नाराज हुए मुस्लिम धर्मगुरु, सीएम योगी से की कार्रवाई की मांग
मामले में रामनगर सीओ का पत्र भी अचानक वायरल हो रहा है, जिसमें कहा गया कि शख्स जमात में शामिल नहीं था। ऐसे में अब एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि भला किसकी बात मानी जाए। तो दूसरी तरफ अब इस मामले में मुस्लिम धर्मगुरू अपनी नाराजगी जता रहे हैं।
बाराबंकी: जिले में बीते दिनों एक कोरोना पॉजिटिव शख्स मिला। जिसके बाद जिलाधिकारी ने उसे तबलीगी जमात से जुड़ा बता दिया। डीएम ने बाकायदा ट्वीट और वीडियो बाइट के जरिये इसकी पुष्टि भी की। उनका कहना था कि जो लोग दिल्ली निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज में आयोजित जलसे में शामिल हुए थे उनकी पहली लिस्ट में इस शख्स का नाम नहीं था। लेकिन बाद में जानकारी मिली कि यह शख्स उस जमात में शामिल था। जिसके बाद 1 अप्रैल से उसे इंस्टीट्यूशनल क्वॉरेंटाइन किया गया था।
लेकिन उसके बाद इसी मामले में एक और वॉयरल पत्र में पॉजिटिव व्यक्ति के बारे में कहा गया कि वह शख्स 19 मार्च को सपरिवार देर रात गांव पहुंचा। यानी इस हिसाब से 20 मार्च से एक अप्रैल तक लगभग 10 दिन वह व्यक्ति और उसका परिवार गांव वालों के संपर्क में रहे। जो कि अब बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।
वायरल लेटर से गलत साबित हुआ डीएम का बयान
लेकिन अब इसी मामले में रामनगर सीओ का पत्र भी अचानक वायरल हो रहा है, जिसमें कहा गया कि शख्स जमात में शामिल नहीं था। ऐसे में अब एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि भला किसकी बात मानी जाए। तो दूसरी तरफ अब इस मामले में मुस्लिम धर्मगुरू अपनी नाराजगी जता रहे हैं। उनका कहना है कि प्रशासन जमातियों को बदनाम करने में लगा है। ऐसे में सीएम योगी को इसकी जांच कराकर कार्रवाई करनी चाहिये चाहिये।
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दरअसल मामला बंदोसराय कोतवाली क्षेत्र के मैलारायगंज गांव का है। जहां एक व्यक्ति कोरोना पॉजटिव पाया गया और वह एक अप्रैल की रात नहीं बल्कि 19 मार्च की रात को आया था। वह शख्स चारबाग रेलवे स्टेशन पर जांच कराने के बाद आसानी से परिवार सहित गांव आया और रह रहा था। यह बात बदोसराय कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक की ओर से अपर पुलिस अधीक्षक उत्तरी को जारी रिपोर्ट में कही गई। यह लेटर सोशल मीडिया पर वायरल है।
19 मार्च को सपरिवार दिल्ली से लखनऊ आया था
प्रभारी निरीक्षक बदोसराय की ओर से एएसपी उत्तरी को भेजे गए वॉयरल पत्र में पॉजिटिव व्यक्ति के बारे में कहा गया कि वह दिल्ली के शाहीन बाग बाटला हाउस में छह वर्ष से रहता है और एक इलेक्ट्रानिक की दुकान पर काम करता है। पत्नी के अलावा चार छोटे बच्चे हैं जिनकी आयु 10 वर्ष से कम है। 19 मार्च को सपरिवार दिल्ली से लखनऊ चारबाग रेलवे स्टेशन पर परीक्षण कराकर देर रात पैतृक गांव पहुंचा। पत्र में प्रभारी निरीक्षक ने थाने के एक सिपाही को उसकी निगरानी में लगाने की बात कही।
जबकि डीएम डॉ. आदर्श सिंह ने चार अप्रैल को अपने बयान में कहा कि एक अप्रैल को उनकी जानकारी में जैसे ही आया वैसे ही उसी दिन उसे अस्पताल में क्वारेंटाइन कर दिया गया। साथ ही प्रशासन की तरफ से जारी बयान में भी कहा गया कि एक अप्रैल की रात्रि को सूचना मिली कि निजामुद्दीन मरकज के तब्लीगी जमात में शामिल व्यक्तियों की सूची में एक व्यक्ति बदोसराय क्षेत्र का शामिल था। एक अप्रैल की रात्रि में ही उसे सिरौलीगौसपुर के अस्पताल में क्वारंटाइन किया गया।
