पंचायत चुनाव: उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होते ही बीएसपी में विद्रोह
शारदा राजभर अकबरपुर तृतीय से उम्मीदवार बनना चाह रही थी। बहुजन समाज पार्टी मौजूदा दौर में आंतरिक कलह में जूझ रही है ।
अंबेडकर नगर। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी में अन्य राजनीतिक दलों की अपेक्षा बहुजन समाज पार्टी ने 21 जिला पंचायत सदस्यों के प्रत्याशियों की सूची जारी कर अपनी बढ़त भले ही हासिल कर ली हो लेकिन सूची जारी होते ही पार्टी में विद्रोह के स्वर मुखर हो गए हैं। बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व मंत्री राम अचल राजभर की बेहद करीबी एवं विकासखंड अकबरपुर की तीन बार ब्लॉक प्रमुख रह चुकी शारदा राजभर को ही प्रत्याशी बनाये जाने से किनारे कर दिया गया ।
बहुजन समाज पार्टी आंतरिक कलह में जूझ रही है
शारदा राजभर अकबरपुर तृतीय से उम्मीदवार बनना चाह रही थी। उल्लेखनीय है कि बहुजन समाज पार्टी मौजूदा दौर में जबरदस्त आंतरिक कलह में जूझ रही है । पार्टी के दिग्गज नेता कम से कम जिले में एक दूसरे की टांग खींचने से बाज नहीं आ रहे हैं। इसी अंतर्कलह का ही परिणाम रहा कि बसपा के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे त्रिभुवन दत्त तक को पार्टी को अलविदा कहने के लिए मजबूर होना पड़ा।
बहुजन समाज पार्टी की नेता शारदा राजभर
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में यही आंतरिक कलह एक बार फिर से सामने आती हुई दिख रही है। शारदा राजभर बहुजन समाज पार्टी की तेजतर्रार नेता मानी जाती रही है । अकबरपुर तृतीय पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित है। जिसके चलते उन्होंने इस सीट से अपनी उम्मीदवारी का दावा किया था लेकिन सोमवार को जब 21 प्रत्याशियों का ऐलान हुआ तो अकबरपुर तृतीय से विकास वर्मा को प्रत्याशी घोषित कर दिया गया ।
निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा कर दी है
प्रत्याशी के नाम का एलान होते ही शारदा राजभर ने निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा कर दी है। अब शारदा राजभर के मैदान में आ जाने से अकबरपुर तृतीय का चुनाव बसपा के लिए बेहद कठिन साबित हो सकता है। फिलहाल टिकट बंटवारे में शामिल पार्टी नेताओं द्वारा शारदा राजभर को प्रत्याशी न बनाया जाना सीधे पूर्व मंत्री राम अचल राजभर को झटका देना माना जा रहा है। यह बात महत्वपूर्ण है कि पूर्व मंत्री राम अचल राजभर की तरफ से शारदा राजभर जिला पंचायत अध्यक्ष पद की भी दावेदार घोषित की जा चुकी थी । माना जा रहा है कि इसी दावेदारी के चलते ही पार्टी नेताओं ने उनका पत्ता काट दिया।
रिपोर्ट : मनीष मिश्रा
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