Lucknow: अब इन मांगों के लिए अड़े किसान, महापंचायत के जरिए सरकार को घेरने कोशिश
लखनऊ की किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि तीनों कानून वापसी का स्वागत करते हैं, लेकिन अब जो हमारी बची हुई मांगे हैं सरकार माने और उसके लिए वार्ता शुरू करें।
Lucknow: तीन कृषि कानून वापसी (three agricultural law return) के बाद आज लखनऊ में किसानों की बड़ी महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) हो रही है। संयुक्त किसान मोर्चा (sanyukt Kisan Morcha) के आह्वान पर पूरे प्रदेश से किसान लखनऊ के इको गार्डन (Eco Gardens of Lucknow) में महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) में शामिल हुए हैं। इस महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) को भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत (Bharatiya Kisan Union spokesperson Rakesh Tikait) थोड़ी देर में संबोधित कर रहे हैं। किसानों की प्रमुख मांगे अब यह है कि एमएसपी पर कानून बनाया जाए, आंदोलन के दौरान जिन किसानों पर मुकदमा दर्ज हुआ है उसे वापस किया जाए, मृतक किसानों को शहीद का दर्जा और उनके परिवार को मुआवजा मिले, तभी उनका यह आंदोलन खत्म होगा।
भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत (Bharatiya Kisan Union spokesperson Rakesh Tikait) ने तीनों कानून वापसी (three agricultural law return) का स्वागत करते हुए कहा कि यह हमारी प्रमुख मांग थी जो वापस हो गई। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम अपना आंदोलन (Kisan Andolan) खत्म कर देंगे। हमारी अभी और मांगे हैं लेकिन सबसे प्रमुख था तीनों कृषि कानून जो अब वापस (three agricultural law return) हो गया है। अब जो हमारी बची हुई मांगे हैं सरकार माने और उसके लिए वार्ता शुरू करें। चलिए आपको बता देते हैं कि उनकी प्रमुख मांगे क्या है।
किसानों की प्रमुख मांगे?
नंबर-1: खेती की संपूर्ण लागत पर आधारित न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए सभी कृषि उपज पर सभी किसानों का कानूनी हक बनाया जाए।
नंबर-2: प्रस्तावित विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक का मसौदा वापस ले।
नंबर-3: एनसीआर और इससे जुड़े क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अधिनियम 2021 में किसानों को सजा के प्रावधान को हटाया जाए।
नंबर-4: दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं।
नंबर-5: लखीमपुर खीरी में 4 किसानों की हत्या के सूत्रधार मंत्री अजय मिश्र टेनी की तत्काल बर्खास्तगी और गिरफ्तारी हो।
नंबर-6: आंदोलन के दौरान जान गवाने वाले 700 किसान के परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास की व्यवस्था हो, किसानों के नाम शहीद स्मारक बने।
राकेश टिकैत (Bharatiya Kisan Union spokesperson Rakesh Tikait) ने कहा है कि कृषि कानून की वापसी (three agricultural law return) तो ठीक है, लेकिन इसके चक्कर में किसान इस एक साल से अन्य जरूरी मुद्दों को उठा नहीं पाए। अब उन सब मसलों पर लड़ाई जारी रहेगी और अभी आंदोलन (Kisan Andolan) खत्म नहीं होगा। उन्होंने कहा कि किसान महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) के जरिए हम अपनी बात सरकार तक पहुंचाना चाहते हैं। सरकार की सोची समझी साजिश थी जो कृषि कानूनों (three agricultural law return) पर किसानों को पूरा एक साल उलझा रखा। इससे किसान बिजली दरों, फसल की खरीद, डीजल, उर्वरक व कीटनाशक के बढ़ते दामों जैसे प्रमुख मुद्दे नहीं उठा पाए। अब सरकार से इन मुद्दों पर बात होगी और जो रवैया उनका होगा उस पर आगे की रणनीति होगी।
24 को लग सकती है कानून वापसी की मुहर
वहीं, पीएम मोदी (PM Narendra Modi) के ऐलान के बाद अब केंद्र सरकार (Central Government) तीनों कृषि कानून वापस (three agricultural law return) लेने के लिए विधेयक को बुधवार को प्रस्तावित कैबिनेट बैठक में मंजूरी दे सकती है। इसके बाद यह विधेयक को 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में मंजूरी के लिए रखा जाएगा। किसान ने कहा है कैबिनेट की बैठक के बाद 27 को किसान अगली रणनीति तय करेंगे।
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