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मुस्लिम धर्मगुरुओं ने कड़ी नाराजगी जताई
जांच के लिए रक्त का नमूना तीन अप्रैल को भेजा गया। चार अप्रैल को पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद उसे सतरिख सीएचसी में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। लेकिन अगर प्रभारी निरीक्षक बदोसराय के वायरल लेटर के मुताबिक 20 मार्च से एक अप्रैल तक यानी 10 दिन वह व्यक्ति व उसके परिवार के सदस्य गांव वालों के संपर्क में रहा। जो कि काफी खतरनाक साबित हो सकता है। इसके बाद अचानक रामनगर सीओ का एक लेटर वायरल हो गया जिसमें बताया गया कि कोरोना पॉजिटिव शख्स तबलीगी जमात में शामिल नहीं था।
तबलीगी जमात में शामिल नहीं था कोरोना पॉजिटिव शख्स
वहीं अब इस मामले में मुस्लिम धर्मगुरुओं ने कड़ी नाराजगी जताई है। इमाम कहना है कि जो शख्स कोरोना पॉजिटिव आया है, प्रशासन ने उसे तबलीगी जमात में शामिल बता दिया। जबकि उसका या उसके खानदाम में किसी का जमात से कोई लेना-देना ही नहीं है। इमाम ने बताया कि यह लोग दिल्ली में रहते जरूर थे, लेकिन कभी जमात में गए नहीं। ऐसे में मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग करता हूं कि इस मामले की जांच कराई जाए और आगे इस तरह की कोई भी खबर पूरी जांच-पड़ताल के बाद ही सामने आए।
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बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी ने बताया
वहीं इस मामले में बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी ने बताया कि जो भी समाचार पत्रों में यह वीडियो वायरल हो रहा है वह पूरी तरह से भ्रामक और आधारहीन है। जो व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाया गया है यह 19 मार्च को दिल्ली से वापस अपने गांव आया है। शुरुआती मेडिकल जांच में इसे कोई बुखार नहीं था, लेकिन क्योंकि यह बाहर से था इसलिए निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार से घर में क्वॉरेंटाइन करने के निर्देश दिए गए थे। घर में इसकी निगरानी के लिए जिला प्रशासन और पुलिस ने व्यवस्था बनाई थी।
निगरानी के दौरान एक अप्रैल को उच्च स्तर से एक सूची प्राप्त हुई जिसमें मोबाइल लोकेशन के आधार पर ऐसे लोगों को चिन्हित किया गया जो दिल्ली में संदीप स्थानों पर रहे। इस सूची में जब इस व्यक्ति का नाम आया तो इसे इंस्टिट्यूशन क्वॉरेंटाइन किया गया और इसका सैम्पल कोरोना जांच के लिए भेजा गया।
कोरोना पॉजिटिव आने के बाद इसे उच्च स्तर के अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके परिवार के लोगों को भी इसी ट्यूशन क्वॉरेंटाइन किया गया है और उनके भी जान सैंपल भेज दिए गए हैं। जहां तक शिवरामनगर के वायरल पत्र की बात है तो उन्होंने उस इलाके में कड़ी धूप में लगाने के लिए पत्र लिखा जिसमे गलती से यह इंगित हो गया कि वह जामात से आया हुआ व्यक्ति है।
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इसलिए उन्होंने सुधार के लिए एक पत्र दोबारा भेजा गया जिसमें कहा गया कि यह दिल्ली से आया हुआ व्यक्ति है और दिल्ली में यह बिजली का काम करता था। स्किन कहां जिले में पुलिस और प्रशासन के बीच वह भी विरोधाभास नहीं है। इसलिए इस तरह की भ्रामक खबर पर ध्यान नहीं देना चाहिए।