PWD में घोटाले की कैग रिपोर्ट को लागू करने का सरकार को निर्देश

Update:2017-11-23 03:04 IST

इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने लोक निर्माण विभाग उत्तर प्रदेश की सड़क निर्माण, चैड़ीकरण व मरम्मत के मद में 17 जिलों की एक हजार करोड़ के घोटाले की कैग रिपोर्ट की संस्तुतियों को लागू करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने मुख्य सचिव से कहा है कि वह कैग संस्तुतियों को लागू करने के कदम उठाए। साथ ही सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करें। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी बी भोसले तथा न्यायमूर्ति एम के गुप्ता की खण्डपीठ ने संभल के हरफारी गांव के निवासी भूपेन्द्र सिंह की जनहित याचिका पर दिया है।

याचिका पर अधिवक्ता अरविन्द कुमार मिश्र ने बहस की। याची का कहना है कि 17 जिलों आगरा, बस्ती, बदायूं, गाजीपुर, गोण्डा, गोरखपुर, हापुड़, हरदोई, झांसी, लखनऊ, मैनपुरी, मिर्जापुर, संभल, मुरादाबाद, सहारनपुर, सिद्धार्थनगर व उन्नाव में पीडब्ल्यूडी के सड़क निर्माण, चैड़ीकरण व मरम्मत के मद में मिले 2011 से 2016 की कैग ने आडिट रिपोर्ट पेश की।

राज्य सरकार की 1998 की सड़क विकास नीति के तहत 40,854.63 करोड़ रूपये का बजट जारी किया गया। 17 जिलों के 802 ठेकों की 4857.60 करोड़ की आडिट की गयी। इस आडिट में केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के बजट को शामिल नहीं किया गया। आडिट रिपोर्ट में कहा गया कि आज भी 40 हजार गांवों को सड़क से नहीं जोड़ा जा सका है। पांच साल के लिए स्वीकृत 40854.63 करोड़ के बजट से 77 फीसदी बजट सड़क चैड़ीकरण व मरम्मत में खर्च किये गये। केवल 23 फीसदी धन नई सड़क के निर्माण में खर्च किया गया था।

याची अधिवक्ता अरविन्द मिश्रा का कहना है कि लोनिवि के अधिकारियों ने कानून के विपरीत मनमानी ठेका देकर एक हजार करोड़ से अधिक का घोटाला किया है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने की संस्तुति की है। कैग रिपोर्ट राज्यपाल के मार्फत विधानसभा पटल पर 27 जुलाई 17 को रखा गया। सरकार ने अपने श्वेत पत्र में संस्तुतियों को लागू करने का आश्वासन दिया है। इसके बावजूद रिपोर्ट लागू नहीं किया गया है। अधिकारियों ने अपने चहेतोें को ठेके दे दिये व बिना काम के भुगतान भी कर दिया है।

प्लाट आवंटन में करोड़ों का स्टैम्प घोटाला जीडीए अधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश

इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रमुख सचिव आवास एवं नगर विकास विभाग को प्लाट आवंटन में करोड़ों का स्टैम्प घोटाला करने के आरोपी गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया है। साथ ही प्रमुख सचिव के निर्देशों का भी पालन करने तथा कार्यवाही रिपोर्ट 19 दिसम्बर को कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। प्रमुख सचिव ने प्लाटों के आवंटन निरस्त करने, स्टैम्प शुल्क नुकसान की वसूली करने तथा सरकार को 3.69 करोड़ का नुकसान पहुंचाने वाले जी.डी.ए के अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टण्डन तथा न्यायमूर्ति राजीव जोशी की खण्डपीठ ने राजेन्द्र त्यागी की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

कोर्ट के निर्देश पर प्रमुख सचिव ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि प्लाटों की पुनर्बहाली के बजाय नये सिरे से आवंटन किया गया। मण्डलायुक्त मुरादाबाद की अध्यक्षता में गठित टीम ने मामले की जांच की। जिसमें अधिकारियों द्वारा नियमों के विपरीत प्लाट आवंटन करने तथा बाजारी मूल्य पर स्टैम्प शुल्क के बजाय काफी कम रेट पर स्टैम्प शुल्क लेने के लिए प्राधिकरण के अधिकारियों को दोषी पाया गया है। प्रमुख सचिव ने आयुक्त की रिपोर्ट मिलते ही सरकार को हुए नुकसान की भरपायी करने सहित विभागीय कार्यवाही के निर्देश दिये हैं। प्लाटों का आवंटन निरस्त किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि सरकार को तीन करोड़ से अधिक का आर्थिक नुकसान पहुंचाना आपराधिक कृत्य है। जिसके लिए प्राथमिकी दर्ज की जाय ताकि घोटालेबाजों के दण्डित किया जा सके। कोर्ट ने कहा कि निरस्त आवंटन की पुनर्बहाली के नाम पर कम रेट पर नये सिरे से पाॅश इलाके में प्लाट आवंटित किये गये। कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों ने अपनी शक्तियों का दुरूपयोग करते हुए मनमाने कार्य किये। जिनसे नुकसान की वसूली सहित दण्ड देने की कार्यवाही की जानी चाहिए। कोर्ट ने प्रमुख सचिव से 19 दिसम्बर को कार्यवाही रिपोर्ट मांगी है।

