यूपी में इस साल खुलेंगे 1300 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, बेहतर होंगी स्वास्थ्य सुविधाएं

स्वास्थ्य सचिव हेकाली झिमोमी के मुताबिक सरकार लगातार मां व बच्चे की सेहत पर ध्यान केन्द्रित कर रही है। यूनिवर्सिटी आफ मेनोटोबा एवं इंडिया हैल्थ एक्शन ट्रस्ट के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग की ओर से संचालित चाइल्ड हेल्थ प्रोजेक्ट ने इसको नया आयाम दिया है।

Update:2020-01-21 16:16 IST

मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: प्रदेश में बाल एवं नवजात शिशु स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (यूपीटीएसयू) के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग 1300 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बढ़ाने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। मौजूदा समय में स्वास्थ्य महकमे के मुताबिक राज्य में 2200 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बन चुके हैं।

बाल स्वास्थ्य की स्थिति में आएगा सुधार

स्वास्थ्य सचिव हेकाली झिमोमी के मुताबिक सरकार लगातार मां व बच्चे की सेहत पर ध्यान केन्द्रित कर रही है। यूनिवर्सिटी आफ मेनोटोबा एवं इंडिया हैल्थ एक्शन ट्रस्ट के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग की ओर से संचालित चाइल्ड हेल्थ प्रोजेक्ट ने इसको नया आयाम दिया है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के बेहतर प्रयासों को अन्य जिलों में भी लागू कर प्रदेश में बाल स्वास्थ्य की स्थिति में और सुधार लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि नर्स एजूकेटर के रूप में स्वास्थ्य विभाग के परिवार में एक और सदस्य जुड़ गया है जो जमीन पर अच्छा काम कर रही है।

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इधर, एनएचएम महाप्रबंधक डा. वेद प्रकाश भी मानते है कि मातृत्व व बाल स्वास्थ्य के बीच समन्यव बढ़ाने की जरूरत है। महिला और पुरुष सरकारी अस्पतालों में आपस में समन्यव बढ़ाने की भी आवश्यकता है। डा. वेद के मुताबिक सरकार एसएनसीयू को बेहतर करने जा रही है। इसके अलावा कंगारू मदर केयर (केएमसी) सेंटर बढ़ाने पर विचार चल रहा है।

एनएचएम के महाप्रबंधक (कम्युनिटी प्रोसेस) डा. राजेश झा कहते हैं कि आशाएं बहुत अच्छा काम कर रही हैं। उन्हें सिर्फ प्रोत्साहित करने की जरूरत है। ये आज की सबसे बड़ी जरूरत है। सरकार ने उनके लिए परफार्मेंस आधारित इंसेटिव शुरू किया है। स्वास्थ्य सेक्टर में आए इस बदलाव को यहां काम कर रहे निजी संगठन भी महसूस कर रहे हैं।

बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन

बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) के डिप्टी डायरेक्टर डा. देवेन्द्र कहते हैं कि वह कई प्रदेशों व तकरीबन 200 जिलों में काम कर रहे हैं लेकिन जिस तरह यूपी में मेडिकल कालेजों का जिला व ब्लाक स्तरीय स्वास्थ्य इकाईयों को सहयोग है वह वाकई काबिले तारीफ है।

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उन्होंने बताया कि जिस तरह से एनएचएम लगातार चिकित्सकों की नियुक्तियों के लिए प्रयास कर रहा है, उससे आने वाले दिनों में और बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे। स्वास्थ्य निदेशक डा. ज्ञान प्रकाश का कहना है कि हम कोशिश करेंगे कि ज्यादा से ज्यादा प्रशिक्षित चिकित्सक व पैरा मेडिकल स्टाफ स्वास्थ्य केन्द्रों में तैनात कर सकें ताकि मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिल सके।

आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी के बीच समन्यवय बढ़ाया जाएगा। इसके लिए उनकी एक साथ ट्रेनिंग कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र में आशाओं की कमी है। सिर्फ स्लम इलाके में ही आशाएं काम कर रही हैं जिन्हें बढ़ाया जाना है।

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