Lucknow Metro: सावधान! लखनऊ मेट्रो कॉरिडोर के आस-पास पतंग उड़ाना पड़ सकता है मंहगा, जा सकते हैं जेल
Lucknow Metro: मेट्रो रेलवे एक्ट 2017 के अध्याय 11 (अपराध एवं दंड) की धारा 78 एवं 82 के तहत मेट्रो संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर 10 साल की सजा तथा बिना वारेंट गिरफ्तारी का प्रावधान है।
Lucknow Metro: लखनऊ मेट्रो के नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर (मुंशीपुलिया से सीसीएस एयरपोर्ट मेट्रो स्टेशन) के बीच पतंगबाजी से लगातार मेट्रो सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। लखनऊ मेट्रो के अधिकारी लंबे समय से मेट्रो कॉरिडोर के आस-पास के इलाकों मे जा कर लोगों को मटैलिक मांझे से पतंगबाजी ना करने के लिए जागरूक करते रहे हैं। इसके बावजूद मटैलिक मांझे से पतंगबाजी का मामला लगातार सामने आ रहा है। लखनऊ मेट्रो ने इससे निपटने के लिए एवं पतंबाजों को चिन्हित करने के लिए ड्रोन कैमरे से कॉरिडोर की निगरानी करनी शुरु की है। मेट्रो रेलवे एक्ट 2017 के अध्याय 11 (अपराध एवं दंड) की धारा 78 एवं 82 के तहत मेट्रो संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर 10 साल की सजा तथा बिना वारेंट गिरफ्तारी का प्रावधान है।
मेट्रो कोरिडोर के आस-पास पतंग उड़ाने से न केवल मेट्रो सेवाओं को नुकसान होता है, बल्कि बिजली की आपूर्ति में भी कई बार बाधा आती है। चाइनीज और मटैलिक मांझे से पतंगबाजी करने से पतंग उड़ाने वालों की जान को भी खतरा रहता है।
मेट्रो ओवरहेड इलेक्ट्रिक वायर ओएचई लाइन 25 हजार वोल्ट की बिजली या 25 केवी के वोल्टेज की आपूर्ति करती है। मटैलिक मांझे से पतंग उड़ाने या उसके पास फंसी पतंग के कारण पतंग उड़ाने वाले को बिजली का झटका भी लग सकता है और यह घातक हो सकता है।
यह समझना भी जरूरी है कि जब कॉरिडोर पर मेट्रो ट्रेनें नहीं चल रही हों या यात्री सेवाएं बंद हों (रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक), तब भी ओवरहेड विद्युतीकरण के तार चार्ज होते हैं और बिजली का करंट मौजूद रहता है।
ऐसे में यूपीएमआरसी सभी नागरिकों से एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में सीसीएस एयरपोर्ट से मुंशीपुलिया तक पूरे मेट्रो कॉरिडोर के पास पतंगबाजी को पूरी तरह बंद करने के अभियान में सहयोग करने की अपील करता है। यह एक दंडनीय अपराध है जो सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है और इससे जानमाल का नुकसान भी हो सकता है।
चाइनीज मांझा से होने वाले नुकसान
- चाइनीज मांझा में पतंगबाजी के लिए धातु के प्रयोग से बिजली आपूर्ति बाधित होती है।
- स्टार्टर और मोटर बाइंडिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले तांबे के तारों के साथ-साथ कांटेदार धातु के तारों का इस्तेमाल पतंग काटने और लूटपाट के लिए भी किया जाता है।
- पतंगबाजी के इन तरीकों से राहगीरों के गले और आंखों पर गंभीर चोट लगती है और पशु-पक्षियों का जीवन भी प्रभावित होता है।
- भारतीय रेल के मेट्रो, पारेषण और वितरण के अलावा, राष्ट्रीय ग्रिड और उत्तर प्रदेश बिजली विभाग भी प्रभावित हो रहे हैं।
- चाइनीज मांझा धातु के प्रयोग के कारण विद्युत का सुचालक है। मेट्रो की ओएचई लाइन 25 हजार वोल्ट या 25 केवी के वोल्टेज को बिजली की आपूर्ति करती है, और इस प्रकार, बिजली के झटके से पतंग उड़ाने वाले की मौत भी हो सकती है।