जयपुर: हम जीवन भर कुछ ना कुछ सीखते है, बहुत कुछ याद रहता है बहुत कुछ भूल जाते है। लेकिन जो नहीं भूलते है वो है बचपन से सिखाई मां की सीख। कहते हैं मां ही बच्चे की पहली गुरु होती हैं, यह बात तो बचपन से सुनते आए हैं क्योंकि कुछ बेसिक बातें होती हैं जिनको सिर्फ एक मां ही अपने बच्चों को सीखा सकती है और जो उसके पूरे जीवन काम आती है। मोटे शब्दों में कहें तो मां की परवरिश ही आगे चल कर बच्चे के भविष्य को उजागर करती हैं। मां वक्त-बेवक्त चीजें बताते रहना आगे चलकर बच्चों के काम की हो जाती है। पहले जिन बातों को हम ध्यान नहीं देते वही जब समज आती है तो लगता है कि ये बात तो मां ने पहले ही बताई थी और फिर हम अमल करने लगते है। जो हमारे लिए अच्छा होता है।
*अपनी जिम्मेदारी को सही तरीके से कैसे पूरा करना है, ये एक मां ही अपने बच्चों को अच्छे तरीके से समझा सकती है। जिम्मेदारी की सीख बच्चे को अपने माता-पिता से ही मिलती है जैसे वह अपने घर की जिम्मेदारी को बखूबी निभाना जानते हैं वैसे ही उनके देखा देखी बच्चे भी जिम्मेदार हो जाते हैं। इसलिए तो कहते है कि जो बच्चे अपनी मां की बातों को अच्छे से फाॅलो करते है वो जीवन में कभी कोई परेशानी का सामना नहीं करते है।
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*मां जैसी केयर कोई दूसरा नहीं कर सकता। भले ही बच्चा कितनी भी शैतानियां क्यों ना कर लें। बस यही गुण वह अपने बच्चे में देखना चाहती है और इसी वजह से वो बारीकी से उन्हें भी दूसरों की केयर करना सिखाती है।
*अनुशासन एक ऐसी चीज है जिसका पालन करके ही अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकते हैं। बचपन से अनुशासित रहने की प्रक्रिया घर से शुरू होती हैं जिसमें उसकी मां का रोल सबसे ज्यादा होता है। बड़ों के साथ कैसे बात करनी है ये सीख एक मां ही बच्चे को दे सकती है। बच्चे के अनुशासन और व्यवहार का सीधा असर उसकी मां की परवरिश पर पड़ता है।
*बड़े बुजुर्ग और बुद्धिजीवी कहते आए है कि गुस्सा इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है। गुस्सा इंसान की सोचने समझने की शक्ति को खत्म कर देता है, जिससे उसे भारी नुकसान भी हो सकता है इसलिए मां बच्चे को गुस्से को कंट्रोल करना सिखाती है। अगर आपका बच्चा भी बचपन से ही जल्दी गुस्सा जाता हैं तो उसे प्यार से कंट्रोल में करने की कोशिश करें और समझाएं।