लापरवाह आगरा पुलिस: तबाह हो गया ये परिवार, 5 साल बाद बेगुनाह साबित
बाह क्षेत्र के जरार निवासी योगेंद्र सिंह का एक 5 साल का बेटा था- रंजीत सिंह, जिसे प्यार से सब चुन्ना बुलाते थे। 1 दिसंबर 2015 की शाम 5.30 बजे उसने अपनी मां को बताया कि वह अंबरीश गुप्ता की दुकान पर जा रहा है।
प्रवीण शर्मा
आगरा। उत्तर प्रदेश के जिला आगरा में पांच साल बाद एक दंपति को इंसाफ मिला है। मासूम की हत्या के मामले में पांच साल से जेल में बंद दपति को कोर्ट ने बेगुनाह पाते हुए बाइज्जत बरी कर दिया है। अब दंपति नरेंद्र सिंह और नजमा जेल से बाहर आ गए हैं। पुलिस ने दोनों को एक मासूम की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था, जबकि हत्या किसी और ने की थी। इस मामले में कोर्ट ने हत्यारोपी को पकड़ने और विवेचक के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं इसके साथ ही भुक्तभोगी दंपत्ति को प्रतिकर मुआवजा दिलाने को भी कहा है।
क्या है मामला
बाह क्षेत्र के जरार निवासी योगेंद्र सिंह का एक 5 साल का बेटा था- रंजीत सिंह, जिसे प्यार से सब चुन्ना बुलाते थे। 1 दिसंबर 2015 की शाम 5.30 बजे उसने अपनी मां को बताया कि वह अंबरीश गुप्ता की दुकान पर जा रहा है. यह कह कर चुन्ना घर से निकल गया. लेकिन जब रात तक लौटकर नहीं आया तो योगेंद्र सिंह ने बेटे की तलाश शुरू की. उस समय अंबरीश की दुकान बंद मिली. लोगों ने मासूम को बहुत ढूंढा, लेकिन वह नहीं मिला।
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मासूम के पिता ने लगाए थे ये आरोप
2 सितंबर 2015 को सुबह 11.00 बजे कोतवाल धर्मशाला के पास बृह्मचारी गुप्ता के बंद पड़े मकान में रंजीत का शव पाया गया. उस समय योगेंद्र सिंह ने केस दर्ज करा कर मोहल्ला मस्जिद निवासी नरेंद्र सिंह और उसकी पत्नी नजमा को हत्यारोपी बताया था. योगेंद्र का कहना था कि उसका नरेंद्र सिंह से काफी दिन पहले झगड़ा हुआ था. तब दंपति ने उसे धमकी दी थी. इसके अलावा, योगेंद्र ने यह भी कहा था कि मासूम की हत्या के एक दिन पहले उसने रंजीत को नजमा की गोद में बैठे देखा था. योगेंद्र का आरोप था कि दोनों ने रंजिश में चाकुओं से गोदकर चुन्ना को मार डाला.
जेल भेजे जाने के समय थी 3 साल की बेटी
जेल से रिहा हुए नरेंद्र और नजमा का कहना है कि उनसे कभी योगेंद्र का विवाद नहीं हुआ था. योगेंद्र ने उन लोगों को गलत फंसा दिया, लेकिन न्यायपालिका पर उनको भरोसा था. उन्हें अदालत ने निर्दोष साबित कर दिया है. 5 साल पहले जब नजमा और उसके पति नरेंद्र को जेल भेजा गया था, उस वक्त नजमा की एक तीन साल की बेटी और 5 साल का बेटा था. जो अब 5 साल बाद कहां हैं, उन्हें नहीं पता. दोनों का कहना है कि इस पूरे मामले की जांच पड़ताल हो और पुलिस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन असली हत्यारे भी सामने आने चाहिए. तभी वह दोनों अपने गांव वापस जा सकेंगे.
बेगुनाह साबित करने के लिए जुटे रहे एडवोकेट
नरेंद्र गांव में ही सब्जी और चूड़ी की दुकान चलाते थे. साथ ही, धर्मशाला के एक स्कूल में 5वीं क्लास तक के बच्चों को पढ़ाते थे. लेकिन, अब वह सारे काम बंद हो गए हैं. उनके सामने जेल से रिहा होने के बाद रोजी-रोटी कमाने का कोई साधन नहीं है. नरेंद्र और नजमा अब अपने बच्चों की तलाश कर रहे हैं. दंपति के एडवोकेट बंशो बाबू ने ये केस बड़ी बारीकी से लड़ा. कोर्ट में दोनों की बेगुनाही के सबूत दिए. तब जाकर दोनों को 5 साल बाद बेगुनाह साबित करा सके. अब दोनों के बच्चों की तलाश की जा रही है.
