लखनऊः यूपी में अफसर होना आसान नहीं है। खासकर लखनऊ और पश्चिमी यूपी के जिलों में तो अफसरों पर सरकार की तेज नजर बन रहती है, लेकिन दबंग छवि वाली मंजिल सैनी ने अपने कामकाज के तौर तरीकों से बाकी अफसरों को संदेश दिया है कि क्राइम कंट्रोल करना मुश्किल नहीं है। आखिरकार यूपी पुलिस में उन्हें काम करने के तरीके की वजह से ही लेडी सिंघम कहा जाता है।
खतरों से खेलती रही हैं मंजिल
मंजिल सैनी ने बतौर आईपीएस अफस अपने करियर में खूब रिस्क लिया। जहां भी वह रहीं, अपराधी और दबंग नेताओं की एक नहीं चलने दी। जब वह आईपीएस की ट्रेनिंग कर रही थीं, तो उनका एक बेटा था। उसकी देखभाल करने के साथ ही अपने लक्ष्य की ओर वह बढ़ती गईं और बेस्ट आईपीएस कैडेट का गोल्ड मेडल भी उन्होंने हासिल किया। उनके खाते में कई बड़े वारदात को वर्कआउट करने की दास्तान लिखी हुई है। एक नजर मंजिल की उपलब्धियों पर डालते हैं।
2008 में इंटरनेशनल किडनी रैकेट का भंडाफोड़
आईपीएस की ट्रेनिंग के बाद मुरादाबाद में पहली पोस्टिंग के दौरान मंजिल सैनी ने इंटरनेशनल किडनी रैकेट का भंडाफोड़ किया। जैसे-जैसे जांच का दायरा आगे बढ़ा, पता चला कि इस रैकेट की जड़ें देश के अलग-अलग हिस्सों के साथ विदेश में भी काफी गहरी हैं। रैकेट का पूरा कनेक्शन माफिया के मकड़जाल से होकर गुजरता था, लेकिन मंजिल ने बिना डरे इंटर-स्टेट ऑपरेशन चलाए और आरोपियों को सलाखों के पीछे किया।
सपा विधायक पर भी पड़ीं भारी
इटावा में पोस्टिग के दो हफ्ते बाद ही चेकिंग अभियान के दौरान उन्होंने सपा के एक विधायक को रोका। विधायक अपने भाई की लाइसेंसी रायफल लेकर चल रहे थे। विधायक ने सत्ता की हनक दिखाई। इस पर मंजिल सैनी ने उनसे दो टूक लहजे में कह दिया था कि अगर चाहूं तो आपको तुरंत जेल भिजवा सकती हूं। इस पर विधायक के तेवर नरम पड़ गए। मंजिल ने लिखा-पढ़ी कराने के बाद ही उन्हें जाने दिया।
खुद फील्ड में रहकर करती हैं काम
मंजिल सैनी उन अफसरों में से नहीं हैं, जो दफ्तर में बैठकर मातहतों को निर्देश देते हैं। वह खुद फील्ड में रहकर काम करना पसंद करती हैं। जहां भी वह तैनात रहीं, गाड़ियों में सपा समेत अन्य पार्टियों के झंडे, लाल और नीली बत्तियां खुद की मौजूदगी में उतरवाने का काम करती रहीं। इटावा में दबंगों की नाक में उन्होंने दम कर दिया था।
बिना लाइसेंस चल रहा ठेका करवाया बंद
इटावा में निरीक्षण के दौरान एक शराब की दुकान का लाइसेंस मंजिल ने मांगा। लाइसेंस चेक किया तो पता चला कि एक्सपायर हो गया है। तुरंत उन्होंने दुकान पर ताला लगवा दिया। वह दुकान एक स्थानीय दबंग की थी। उसने लाख कोशिश की, दबाव भी डलवाया, लेकिन दुकान न खुलनी थी और न खुली।
डर से गायब हो गए मनचले
मथुरा और इटावा में पोस्टिंग के दौरान मंजिल सैनी किसी भी वक़्त कहीं भी पहुंचने की वजह से फेमस हो गई थीं। साथ ही महिलाओं की सुरक्षा पर वह ज्यादा ध्यान देती रहीं। हालत ये हो गई कि शोहदे और उचक्के दिखाई देने बंद हो गए। कुछ ने रवैया नहीं बदला तो मंजिल ने उन्हें जेल भिजवाकर ही दम लिया।
मातहत करते हैं हिम्मत की तारीफ़
मंजिल सैनी की इस दबंग छवि की वजह से मातहत भी उनकी तारीफ करते हैं। हर काम को परफेक्शन से करना मंजिल को उनके बैच के तमाम अफसरों से अलग करता है। उनके मातहत रहे अफसरों के मुताबिक उन्होंने कभी भी इस लेडी सिंघम को थकते नहीं देखा।
एसएसपी मुजफ्फरनगर के पद से हटाई भी गईं
वैसे तो 10 साल का कैरियर मंजिल ने बेहद शानदार तरीके से गुजारा है, लेकिन साल 2013 में एक समय ऐसा भी आया जो उनकी छवि पर भारी पड़ा। मुजफ्फरनगर में दंगा भड़कने के समय वह जिले की एसएसपी थीं। हिंसा बड़े पैमाने पर हुई और उनका उस वक्त ट्रांसफर कर दिया गया था।