अयोध्या पर फैसले से बाराबंकी और चित्रकूट में हुई अमन की पहल
अयोध्या मामले में फैसला आने में कुछ ही समय बचा है इसको लेकर चारो ओर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है मगर आज बाराबंकी में जो हुआ वह दिल को सुकून पैदा करने वाला था ।
अयोध्या : अयोध्या मामले में फैसला आने में कुछ ही समय बचा है इसको लेकर चारो ओर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है मगर आज बाराबंकी में जो हुआ वह दिल को सुकून पैदा करने वाला था। आज यहाँ हिन्दू मुस्लिम पक्ष के जिम्मेदार अगुआकारों ने इकट्ठा होकर अमन चैन बनाये रखने का सन्देश दिया । दोनों पक्षों के जिम्मेदार लोगों ने एक स्वर में कहा कि फैसला किसी भी पक्ष में आये मगर भाई चारा नही बिगड़ना चाहिए।
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शहर को अमन का पैगाम
बाराबंकी मुख्यालय आर आज समाजसेवी सरताज चौधरी की अगुवाई में शहर के नामी गिरामी लोगों का जमावड़ा रहा । यह जमावड़ा हिन्दू मुस्लिम पक्ष के उन अगुआकारों का था जिनकी बात को पूरा शहर कान लगा कर सुनता है ।
शहर के नामी गिरामी वकील , नेता , बुद्धिजीवी एक छत के नीचे आकर शहर को अमन का पैगाम देकर गए । इन बिद्धिजीवियों ने एक स्वर में कहा कि अयोध्या का फैसला किसी भी धर्म के हक में आये मगर इस फैसले से शहर और जिले का अमन नही बिगड़ना चाहिए ।
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आपसी प्रेम कभी नही बिगड़ा
भाजपा नेता सन्तोष सिंह ने इस मौके पर कहा कि बाराबंकी हमेशा से आपसी भाई चारे के लिए जाना जाता रहा है परिस्थितियां कैसी भी रही हो मगर यहाँ के लोगों में आपसी प्रेम कभी नही बिगड़ा है ।
अयोध्या का जो फैसला आने वाला है वह अपने आप में ऐतिहासिक तो होगा ही साथ ही साथ लम्बे इंतज़ार के बाद आने वाला होगा , इससे जिसके भी पक्ष में यह फैसला आये उसे अतिउत्साह नही दिखाना चाहिए ।
इस अतिउत्साह से ही सामाजिक सौहार्द बिगड़ता है । फैसले को शान्ति से स्वीकार करने की आवश्यकता है जिससे दूसरा पक्ष भी हताश न हो । आपसी प्रेम और भाई चारा बना रहे यह हम सबकी जिम्मेदारी है क्योंकि सभी अपने भाई है और हर धर्म की स्वीकार्यता भारतीयता का हमेशा से विशेषता रही है । इस लिए फैसले पर शान्ति और प्रेम के साथ भाई चारा बना रहना चाहिए ।
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अगर आपके किसी पड़ोसी को चोट भी पहुँचती
इस कार्यक्रम में शामिल होने आए मुस्लिम विद्वान और शहर काजी के पद को शुशोभित कर रहे मौलाना अबूज़र ने कहा कि इस्लाम कभी भाई चारा टूटे यह नही सिखाता बल्कि इस्लाम में तो यह बात तक कही गयी है कि अगर आपका पड़ोसी भूँखा है तो आपका भरपेट खाना हराम है पहले अपने पड़ोसी का पेट भरिये फिर अपने बारे में सोंचिये ।
इसलिए आपकी एक गलती से अगर आपके किसी पड़ोसी को चोट भी पहुँचती है तो यह कितना बड़ा पाप होगा यह बात आसानी से समझा जा सकता है । इस लिए फैसला कुछ भी आये किसी के भी हक़ में आये उसे सर्वोच्च अदालती फैसला मान कर उसका एहतराम करना चाहिए । आपसी प्रेम भाई चारा न बिगड़ने पाए ऐसा कोई कार्य नही करना चाहिए ।
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