वैज्ञानिक ने किया साबित : सच में थे 'मनु-शतरूपा', आई थी जल प्रलय.....डूब गयी थी दुनिया

Update: 2017-03-28 09:33 GMT

नई दिल्ली : हम आज आपको जो बताने वाले हैं, वो खबर खास तौर पर उन कथित धर्म के ठेकेदारों के लिए नहीं है। जो हिंदुस्तान की संस्कृति सभ्यता और वेद पुराणों में लिखी बातों को आधारहीन और तथ्यों से परे साबित करने की पुरजोर कोशिश करते हैं। क्योंकि जो खबर हमें मिली है, वो ये साबित करती है कि हमारे धार्मिक ग्रंथों में जो लिखा है वो शत प्रतिशत सही और जांचा परखा है।

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हममें से कई मनु शतरूपा के समय आए जल प्रलय को एक कपोल काल्पनिक पौराणिक घटना मान कर ख़ारिज करते रहे हैं। ये भी कहा जाता है कि उस समय गंगा यमुना और सरस्वती नदी धरती पर बहा करती थीं। जबकि बी.बी लाल के शोध में सामने आया कि जब पृथ्वी पर जल प्रलय आया था तब सरस्वती नदी अस्तित्व में नहीं थी। अब आप सोच रहे होंगे कि ये लाल कौन हैं तो आपकी जानकारी के लिए बता दें वो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक रह चुके हैं।

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लाल ने सोमवार को भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) के सेमिनार में अपने शोध पत्र पेश किए। अभीतक माना जाता था कि हड़प्पा सभ्यता के दौरान मानव ने बस्तियों को विकसित किया और संगठित हो कर रहना आरंभ किया। वहीँ हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक मनु पृथ्वी पर पहले राजा थे और शतरूपा उनकी रानी थी ये ही दोनों हम सभी के पूर्वज थे। कहा जाता है कि उनके समय में ही पृथ्वी जलमग्न हुई थी और सबकुछ समाप्त हो गया था। इस्लाम में इन्हें आदम और हब्बा जबकि ईसाइयत में इन्हें एडम और ईव के नाम से जाना जाता है।

लाल ने अपने शोध में पुरातात्विक साक्ष्यों का गहन अध्यन किया और उसे विज्ञान की कसौटी पर कसा उसके बाद उन्होंने पाया कि जब मनु के काल में पृथ्वी पर जल प्रलय आया था तब सरस्वती नदी लुप्त हो चुकी थी।

शोध पत्र में कहा गया है कि पुरातात्विक रूप से सरस्वती की भारी बाढ़ 2000-1,900 ईसा पूर्व के आसपास या मोटे तौर पर, दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के पहले चरण में आई। मनु के जल प्रलय का भी ठीक यही वक्त था, जो ऋग्वेद के बाद आई, लेकिन दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के आरंभ होने से पहले। तो क्या अब भी हमें जल प्रलय को मनगढ़ंत कहानी मानना चाहिए?

सरस्वती नदी पर कुमाऊं विश्वविद्यालय के पूर्व उपाध्यक्ष प्रोफेसर के.एस वालियाडिया कहते हैं ऋग्वेद और कई पुराणों में इस नदी को लेकर वर्णन किया गया है कि सरस्वती काफी विशाल नदी थी। ब्रिटिश राजस्व रिकॉर्ड में ये सरस्वती या सरसुती के नाम से दर्ज थी।

लाल की मंदिर और सेतु, एविडेंस ऑफ लिटरेचर, के साथ ही कई अन्य किताबें काफी चर्चित रही हैं,लाल ही वो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अपनी शोध में साबित किया था कि बाबरी मस्जिद के नीचे एक हिंदू मंदिर संरचना है। आपको बता दें, आईसीएचआर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन एक शोध संस्थान है।

 

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