टेंशन टाइट ! जर्सी गाय की पाद, डकार से ओजोन लेयर में छेद..

Update: 2016-12-21 23:35 GMT

अहमदाबाद : जहाँ विश्व में वैज्ञानिक इस बात से परेशान हैं कि क्लाइमेट चेंज की समस्या से कैसे मुक्ति मिलेगी। वहीँ हमारे यहाँ जो हो रहा है वो किसी बड़े मजाक से कम नहीं है। गुजरात के जामनगर की आयुर्वेद यूनिवर्सिटी में एक रिसर्चर हैं डॉ हितेश जानी। जनाब का दावा है कि पश्चिमी देशों की गाय की डकार और पाद ओजोन लेयर को नुकसान पंहुचा रही है।

जानी ने अपनी रिसर्च में कहा कि ग्लोबल वॉर्मिंग के लिए पश्चिमी देशों की गाय जिम्मेदार हैं। पंचगव्य चिकित्सा: सदी की दवा के नाम से जानी ने रिसर्च पेपर तैयार किये हैं जिनमे लिखा है भारत में हम देसी गायों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते वहीं मोटी जर्सी गाय दिनभर खाती या पीती रहती हैं। वह ज्यादा बीमार होती हैं और उन्हें ऐंटीबायोटिक भी बहुत दी जाती हैं। इन गायों के पाद में मीथेन गैस निकलती है जिससे ओजोन लेयर में छेद हो रहा है।

जानी ने अपनी रिसर्च में पाया कि पश्चिमी गायों का ए-1 दूध मधुमेह, दिल से जुड़े रोग, ऑटिस्म जैसी बीमारियों का कारण बनता है। वहीं देसी गायों का ए-2 दूध बीमारियों के लिए अमृत है। इससे इंसान की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।

 

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