क्यों मनाया जाता है क्रिसमस, यहां जानें आखिर कौन हैं ईसा मसीह

हर साल 25 दिसंबर को दुनियाभर में क्रिसमस डे के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। वैसे तो क्रिसमस मुख्य रूप से ईसाई धर्म का त्योहार है, लेकिन अब इसे सारे धर्म के लोग बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं।

Update:2019-12-25 14:41 IST

Christmas Day 2019: हर साल 25 दिसंबर को दुनियाभर में क्रिसमस डे के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। वैसे तो क्रिसमस मुख्य रूप से ईसाई धर्म का त्योहार है, लेकिन अब इसे सारे धर्म के लोग बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। 25 दिसंबर को हर जगह क्रिसमस की धूम देखने को मिलती है। इस दिन जगह-जगह क्रिसमस ट्री सजाया जाता है और लोग एक-दूसरे को गिफ्ट्स देकर और केक खिलाकर क्रिसमस विश करते हैं।

क्यों मनाया जाता है क्रिसमस?

क्रिसमस ईसाई धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है, जो जीसस क्राइस्ट के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। जीसस क्राइस्ट (ईसा मसीह) को ईश्वर की संतान कहा जाता है। क्रिसमस का नाम भी जीसस क्राइस्ट के नाम पर ही पड़ा। जीसस ने पृथ्वी पर प्यार और सद्भावना का संदेश दिया था। जीसस के जन्म की तारीख को लेकर काफी मतभेद रहे, यहां तक की बाइबल में भी उनके जन्म की तारीख का कोई जिक्र नहीं किया गया है।

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जीसस के जन्मदिन को लेकर रहा मतभेद

हालांकि कई जगह ये उल्लेख किया गया है कि ईसा मसीह का जन्म 7 से 2 ई. पूर्व के बीच हुआ था। जीसस क्राइस्ट की जन्म तिथी को परंपरागत रुप से मान्यता रोमन के पहले ईसाई सम्राट कॉन्सटेंटाइन के समय मिली थी।

इन्होंने निश्चित की तिथी

कुछ सालों बाद पोप सेक्स्तुस जूलियस अफ्रिकानुस ने आधिकारिक तौर पर ईसा मसीह के जन्म को 25 दिसंबर को ही मनाने का ऐलान किया। उन्होंने 221 ई. में ईसाई क्रोनोग्राफी में इस तारीख का जिक्र किया था। इससे पहले ईसा मसीह का जन्मदिवस मनाने की कोई निश्चित तारीख नहीं थी। उसी समय से 25 दिसंबर को जीसस क्राइस्ट का जन्मदिवस (क्रिसमस) मनाया जाने लगा।

देवदूतों ने मां को दी थी जानकारी

ईसाई धर्म में प्रचलित कथा के मुताबिक, भगवान ने अपने दूत जिब्राईल/ गैब्रियल को मरियम नाम की एक स्त्री के पास भेजा था ताकि मरियम के गर्भ से जीसस क्राइस्ट का जन्म हो सके। जिब्राईल ने मरियम को ये सूचना दी कि जो बच्चा उनकी गर्भ से जन्म लेगा उसका नाम जीसस क्राइस्ट होगा और वो ऐसा राजा बनेगा जिसका साम्राज्य असीमित होगा।

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अविवाहित थीं जीसस की मां

कथा के अनुसार, जिस समय मरियम को जीसस के पैदा होने की जानकारी मिली थी, उस वक्त उनका विवाह नहीं हुआ था। कुछ समय बाद उनकी शादी जोसफ नाम के एक व्यक्ति से हुई। मरियम और जोसेफ दोनों इजराइल के नाजरथ नामक जगह पर रहते थे।

अस्तबल में हुआ था जीसस का जन्म

जिस वक्त जीसस का जन्म होना था, उस वक्त शहर पर रोमन साम्राज्य था। जब जीसस के पैदा होने का वक्त करीब आया, तो उस समय जनगणना का कार्यक्रम चल रहा था। जिस वजह से कोई भी जगह खाली नहीं थी। इस वजह से मरियम ने जीसस क्राइस्ट को एक अस्तबल में जन्म दिया था।

लोग देख हुए आश्चर्यचकित

कहा ये भी जाता है कि जिस वक्त जीसस का जन्म हुआ, उस वक्त चरवाहे भेड़ चरा रहे थे और देवदूतों ने चरवाहों को बताया कि जिसने अभी जन्म लिया है वो ईश्वर की संतान है और एक मुक्तिदाता है। ये सुन जब चरवाहे और लोग बच्चे को देखने पहुंचे तो बच्चे को देख आश्चर्यचकित हो गए। क्योंकि बच्चे में सूर्य से तेज था। बच्चे को देख लोगों का कहना था कि मानव कल्याण के लिए ईश्वर ने अपने पुत्र को पृथ्वी पर भेजा है।

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