बिखर गया गठबंधन!, मायावती के बाद अखिलेश यादव का आया बड़ा बयान

लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन टूटने की कगार पर पहुंच चुका है। मायावती और अखिलेश के आए बयानों से साफ हो चुका है कि गठबंधन की गांठ खुल चुकी है।

Update: 2019-06-04 07:33 GMT

लखनऊ: लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन टूटने की कगार पर पहुंच चुका है। मायावती और अखिलेश के आए बयानों से साफ हो चुका है कि गठबंधन की गांठ खुल चुकी है। एक तरफ बसपा सुप्रीमो मायावती ने अखिलेश यादव को नसीहत देते हुए उपचुनाव अकेले लड़ने का ऐलान किया है, तो वहीं दूसरी ओर अखिलेश यादव ने भी मौजूदा हालात में गठबंधन की राहें अलग होने पर मुहर लगा दी है।

बता दें कि लोकसभा चुनाव में गठबंधन ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया था और बसपा को 10 और सपा को 5 सीटें ही हासिल हुई थीं।

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अखिलेश यादव गाजीपुर में सपा कार्यकर्ता के परिजनों से मिलने पहुंचे थे। यहां उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद सबसे ज्यादा राजनैतिक हत्याएं हो रही हैं। गठबंधन को लेकर यही कहूंगा कि अगर गठबंधन टूटा है तो उस पर बहुत सोच-समझकर बोलेंगे। हम कुछ कहें, कोई कुछ कहे, आप आंकलन करें। उपचुनाव की तैयारी सपा भी करेगी। 11 सीटों पर वरिष्ठ नेताओं से राय-मशविरा करके पार्टी चुनाव लड़ेगी। रास्ते अलग-अलग हैं तो उसका भी स्वागत और सबको बधाई।'

बता दें कि यूपी के गाजीपुर में सपा कार्यकर्ता विजय यादव की हत्या हुई थी। अखिलेश ने कहा कि गठबंधन जरूरी नहीं है। मेरे लिए जरूरी है जिसकी हत्या हुई है उसे न्याय मिले। समाजवादी सरकार थी तो मदद होती थी आज लोगों की मदद नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि यह सरकार कानून व्यवस्था पर ध्यान नहीं दे रही है। आजमगढ़ से गाजीपुर रवाना होने से पहले भी अखिलेश ने गठबंधन से अलग होने के संकेत देते हुए कहा था कि 2022 में यूपी में सपा की सरकार बनेगी।

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गौरतलब है कि इससे पहले मायावती ने मीडिया से बात करते हुए एक तरफ अखिलेश और डिंपल के साथ हमेशा के लिए रिश्ते बने रहने की बात कही तो दूसरी तरफ फिलहाल चुनावी राजनीति में अकेले ही आगे बढ़ने की भी पुष्टि की। मायावती ने लोकसभा चुनाव में करारी हार का ठीकरा समाजवादी पार्टी पर फोड़ते हुए कहा कि उन्हें यादव वोट ही नहीं मिले।

मायावती ने कहा, 'कन्नौज में डिंपल, बदायूं में धर्मेंद यादव और फिरोजाबाद में अक्षय यादव की हार हमें सोचने पर मजबूर करती है। इनकी हार का हमें भी बहुत दुख है। साफ है कि इन यादव बाहुल्य सीटों पर भी यादव समाज का वोट सपा को नहीं मिला। ऐसे में यह सोचने की बात है कि सपा का बेस वोट बैंक यदि उससे छिटक गया है तो फिर उनका वोट बसपा को कैसे गया होगा।'

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