UP Police: पुलिस की दोस्ती से बदल रही है 25 बच्चों की जिंदगी

UP Police: पहले ये थे हॉकर, अब पुलिस लगा रही है बच्चों की पाठशाला। एसीपी ताज सुरक्षा का कहना है कि बच्चे पढ़़ लिख कर अपने भविष्य को बेहतर बना सकते हैं। बच्चों को मोटिवेट किया जा रहा है। उनको पढ़ने लिखने के लिए जागरूक किया जा रहा है। हफ्ते में तीन दिन बच्चों की पाठशाला लगाई जाती है।

Update:2023-05-18 05:00 IST
पुलिस की दोस्ती से बदल रही है 25 बच्चों की जिंदगी: Photo- Newstrack

Agra News: उत्तर प्रदेश के आगरा में पुलिस की 25 बच्चों से दोस्ती हो गई है। एसीपी ताज सुरक्षा इन बच्चों के दोस्त बन गए हैं। कुछ समय पहले तक यह बच्चे पुलिस को देख कर डर जाते थे। जहां रास्ता मिलता था भाग जाते थे। पुलिस को देखते ही छुप जाते थे, लेकिन अब समय और हालात बदल गए हैं। बच्चे और पुलिसकर्मी आपस में दोस्त बन गए हैं।

बच्चों की किस्मत को बदल देने वाली यह कहानी एसीपी ताज सुरक्षा सैयद अरीब अहमद ने खुद लिखी है। कहानी बेहद दिलचस्प है। नायाब इमारत ताजमहल पर लपके और हॉकरों की चहलकदमी हमेशा नजर आई है। ये सभी 25 बच्चे ताजमहल पर हॉकर का काम करते थे। हॉकर माने,,,, वो लोग जो ताजमहल आने वाले पर्यटकों को जबरन छोटा मोटा सामान बेचने का काम करते है। ये सभी बच्चे भी ताजमहल पर हॉकर का काम करते थे। कम उम्र का फायदा उठाकर ताजमहल आने वाले पर्यटकों को परेशान करते थे। ताजमहल से बाहर निकलते ही पर्यटकों को घेर लेते थे। साहब ये सामान ले लीजिए कहते कहते उनका पीछा किया करते थे।

पुलिस बनी बच्चों की दोस्त

पुलिस भी बच्चों की उम्र को देखकर चुप रह जाती थी। बच्चों के चेहरे की मासूमियत देखकर पिघल जाती थी। पुलिस की तमाम कोशिशों के बाद भी बच्चों की आदतों में कोई सुधार नहीं आया। इस बीच एसीपी ताज सुरक्षा ने नया कदम उठाया। बच्चों को अपने पास बुलाया। बच्चों से बातचीत की। अपनी बातों से बच्चों का भरोसा जीता। बच्चों को अपना दोस्त बना लिया। अब पुलिस बच्चों को ट्रेनिंग दे रही है। बच्चों की पाठशाला लगा रही है।

पाठशाला में बच्चों को स्किल डेवलपमेंट के बारे में जानकारी दी जाती है। बच्चों की स्कूलिंग करवाई जा रही है। पुलिस बच्चों के माता-पिता से भी मिलती है। उन्हें भी जागरूक कर रही है। एसीपी ताज सुरक्षा का कहना है कि बच्चे पढ़़ लिख कर अपने भविष्य को बेहतर बना सकते हैं। बच्चों को मोटिवेट किया जा रहा है। उनको पढ़ने लिखने के लिए जागरूक किया जा रहा है। हफ्ते में तीन दिन बच्चों की पाठशाला लगाई जाती है।

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