UP News: इलाहाबाद HC का बड़ा फैसला, HIV शख्स को रोजगार या प्रमोशन देने से इंकार नहीं किया जा सकता
UP News: इलाहाबाद हार्ई कोर्ट ने एचआईवी से पीड़ित व्यक्तियों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। जिसके अनुसार कोई भी HIV से ग्रसित व्यक्ति को रोजगार या प्रमोशन देने से मना नहीं कर सकता है।
UP News: इलाहाबाद हार्ई कोर्ट ने एचआईवी से पीड़ित व्यक्तियों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि. कोई भी HIV से ग्रसित व्यक्ति को रोजगार या प्रमोशन देने से मना नहीं कर सकता हैं। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना ये फैसला सीआरपीएफ कांस्टेबल की याचिका पर सुनाया है। सीआरपीएफ ने कांस्टेबल के एचआईवी पॉजिटिव होने के बाद उन्हें प्रमोशन देने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद कांस्टेबल ने हाईकोर्ट में याचिका दी थी।
कोर्ट के सिंगल बेंच ने 24 मई कोई कांस्टेबल की अपील को खारिज कर दिया था। कांस्टेबल फिर से कोर्ट के आदेश को चुनौती दी। जिसके बाद जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने उस फैसले को पलट दिया। इसके साथ ही कांस्टेबल को प्रमोशन देने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, "किसी व्यक्ति के एचआईवी होने के कारण, उसे रोजगार या प्रमोशन से देने से इंकार करना गलत और भेदभावपूर्ण होगा''। ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 16 (राज्य रोजगार में गैर-भेदभाव का अधिकार) और 21 में निर्धारित सिद्धांतों का उल्लंघन हैं।
CRPF को दिए निर्देश
लखनऊ खंडपीठ की बड़ी बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश को रद्द कर करते हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल को निर्देश दिया है कि कांस्टेबल को तब से प्रमोशन दिया जाए, जब से उसके जूनियर्स को दिया गया है। इसके अलावा सीआरपीएफ में उस हेड कांस्टेबल की की तरह सभी लाभ दिए जाएं, जो सामान्य कर्मियों को दिए जाते हैं।
2010 में आया था ऐसा मामला
इससे पहले पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने साल 2010 में एचआईवी से पीड़ित एक आईटीबीपी जवान के पक्ष में इसी तरह का आदेश पारित किया था। बता दें सीआरपीएफ कांस्टेबल ने अपनी याचिका में कहा था कि साल 1993 में उसे नियुक्त किया गया था, लेकिन 2008 में एचआईवी पॉजिटिव हो गया था। हालांकि वह अपनी ट्यूटी करने के लिए फिट था।
ऐसे में उसे 2013 में प्रमोशन दिया गया, लेकिन 2014 में अचानक कैंसिल कर दिया गया। जिसके चलते वह आज भी कांस्टेबल के तौर पर ही काम कर रहा है।