वाराणसी के ढाब क्षेत्र में खनन की अनुमति पर केन्द्र से रिपोर्ट तलब

इलाहाबाद : हाईकोर्ट ने वाराणसी के ढाब क्षेत्र में बालू खनन की अनुमति दिए जाने के फायदे और नुकसान पर केन्द्र सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से रिपोर्ट मांगी है। ढाब क्षेत्र में खनन को लेकर दाखिल एक जनहित याचिका में कहा गया है कि अगर बालू खनन की अनुमति पर रोक नहीं लगायी जाती तो इससे ढाब क्षेत्र के निवासियों का अस्तित्व खतरे में है। याचिका पर केन्द्र से रिपोर्ट तलब कर हाईकोर्ट ने 11 दिसम्बर को इस मामले पर पुनः सुनवाई करने को कहा है। चन्द्रिका एवं कई अन्य की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस डी बी भोसले एवं जस्टिस एम के गुप्ता की खंडपीठ सुनवाई कर रही है।

याचिकाकर्ताओं का कहना था कि सरकार ने ढाब क्षेत्र के रामचन्दीपुर गांव में बालू खनन की अनुमति दे दी है। इससे वहां का पर्यावरण संतुलन बिगड़ जायेगा और ग्रामीणों को नुकसान होगा। कोर्ट ने इस पर प्रदेश सरकार से आवश्यक जानकारी तलब की थी। अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानन्द पाण्डेय ने कोर्ट को बताया कि बालू खनन की अनुमति ढाब क्षेत्र में नहीं दी गयी, बल्कि जहां दी गयी है वह स्थान गंगा की तलहटी है और वहां गंगा की मुख्य धारा थी। बताया गया कि बालू इकट्ठा होने से गंगा वहां दो धाराओं में बंट गयी थी और अगर बालू वहां से निकाली जाती तो गंगा की मुख्य धारा प्रभावित होगी। कहा गया कि खनन से गंगा की धारा अपने मूल स्वरूप में आ जायेगी।

याची के अधिवक्ता एम डी सिंह शेखर का कहना था कि वर्ष 2013 में ढाब क्षेत्र में खनन पर रोक लगा दी थी। अब कोर्ट की अनुमति के बगैर खनन की अनुमति देना गलत है। अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानन्द पाण्डेय का कहना था कि कोर्ट का रोक सशर्त था और पर्यावरण तथा वन मंत्रालय की रिपोर्ट आने तक ही सीमित था। चूंकि रिपोर्ट आ गयी थी, इस कारण खनन की अनुमति का आदेश गलत नहीं है। कोर्ट ने केन्द्र के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से पूछा है कि वह 15 दिन में बताए कि खनन की अनुमति जहां दी गयी है वह ढाब क्षेत्र में है अथवा नहीं और क्या वहां खनन से ढाब क्षेत्र के लोगों को फायदा होगा अथवा नुकसान।

जयगुरूदेव ट्रस्ट के अवैध कब्जे एवं निर्माण की जांच कर कार्रवाई का निर्देश

इलाहाबाद : हाईकोर्ट ने मथुरा में उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम की जमीन पर बाबा जयगुरूदेव धर्म प्रचार संस्था के अवैध कब्जे एवं अवैध निर्माण की मुख्य सचिव को जांच कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि मुख्य सचिव विभागीय सचिव से जांच कराए तथा अवैध निर्माण को ध्वस्त कराए।

अदालत ने बाबा जयगुरूदेव ट्रस्ट की ओर से जिला अदालत में लंबित सिविल वादों को तय कराने के लिए जिला जज को आदेश दिया है और मुख्य सचिव से लखनऊ खंडपीठ में लंबित याचिका को भी शीघ्र निर्णीत कराने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा है। कोर्ट ने विवादित भूमि पर किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगाते हुए पार्कों में ग्रीनरी लगाने का भी आदेश किया है। मुख्य सचिव को निर्देश दिया गया है कि वह 28 साल बीत जाने के बाद मास्टर प्लान में घोषित 5 पार्कों में ग्रीनरी न होने की भी जांच कराए और लापरवाह अधिकारियों पर भी कार्रवाई करे।

कोर्ट ने विभागीय कार्यवाही रिपोर्ट भी मांगी है। यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टंडन तथा न्यायमूर्ति राजीव जोशी की खंडपीठ ने राजेन्द्र सिंह की जनहित याचिका पर दिया है। मालूम हो कि मथुरा औद्योगिक विकास क्षेत्र की अधिग्रही जमीन पर ट्रस्ट ने अवैध कब्जा कर लिया है। याचिका पार्कों की जमीनों का उद्योगों के नाम आंवटन करने को लेकर याचिका दाखिल की गयी है। कोर्ट ने 5 पार्कों की जमीन खाली कराकर आवंटियों को अन्यत्र जमीन देने या पैसा वापसी का आदेश दिया तथा कहा कि पार्कों की बहाली की जाए। इस पर निगम ने कहा कि बाबा जयगुरूदेव ट्रस्ट ने पार्कों पर कब्जा कर रखा है। खाली कराकर आवंटियों को जमीन दी जायेगी।

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