नई दिल्लीः नोटबंदी के बाद बैंकों और एटीएम पर मचे हाहाकार को देखते हुए वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक ने माइक्रो एटीएम लगाने का फैसला किया है। ये एटीएम ही होते हैं, लेकिन इन्हें कहीं भी स्थापित किया जा सकता है। महज इंटरनेट कनेक्शन होने पर ही संबंधित बैंक का माइक्रो एटीएम चलाने वाला आपके खाते में रकम जमा भी कर सकता है और आपको रकम दे भी सकता है।
कैसे करता है काम?
ये मशीन ठीक वैसी ही दिखने में होती है, जैसी बड़े दुकानों में डेबिट या क्रेडिट कार्ड स्वाइप करने से भुगतान करने वाली मशीन होती है। माइक्रो एटीएम बैंक के केंद्रीय सर्वर से जुड़ी होती है। ग्राहक जब अपना डेबिट कार्ड मशीन में स्वाइप करता है तो मशीन में लगा क्रिप्टो प्रोसेसर कार्ड की जानकारी रीड कर स्क्रीन पर खाते से जुड़ी जानकारी दिखाने लगता है।
इसके बाद इसे चलाने वाला आपको पिन नंबर या उंगली की छाप देने को कहता है और लेन-देन पूरा हो जाता है। खास बात ये कि ये मशीन भी एटीएम की तरह रियल टाइम में खाते में रकम डालती है या वहां से निकाले जाने की जानकारी देती है। रकम आप मशीन चलाने वाले को देते हैं या उससे लेते हैं।
पैसे नहीं उगलती है ये मशीन
साधारण एटीएम की तरह माइक्रो एटीएम से पैसे नहीं निकलते और न ही उनमें जमा किए जा सकते हैं। बैंक अपने कर्मचारियों को भेजकर या स्थानीय दुकानदारों से करार करके मशीन लगाते हैं। ग्राहकों को रकम देने या लेने के लिए इन कर्मचारियों या दुकानदारों को बैंक नकदी देते हैं। उन्हें रकम का हिसाब-किताब रखना होता है।
नफा और नुकसान क्या?
इसका नफा ये है कि दूरदराज के इलाकों और पहाड़ी क्षेत्रों में एटीएम न होने पर इनका इस्तेमाल कर नकद जमा और निकाला जा सकता है। माइक्रो एटीएम कहीं भी और कभी भी लगाए जा सकते हैं। नुकसान इनसे ये है कि 24 घंटे इनसे पैसे निकालने या जमा करना संभव नहीं होता। साथ ही मशीन के साथ बैंक कर्मचारी या दुकानदार का होना जरूरी है।