कोरोना की रिपोर्ट आने से पहले ही कर दिया शव का पोस्टमार्टम, मचा हड़कंप
सीएमओ लखनऊ की लापरवाही से कोरोना संक्रमण के विस्तार की आशंका पैदा हो गई है। सीएमओ के आदेश पर कोरोना की जांच आने से पहले ही पोस्टमार्टम करवाने से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ा।
लखनऊ: सीएमओ लखनऊ की लापरवाही से कोरोना संक्रमण के विस्तार की आशंका पैदा हो गई है। सीएमओ के आदेश पर कोरोना की जांच आने से पहले ही पोस्टमार्टम करवाने से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ा।
अयोध्या से आये एक मृत श्रमिक का पोटस्टमार्टम उसकी कोरोना जांच रिपोर्ट आने से पहले ही करवा कर शव को उसके घर अयोध्या भेज दिया गया। इसके बाद जब उक्त श्रमिक जांच रिपोर्ट में कोरोना पाजिटिव निकला तो पूरे विभाग में हड़कंप मच गया।
इस दौरान पोस्टमार्टम हाउस में सीतापुर और बाराबंकी जिलों के कुल 23 शवों का पोस्टमार्टम करा गया था। अब इन शवों के अंतिम क्रियाक्रम में शामिल लोगों में भी कोरोना संक्रमण होने का खतरा हो गया है।
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पोस्टमार्टम हाउस को किया गया बंद
फिलहाल अगले आदेश तक पोस्टमार्टम हाउस को बंद कर दिया है। रिपोर्ट आने के बाद रेलवे ने कोरोना पॉजिटिव का शव उतारने वाले अपने दोनों सिपाहियों को क्वारेंटाईन कर दिया है।
केजीएमयू में जाकर मजदूर का पोस्टमार्टम करने वाले सिविल अस्पताल के दो डॉक्टरों को भी क्वारेंटाईन कर दिया गया है। इसके साथ ही एक गार्ड व उसे गांव तक एंबुलेंस से छोड़ने गए ड्राइवर को भी क्वारेंटाईन में रखा गया है। वहीं मुंबई से बस्ती तक ट्रेन में सफर करने वाले 52 अन्य श्रमिकों का ब्योरा जुटाया जा रहा है।
घटना के संबंध में सीएमओ डा. नरेंद्र अग्रवाल ने कहा है कि पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक ने पीपीई किट समेत कोरोना प्रोटोकॉल को फॉलो किया था, परिजनों को शव कोरोना प्रोटोकॉल के तहत ही सील करके रैपर में सौंपा गया था। किसी प्रकार की लापरवाही नहीं हुई है।
इधर, लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने जीआरपी और सीएमओ से कोरोना प्रोटोकाल का पालन किए जाने के संबंध में लिखित स्पष्टीकरण मांगा है और उनके संपर्क में आये चिकित्सकों, कर्मियों व अन्य लोगों को क्वारेंटाईन करने का निर्देश दिया है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक मुंबई से 54 यात्रियों के साथ कोरोना पॉजीटिव श्रमिक सफर करता रहा।
जीआरपी के दो सिपाहियों ने ट्रेन से शव को उतारा
उसकी मौत होने के बाद भी करीब 11 घंटे तक बीच में कहीं ट्रेन रोककर मृतक को उतारा नहीं गया। जब ट्रेन लखनऊ पहुंची तो यहां जीआरपी के दो सिपाहियों ने उसके शव को उतारा।
उसके बाद मजदूर की कोरोना रिपोर्ट आए बगैर ही उसका केजीएमयू अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया गया और उसके शव को उसके गृह जनपद अयोध्या भेजवा दिया, जहां उसका अंतिम संस्कार भी कोरोना प्रोटोकॉल के मुताबिक नहीं हुआ। बाद में श्रमिक की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव निकली तो रेलवे से लेकर स्वास्थ्य विभाग तक में हड़कंप मच गया।
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इटारसी के आसपास हुई थी मौत
अयोध्या जिले के थाना गोसाईंगंज का रहने वाला 42 वर्षीय श्रमिक मुंबई में रहकर अपने साले के साथ गेट वे ऑफ इंडिया पर फोटोग्राफी कर परिवार पालता था। लॉकडाउन में काम बंद हो गया।
वह परिवार सहित मुंबई से बस्ती जाने वाली ट्रेन पर सोमवार दोपहर डेढ़ बजे सवार हो गया। इटारसी के आसपास उसकी मौत हो गई थी। परिवार को झांसी के पास पता चला, लेकिन शव को रास्ते में कहीं नहीं उतारा गया। ट्रेन जब मंगलवार को अपरान्ह दो बजकर 35 मिनट पर लखनऊ आई तो जीआरपी ने उसके शव को उतारकर पोस्टमार्टम को भेजवाया।
फिलहाल रेलवे उन श्रमिकों का ब्यौरा जुटा रहा है। जो उसी बोगी में सफर कर रहे थे। बताया जा रहा है कि मृत श्रमिक के साले की मुंबई में मौत हो गई थी, जिसके बाद वह अपनी यात्रा रद्द करना चाह रहा था, लेकिन वहां उसे बस में बैठाकर रेलवे स्टेशन छोड़ दिया गया।
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