गैंगरेप के आरोपी सपा विधायक की जमानत निरस्त एक अप्रैल तक समर्पण का समय

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सपा विधायक बदायूं निवासी तेजेन्द्र सागर उर्फ योगेन्द्र सागर की जमानत निरस्त कर दी है। विधायक पर बी.ए समाज शास्त्र की परीक्षा देने वाली छात्रा का अपहरण कर गैंगरेप करने का आरोप है। विधायक पिछले चार साल से सत्र न्यायालय के आदेश से जमानत पर था।

Update:2019-03-25 19:26 IST
प्रतीकात्मक फोटो

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सपा विधायक बदायूं निवासी तेजेन्द्र सागर उर्फ योगेन्द्र सागर की जमानत निरस्त कर दी है। विधायक पर बी.ए समाज शास्त्र की परीक्षा देने वाली छात्रा का अपहरण कर गैंगरेप करने का आरोप है। विधायक पिछले चार साल से सत्र न्यायालय के आदेश से जमानत पर था।

पीड़िता के पिता ने जमानत निरस्त करने की अर्जी दाखिल की थी जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए विधायक को एक अप्रैल 19 तक कोर्ट में समर्पण करने का निर्देश दिया है और कहा है कि यदि वह समर्पण नहीं करता है तो पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज दे और जरूरी होने पर विचारण न्यायालय के समक्ष पेश करे।

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यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने बिलसी बदायूं निवासी पीड़िता के पिता कुलदीप किशोर शर्मा की अर्जी को स्वीकार करते हुए दिया है। मालूम हो कि 23 अप्रैल 8 को परीक्षा देने गयी पीड़िता को कार से अपहरण कर लिया गया और ड्रग्स देकर बेहोश कर सामूहिक दुराचार किया गया। अपहरण में विधायक व साथी नीरज शर्मा शामिल था। 17 मई 08 को मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन से पीड़िता की बरामदगी की गयी। पुलिस ने अपहरण व गैंगरेप के आरोप में दर्ज मामले की जांच करते हुए फाइनल रिपोर्ट पेश की जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया और पीड़िता के पिता की आपत्ति को इस्तगासा मानकर कार्यवाही शुरू की। दो बार गैर जमानती वारंट व कुर्की के आदेश के बावजूद आरोपी विधायक कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ।

हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव को गिरफ्तार करे या कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया तो 3 जून 14 को विधायाक ने समर्पण किया। कुछ दिनों बाद सेवानिवृत्त हो जा रहे सत्र न्यायाधीश ने उसे जमानत दे दी। कहा लखनऊ-दिल्ली व अन्यत्र स्थान कहां पर दुराचार हुआ, स्पष्ट नहीं और विधायक पर अपहरण का आरोप भी नहीं है जिसे निरस्त करने की हाईकोर्ट में अर्जी दी गयी थी।

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कोर्ट ने कहा कि राजनैतिक छत्रछाया के चलते पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया। शीर्ष अधिकारी के हस्तक्षेप पर समर्पण कराया गया। आरोपी ने पीड़िता के परिवार को परेशान करने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। जमानत का दुरूपयोग किया। पांच साल बीत गये लेकिन विचारण पूरा नहीं हो सका। ऐसे में जमानत निरस्त किये जाने का पर्याप्त आधार है।

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