मस्जिदों में लाउड स्पीकर पर कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- बिगड़ता है सामजिक संतुलन

Update:2020-01-21 11:10 IST

लखनऊ: मस्जिदों में लाउडस्पीकर और एम्प्लीफायर (loudspeaker in Mosque) के इस्तेमाल पर लगी रोक हटाने को लेकर दायर याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad high court) ने ख़ारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि मस्जिदों से लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक हटाने से सामाजिक संतुलन बिगड़ जाएगा। बता दें कि दो समुदायों में विवाद को रोकने के लिए एसडीएम ने किसी भी धामिक स्थल पर उन चीजों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर रोक के फैसले को बताया सही:

दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर लगी रोक को सही बताया है। याचिकाकर्ता की दलील थी कि वे मस्जिदों में रोजाना पांच बार दो मिनट के लिए इन उपकरणों के प्रयोग की अनुमति चाहते हैं। उन्होंने दावा किया कि इससे प्रदूषण या शांति व्यवस्था को खतरा नहीं है। यह उनके धार्मिक कार्यों का हिस्सा है, बढ़ती आबादी की वजह से लोगों को लाउडस्पीकर के जरिए नमाज के लिए बुलाना जरूरी हो जाता है।

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कोर्ट ने याचिका को किया खारिज:

वहीं जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस विपिन चंद्र दीक्षित की पीठ ने इसे नकारते हुए कहा कि भले ही संविधान का अनुच्छेद 25 (1) सभी नागरिकों को अपने धर्म को मानने और उसका प्रचार करने की अनुमति देता है। पर यह बुनियादी मूल्य है कि हाईकोर्ट को सामाजिक संतुलन बनाए रखने के लिए उचित ढंग से अपने विशेष न्यायिक क्षेत्राधिकार का उपयोग करना चाहिए। मौजूदा मामले में यह साफ है कि ऐसा कराने की जरूरत नहीं है। इससे सामाजिक असंतुलन पैदा हो सकता है।

इससे पहले भी इसी मुद्दे पर आ चुके आदेश:

गौरतलब है कि इससे पहले भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इससे जुड़े मुद्दे जा चुके हैं, जिन पर कोर्ट का फैसला समान रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने चर्च और गॉड केस में कहा था कि 'धर्म लाउड स्पीकर बजाने के लिए नहीं कहता।' इसके अलावा संत कुमार व अन्य मामले में हाईकोर्ट खंडपीठ ने कहा, 'आपका धर्म दूसरे की निजता प्रभावित नहीं कर सकता।'

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क्या है पूरा मामला:

दरअसल, उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले की शाहगंज तहसील के बद्दोपुर गांव में एसडीएम ने 15 जनवरी से 14 जुलाई 2018 तक मस्जिद अबू बकर सिद्दीकी में लाउड स्पीकर और एम्प्लीफायर लगाने की अनुमति दी थी। क्षेत्र में ही मौजूद एक अन्य मस्जिद रहमानी के लिए ऐसी कोई अनुमति नहीं ली गई थी। कुछ समय बाद रिपेयर करने के लिए उपकरण हटाए गए। आरोप है कि जब इन्हें वापस लगाया जा रहा था तो क्षेत्रीय पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इसपर मसरूर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

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हाईकोर्ट ने मार्च 2019 में याची को निर्देश दिए कि वे अनुमति के लिए एसडीएम को फिर से अर्जी दें। यह अर्जी दी गई और एसडीएम ने शाहगंज के सीओ से रिपोर्ट मंगवाई।

सीओ ने मई 2019 में रिपोर्ट दी कि क्षेत्र में हिंदू व मुस्लिम समुदायों की मिलीजुली आबादी रहती है। एक पक्ष को लाउड स्पीकर लगाने की अनुमति दी तो क्षेत्र की शांति प्रभावित होगी। एसडीएम और सीओ ने गांव का दौरा किया और पाया कि साउंड एम्प्लीफायर की वजह से क्षेत्र में तनाव है। ऐसे में एसडीएम ने किसी भी धर्म स्थल पर ये उपकरण लगाने की अनुमति नहीं दी।

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