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5 साल जेल में रहने के लिए मिलेगा मुआवजा
बता दें, अपर जिला जज ने एसएसपी को पत्र लिखकर विवेचक के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं. निर्दोषों को पांच साल तक जेल में रखने पर उन्हें बतौर प्रतिकर मुआवजा दिलाने का नोटिस भी जारी किया है. विवेचक अलीगढ़ के क्राइम ब्रांच प्रभारी ब्रह्म सिंह थे. बताया जा रहा है कि अब वह रिटायर हो चुके हैं. अब बड़ा सवाल यह है कि दंपति ने बेगुनाह होते हुए भी 5 साल जेल में काटे हैं, उनका ये समय कौन वापस करेगा? 5 साल से उनके बच्चे उनके पास नहीं हैं, इसका जिम्मेदार कौन है?यह भी आदेश दिया है कि जांच अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई कर दोबारा जांच शुरू कर असली हत्यारों का पता लगाया जाए।
चुन्ना कभी घर नहीं लौटा
बाह क्षेत्र के जरार निवासी योगेंद्र सिंह का एक पांच साल का बेटा रंजीत सिंह था। उसे प्यार से सब चुन्ना बुलाते थे। एक दिसंबर 2015 की शाम 5.30 बजे उसने अपनी मां को बताया कि वह अंबरीश गुप्ता की दुकान पर जा रहा है। यह कह कर चुन्ना घर से निकल गया, लेकिन जब रात तक लौटकर नहीं आया तो योगेंद्र सिंह ने बेटे की तलाश शुरू की। उस समय अंबरीश की दुकान बंद मिली। लोगों ने मासूम को बहुत ढूंढा, लेकिन वह नहीं मिला।
मासूम के पिता ने लगाए थे ये आरोप
2 सितंबर 2015 को पूर्वान्ह 11 बजे कोतवाल धर्मशाला के पास बृह्मचारी गुप्ता के बंद पड़े मकान में रंजीत का शव पाया गया। उस समय योगेंद्र सिंह ने केस दर्ज करा कर मोहल्ला मस्जिद निवासी नरेंद्र सिंह और उसकी पत्नी नजमा को हत्यारोपी बताया था। योगेंद्र का कहना था कि उसका नरेंद्र सिंह से काफी दिन पहले झगड़ा हुआ था। तब दंपति ने उसे धमकी दी थी। इसके अलावा योगेंद्र ने यह भी कहा था कि मासूम की हत्या के एक दिन पहले उसने रंजीत को नजमा की गोद में बैठे देखा था। योगेंद्र का आरोप था कि दोनों ने रंजिश में चाकुओं से गोदकर चुन्ना को मार डाला।
न्यायपालिका पर उनको था भरोसा
जेल से रिहा हुए नरेंद्र और नजमा का कहना है कि उनसे कभी योगेंद्र का विवाद नहीं हुआ था। योगेंद्र ने उन लोगों को गलत फंसा दिया, लेकिन न्यायपालिका पर उनको भरोसा था। उन्हें अदालत ने निर्दोष साबित कर दिया है। पांच साल पहले जब नजमा और उसके पति नरेंद्र को जेल भेजा गया था, उस वक्त नजमा की एक तीन साल की बेटी और 5 साल का बेटा था। उनके दोनों बच्चे कहां हैं, उन्हें नहीं पता। दोनों का कहना है कि इस पूरे मामले की जांच हो और पुलिस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। असली हत्यारे सामने आने के बाद ही दोनों अपने गांव वापस जा सकेंगे।
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बच्चों की तलाश
नरेंद्र गांव में ही सब्जी और चूड़ी की दुकान चलाते थे। साथ ही धर्मशाला के एक स्कूल में 5वीं क्लास तक के बच्चों को पढ़ाते भी थे। लेकिन, अब वह सारे काम बंद हो गए हैं। जेल से रिहा होने के बाद उनके सामने रोजी-रोटी कमाने का कोई साधन नहीं है। नरेंद्र और नजमा अब अपने बच्चों की तलाश कर रहे हैं।
अधिवक्ता ने बारीकी से लड़ा यह केस
दंपति के अधिवक्ता बंशो बाबू ने ये केस बड़ी बारीकी से लड़ा।कोर्ट में दोनों की बेगुनाही के सबूत दिए। तब जाकर दोनों को पांच साल बाद बेगुनाह साबित करा सके। अब दोनों के बच्चों की तलाश की जा रही है।
दंपत्ति मिलेगा मुआवजा
अपर जिला जज ने एसएसपी को पत्र लिखकर विवेचक के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं। निर्दोषों को पांच साल तक जेल में रखने पर उन्हें बतौर प्रतिकर मुआवजा दिलाने का नोटिस भी जारी किया है।विवेचक अलीगढ़ के क्राइम ब्रांच प्रभारी ब्रह्म सिंह थे। बताया जा रहा है कि अब वह रिटायर हो चुके हैं।
बड़ा सवाल
अब बड़ा सवाल यह है कि दंपति ने बेगुनाह होते हुए भी पांच साल जेल में काटे हैं। उनका यह समय कौन वापस करेगा? पांच साल से उनके बच्चे उनके पास नहीं हैं, इसका जिम्मेदार कौन है?
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