इलाहाबाद HC ने योगी सरकार को दी राहत, अस्थायी खनन नीति को मंजूरी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को योगी सरकार की अस्थाई खनन नीति को मंजूरी दे दी। सरकार को कोर्ट ने कहा कि वह ई-टेंडरिंग से बालू खनन का परमिट जारी कर सकेगी।

Update:2017-05-02 01:17 IST
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इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को योगी सरकार की अस्थाई खनन नीति को मंजूरी दे दी। सरकार को कोर्ट ने कहा कि वह ई-टेंडरिंग से बालू खनन का परमिट जारी कर सकेगी। कोर्ट के आदेश से बालू खनन पर लगी रोक अब हट जाएगी।

कोर्ट ने अवैध बालू खनन को लेकर दायर सभी याचिकाएं निस्तारित कर दीं। कोर्ट ने कहा है कि ई-टेंडरिंग से बालू खनन 6 महीने तक ही की जा सकेगी और इसके बाद सरकार की खनन को लेकर बनाई जाने वाले नीति के अनुसार खनन के पट्टे जारी होंगे।

नई नीति के अनुसार, सरकार एक कमेटी गठित करेगी जो खनन एरिया और खनन मात्रा का निर्धारण करेगी। निर्धारित मात्रा से अधिक खनन अनुमति नहीं होगी।

सरकार को नियमों में बदलाव करने की छूट रहेगी 15 जून के बाद 5 साल के लिए स्थाई नीति के तहत ई-टेंडरिंग से दिया खनन खनन पट्टा दिया जाएगा। चीफ जस्टिस डी.बी.भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंड पीठ ने यह आदेश दिया है।

गौरतलब है कि 22 अप्रैल 2017 को राज्य सरकार ने शासनादेश जारी कर नई खनन नीति लागू की है। हाईकोर्ट ने रुल्स 9 ए के तहत खनन में किसी भी व्यक्ति को वरीयता न देने और नियमानुसार खनन पट्टा आवंटित करने का भी आदेश दिया है।

 

अगली स्लाइड में पढ़ें हाईकोर्ट में फाइल गायब होने पर ज‍िम्मेदार के ख‍िलाफ दर्ज होगा मुकदमा

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट के अनुभागों से यदि पत्रावलियां गायब हुई तो जिम्मेदार कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच के साथ-साथ मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा। हाईकोर्ट के महानिबंधक डीके सिंह ने इस आशय का कार्यालय पत्र जारी कर कर्मचारियों को सूचित किया है। इस आदेश से कर्मचारियों में हड़कम्प है। दरअसल, महानिबंधक ने यह आदेश हाईकोर्ट द्वारा रामसिंह और अन्य बनाम यूपी राज्य के मामले में पारित आदेश के अनुपालन में जारी किया है।

रामसिंह केस में हाईकोर्ट ने पत्रावलियां गायब होने की समस्या को गंभीरता से लेते हुुए निर्देश दिया था कि पत्रावली गायब होने की स्थिति में विभागीय जांच के साथ ही प्राथमिकी दर्ज कराई जाए। कोर्ट महानिबंधक ने ऐसे मामलों का पता लगाने के लिए कहा है कि पत्रावली गायब होने के कितने मामले लंबित हैं।

दूसरी ओर, हाईकोर्ट कर्मचारी अधिकारी संघ के पूर्व महासचिव बृजेश कुमार शुक्ल ने बताया कि हाईकोर्ट के अनुभागों में फाइलों के रख-रखाव की गंभीर समस्या है। कर्मचारियों के लिए कार्य करने का कोई स्थान नहीं है। पत्रावलियों को सुरक्षित रखने के संसाधन भी उपलब्ध नहीं हैं।

कार्य का मानक तय करने तथा तय मानक के आधार पर आवश्यक स्थान और कर्मचारी उपलब्ध कराने की मांग काफी समय से लंबित है। कर्मचारियों द्वारा दायित्व निर्वहन हेतु मानवीय वातावरण तैयार करने और अनुभागों के पुनर्गठन की आवश्यकता है। यदि यह मांगें पूरी हो जाती हैं तो पत्रावलियों के गायब होने की संभावना न्यूनतम हो जाएगी। वर्तमान समय में कर्मचारी काफी डरा हुआ है।

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