Lucknow News: ट्रेनिंग के दौरान पहुंची चोट से होने वाली विकलांगता पर भी देनी होगी विकलांगता पेंशन
सेना कोर्ट लखनऊ के न्यायाधीश उमेश चन्द्र श्रीवास्तव और अभय रघुनाथ कार्वे की खण्ड-पीठ ने सुनाया है जिसमें कहा गया है कि ट्रेनिंग के दौरान इंस्ट्रक्टर द्वारा चोट पहुंचाए जाने के कारण डिस्चार्ज सैनिक भी दिव्यांगता पेंशन पाने का हकदार होगा।
Lucknow News: सेना कोर्ट का बड़ा फैसला आया है कि ट्रेनिंग के दौरान इंस्ट्रक्टर द्वारा पहुंचाई गई चोट से होने वाली विकलांगता पर भी पीड़ित विकलांगता पेंशन का अधिकारी है। साथ ही एक दिन की भी नौकरी पर, सेना विकलांगता पेंशन देने से इंकार नहीं कर सकती। यह जानकारी एडवोकेट विजय कुमार पाण्डेय ने दी।
यह फैसला सेना कोर्ट लखनऊ के न्यायाधीश उमेश चन्द्र श्रीवास्तव और अभय रघुनाथ कार्वे की खण्ड-पीठ ने सुनाया है जिसमें कहा गया है कि ट्रेनिंग के दौरान इंस्ट्रक्टर द्वारा चोट पहुंचाए जाने के कारण डिस्चार्ज सैनिक भी दिव्यांगता पेंशन पाने का हकदार होगा।
यह है पूरा मामला
मामला यह था की प्रयागराज निवासी जग विजय सिंह 30 जनवरी,1993 को टेरीटोरियल आर्मी में भर्ती हुआ था, ट्रेनिंग के दौरान उसके इंस्ट्रक्टर द्वारा उसके कान पर जोरदार थप्पड़ मार दिया गया जिसके कारण उसके बाएं कान का पर्दा फट गया, उसके बाद उसे बिना दिव्यांगता पेंशन के निष्कासित कर दिया गया। जबकि उसकी विकलांगता 20% थी।
इंस्ट्रक्टर द्वारा थप्पड़ मारने के कारण कान का पर्दा फटा
उसके बाद वह काफी प्रयास किया लेकिन उसे हर जगह से निराशा मिली। उसके पश्चात् वर्ष 2020 में अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय के माध्यम से सेना कोर्ट लखनऊ में वाद दायर किया, सुनवाई के दौरान उनके अधिवक्ता विजय पाण्डेय द्वारा यह तर्क दिया गया कि यदि यह चोट सेना के कारण नहीं आई है तो इसे साबित करने का दायित्व सेना का है, जबकि डाक्टर ने इस बात का उल्लेख किया है कि इंस्ट्रक्टर द्वारा थप्पड़ मारने के कारण कान का पर्दा फटा जिसके लिए सेना जिम्मेदार है।
चार महीने के अंदर आदेश का पालन हो
खण्ड-पीठ ने दलील को स्वीकार करते हुए भारत सरकार को चार महीने के अंदर वादी को दिव्यांगता पेंशन देने का आदेश देते हुए कहा कि यदि आदेश का पालन चार महीने के अंदर न किया गया तो 9% ब्याज भी वादी को देना पड़ेगा।