गद्दारी करने वाले गद्दार भी काफी फेमस हैं। आज हम आपको ग्वालियर के राजा जयाजीराव सिंधिया की गद्दारी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका नाम इतिहास में काफी प्रसिद्ध है। बता दें कि ग्वालियर के राजा जयाजीराव सिंधिया पर इतिहास में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के खिलाफ युद्ध करने और देशद्रोह जैसे आरोप लगते आए हैं तो चलिए जानते हैं आखिर इस बात में कितनी सच्चाई है।

जब्ती का सिद्धांत लागू कर हथिया राज्य

1853 ईस्वी में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के पति के मरने के बाद “लॉर्ड डलहौजी” ने जब्ती का सिद्धांत लागू करके उनका राज्य हथिया लिया था, जिस बात से वो काफी नाराज थीं। जिसके चलते वो सिपाही विद्रोह शुरु होने पर विद्रोहियों के साथ मिल गईं और फिर सर यूरोज के नेतृत्व में अंग्रेजी हुकूमत का डटकर सामना किया। जब अंग्रेजों की सेना किले में घुस गई तो लक्ष्मीबाई किला छोड़कर कालपी चली गईं। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और वहां से भी युद्ध जारी रखा।

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जयाजीराव सिंधिया की क्या थीं मजबूरी

जब कालपी भी छीन गई तो रानी लक्ष्मीबाई ने तात्या टोपे की मदद से ग्वालियर पर हमला बोल दिया। रानी लक्ष्मी बाई के नेतृत्व में बागी ग्वालियर आए तो सिंधिया की निजी सेना ने फिर बागियों के प्रति सहाननुभूति दिखाई। अब ग्वालियर पर विद्रोहियों का कब्जा हो चुका था। वहीं जयाजीराव सिंधिया को मजबूर कर दिया गया कि वो अंग्रेजों के कब्जे वाली सेना का नेतृत्व करें। जयाजीराव सिंधिया के सामने दो मजबूरियां थी, पहली तो उसे अंग्रेजी सरकार से ग्वालियर के राजा होने की मान्यता नहीं प्राप्त थी और दूसरी अगर वो ऐसा ना करता तो अंग्रेजी हुकूमत उनके किले पर कब्जा कर लेते।

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महाराज को सेनापति बने देख छोड़ दिया विद्रोहियों का साथ

सिंधिया अंग्रेजों के कब्जे वाली सेना के सेनापति बन गया और जब सिंधिया की सेना ने अपने महाराज को सेनापति बना देखा तो उन्होंने विद्रोहियों का साथ छोड़ दिया। जब जयाजीराव सिंधिया अंग्रेजी सैनिकों के साथ रानी लक्ष्मीबाई से युद्ध करने आया तो अपने महाराज को देख ग्वालियर की बागी सेनाओं ने रानी का साथ छोड़ दिया।

लक्ष्मीबाई की मौत पर किया था समारोह का आयोजन

उसके बाद रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों और सिंधिया की मिली सेना से घिर गईं, लेकिन रानी लक्ष्मीबाई ने सभी का सामना किया और लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गईं। वहीं रानी लक्ष्मीबाई की मौत के बाद जयाजीराव सिंधिया ने जीत की खुशी में एक समारोह का आयोजन किया था, जो कि जनरल रोज और सर रॉबर्ट हैमिल्टन के सम्मान में आयोजित की गई थी। फिर अंग्रेजों ने सिंधिया को ग्वालियर का महाराज घोषित कर दिया और अपना गुलाम बना दिया। देश से की गई इस गद्दारी और ब्रिटिश हुकूमत के लिए की गई वफादारी के चलते जीवाजी राव सिंधिया को अंग्रेजों ने नाइट्स ग्रैंड कमांडर का खिताब भी दिया था।

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