करवा माता जेल मेंः धूमधाम से हुआ स्वागत, महिला बंदियों ने किया श्रृंगार

नारी बंदी निकेतन में करवाचौथ मनाने की तैयारी बीते एक सप्ताह से चल रही थी। बंदी निकेतन के अंदर का माहौल बदला हुआ था। करवाचौथ पर व्रत रखने के लिए महिला कैदियों ने तैयारियां शुरू कर दी थी तथा दो दिन पहले ही जेल अधीक्षक को सभी पूजन की सूची सौंप दी गई थी।

Update:2020-11-05 10:29 IST
करवा माता जेल मेंः धूमधाम से हुआ स्वागत, महिला बंदियों ने किया श्रृंगार (Photo by social media)

लखनऊ: यूपी समेत पूरे देश में बुधवार को करवाचौथ का त्योहार मनाया गया। पत्नियों ने अपने पतियों की लंबी आयु के लिए व्रत रखा और चंद्रोदय पर चंद्र दर्शन कर व अध्र्य दे कर अपना व्रत खोला। इस अवसर पर राजधानी लखनऊ। नारी बंदी निकेतन में निरूद्ध 232 सजायाफ्ता महिला कैदियों में से 228 विवाहिता महिला कैदियों ने गीत गाए और विधि विधान से पूजा अर्चना कर अपने पतियों की लंबी आयु की प्रार्थना की तथा चंद्र दर्शन कर अपना व्रत खोला। नारी बन्दी निकेतन लखनऊ की जेल अधीक्षक नयनतारा बनर्जी ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है कि करवाचौथ के अवसर पर एक साथ विधि-विधान से चांद देखकर महिला कैदियों के द्वारा पूजा अर्चना की गई।

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नारी बंदी निकेतन में करवाचौथ मनाने की तैयारी बीते एक सप्ताह से चल रही थी

नारी बंदी निकेतन में करवाचौथ मनाने की तैयारी बीते एक सप्ताह से चल रही थी। बंदी निकेतन के अंदर का माहौल बदला हुआ था। करवाचौथ पर व्रत रखने के लिए महिला कैदियों ने तैयारियां शुरू कर दी थी तथा दो दिन पहले ही जेल अधीक्षक को सभी पूजन की सूची सौंप दी गई थी। जिसमे नई साड़ी से लेकर पूजन में प्रयोग होने वाली सभी सामग्री शामिल थी। बंदी निकेतन में ही सजी-संवरी इन सुहागिनों के श्रंगार और मंगलगीतों से हर ओर खुशी बिखरी हुई थी और सुहागिने नाच रही थी। लग ही नहीं रहा था कि यह सब नारी बंदी निकेतन में हो रहा है। इनमे से ज्यादातर को आजीवन कारावास काटना है।

जेल अधीक्षक नयनतारा बनर्जी ने बताया

जेल अधीक्षक नयनतारा बनर्जी ने बताया कि सजायाफ्ता महिला बंदियों के लिए राज्य के इस अकेले बंदी निकेतन में यूपी के विभिन्न जेलों से उन महिला बंदियों को रखा जाता है, जिनके आरोप साबित होने के बाद उन्हे सजा सुना दी गई हो। उन्होंने बताया कि यहां आजीवन कारावास और फांसी की सजा से दंडित की गई महिला बंदी भी रखी जाती है।

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मौजूदा समय में यहां कुल 232 सिद्ध दोष महिला बंदी निरुद्ध हैं। जिसमें 200 महिलाएं आजीवन कारावास की है। शेष 32 महिलाएं 10 वर्ष की सजा से दंडित हैं। 232 में से 228 महिला बंदी विवाहित हैं। जबकि 04 अविवाहित हैं।

मनीष श्रीवास्तव

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