लखनऊ: सीएम अखिलेश यादव ने बीते आम बजट से ठीक दो दिन पहले 27 फरवरी को वित्त मंत्री अरुण जेटली को लेटर लिखा है। इसमें उन्होंने केंद्रीय बजट 2016-17 में यूपी की जरूरतों से जुड़े प्रस्तावों पर खास ध्यान देने का आग्रह किया है। लेकिन लेटर की टाइमिंग को लेकर सवाल उठ रहा है।
देश का आम बजट 29 फरवरी यानि सोमवार को पेश हो रहा है। सामान्य तौर पर बजट बनाने की प्रक्रिया सितंबर से ही शुरू हो जाती है। ऐसे में जब बजट सीलबंद हो चुका हो, उस समय केंद्र सरकार को लेटर लिखने का क्या फायदा होगा? विपक्षी दल इसे सियासी ड्रामा बता रहे हैं।
रेल बजट से दो दिन पहले लिखा था लेटर
इसी तरह सीएम अखिलेश यादव ने 23 फरवरी को रेल मंत्री सुरेश प्रभु को पत्र लिखा था और रेल बजट 25 फरवरी को ही पेश होना था।
'बीजेपी ने साधा निशाना'
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक का कहना है कि पहले रेल बजट और अब आम बजट पेश होने के दो दिन पहले केंद्र को लेटर लिखा गया। मुख्यमंत्री वित्त मंत्री के तौर पर राज्य का बजट पेश कर चुके हैं। वह जानते हैं कि बजट में वित्तीय स्वीकृतियां, वित्तीय संशोधन और स्वीकार्यता कब होती है।
'केंद्र पर आरोप लगा काम चलाना चाहती है सरकार'
-विजय बहादुर पाठक ने कहा कि हर मोर्चे पर नाकाम सरकार केंद्र पर आरोप मढ़कर अपना काम चलाना चाहती है। इसलिए चिट्ठी पर चिट्ठी की राजनीति कर रही है। सरकार को अपनी नाकामी छिपाने और ठीकरा फोड़ने के लिए किसी का सर चाहिए।
सिर्फ दिखावे की बात करते हैं सीएम : कांग्रेस
कांग्रेस के वीरेंद्र मदान का कहना है कि सीएम अखिलेश यादव पिछले तीन-चार महीने से जो निर्णय कर रहे हैं। वह सब सिर्फ 2017 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए कर रहे हैं। अगर यह यूपी के विकास के लिए इतने गंभीर हैं तो पिछले चार साल से क्या कर रहे हैं। यह सिर्फ दिखावे की बात करते हैं।
क्या है बजट निर्माण की प्रक्रिया
-बजट निर्माण की प्रक्रिया सितंबर से शुरू हो जाती है।
-इसके लिए सभी मंत्रालयों, विभागों और स्वायत्त निकायों को सर्कुलर भेजा जाता है।
-उनसे आगामी वित्तीय वर्ष के खर्चे, परियोजनाओं का ब्यौरा और फंड की जरूरतों का विवरण मांगा जाता है।
-इस तरह बजट की रूपरेखा तैयार होती है।