नागपुरः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में आज से नया गणवेश दिखेगा। अब आरएसएस स्वयंसेवक खाकी नेकर नहीं, फुल पैंट पहनेंगे। गणवेश में सफेद शर्ट और काली टोपी को जस का तस रखा गया है। आज ही संघ प्रमुख मोहन भागवत भी इसी गणवेश में अपना भाषण देंगे और देश के तमाम हिस्सों में पथ संचलन में भी यही गणवेश दिखाई देगा। इस मौके पर पीएम मोदी ने ट्वीट कर दी बधाई।
विजयादशमी ही क्यों?
विजयादशमी का दिन आरएसएस और स्वयंसेवकों को लिए अहम माना जाता है। साल 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने विजयादशमी के दिन ही आरएसएस की स्थापना की थी।
आरएसएस के स्थापना दिवस पर बोले संघ के प्रमुख मोहन भागवत
-इस बार की विजयादशमी हम सब के लिए बहुत खास है। हमने 90 साल पूरे कर लिए हैं।
-उन्होंने कहा कि मोदी सरकार अच्छा काम कर रही है।
-दुनिया की कुछ शक्तियां भारत को आगे बढ़ते नहीं देखना चाहतीं हैं।
-मुजफ्फराबाद, गिलगिट और मीरपुर समेत पूरा कश्मीर हमारा है।
-पाक घाटी में अलगाववादियों को बढ़ावा दे रहा है।
-सरकार ने अच्छा कदम उठाया है, सेना ने बहुत ही सराहनीय काम किया है।
काफी चिंतन के बाद बदला गणवेश
खाकी नेकर की जगह फुल पैंट करने को लेकर आरएसएस में साल 2010 से ही चिंतन चल रहा था। हालांकि, विरोध देखते हुए साल 2015 तक इसे टाल दिया गया। बीते साल भी सहमति नहीं बन सकी थी। बाद में इस साल की शुरुआत में नए गणवेश को हरी झंडी दिखाई गई। इसके पीछे तर्क दिया गया कि युवाओं को संघ से जोड़ने के लिए ये बदलाव जरूरी है।
पहले क्या था गणवेश?
1925 में संघ की स्थापना के वक्त खाकी नेकर, खाकी शर्ट, काली टोपी और चमड़े की बेल्ट थी। 1940 में खाकी शर्ट की जगह सफेद ने ले ली। 2011 में चमड़े की बेल्ट को हटाकर दूसरा बेल्ट कर दिया गया। 2016 से गणवेश में खाकी नेकर की भी विदाई हो गई और ग्रे फुल पैंट ने उसकी जगह ली।