Banda News: ग्रामीण क्षेत्रों मे स्वास्थ्य सेवाओं की सच्चाई और देहरी तक दवाई का सूरतेहाल…कार्यक्रम चर्चा

Banda News: इसमे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को आमजन तक उपलब्ध कराने के दौरान डिजिटली करण के प्रभाव पर चर्चा की गई है।बतलाते चले कि इस चर्चा का विषय था देहरी पर दवाई की सच्चाई डिजिटल युग में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा परिचर्चा करते हुए अतिथि दीर्घा द्वारा यह बताया गया

Report :  Om Tiwari
Update:2024-11-17 17:56 IST

Banda News ( Pic- News Track)

Banda News: बांदा जिला मुख्यालय मे बड़ोखर खुर्द गांव किसान प्रेम सिंह की बगिया मे डिजीटल मीडिया समूह द्वारा आज एक राउंडटेबल चर्चा का आयोजन किया गया था। इसमे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को आमजन तक उपलब्ध कराने के दौरान डिजिटली करण के प्रभाव पर चर्चा की गई है।बतलाते चले कि इस चर्चा का विषय था देहरी पर दवाई की सच्चाई डिजिटल युग में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा परिचर्चा करते हुए अतिथि दीर्घा द्वारा यह बताया गया कि कैसे डिजिटल उपकरणों ने स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता और उसके जीवन प्रभाव को बदल दिया है।इसके साथ ही कार्मिकों के स्वास्थ्य सेवाओं उपकरणों के लिए प्रशिक्षण,उन्मुखीकरण कार्यक्रम व सुरक्षा और सामाजिक स्तर भी चुनौतियां सामने आई हैं।

उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों से आये महत्वपूर्ण वक्ताओं ने सहभागिता की है। जिसमें गांव की स्वास्थ्य रीढ़ हड्डी आशा कार्यकर्ता, स्वास्थ्य विशेषज्ञ डाक्टर और समाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।आयोजन मे मुख्यधारा की पत्रकारिता से जुड़े शहर के प्रमुख समाचार पत्रों के पत्रकारों मनोज कुमार जेएमडी, ज़ीशान अख्तर (जनतंत्र टीवी), अनवर रजा रानू,भारत 24 न्यूजट्रैक भगत सिंह पूरन राय ( प्राइम टीवी ) एवं अन्य पत्रकारों ने भी राउंडटेबल चर्चा मे प्रतिभागिता की है। साथ ही संवाद मे अपने सवालों से मीडिया के नज़रिये को रोजमर्रा की खबरों के अनुभव से साझा किया गया है। इस संवाद की खुली चर्चा का मुख्य विषय देहरी तक दवाई की सच्चाई पंच लाइन के साथ ‘ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में डिजिटल युग की भूमिका था।खाशकर वे सभी मुद्दे जिनमें आम नागरिक की सेवा प्रदाता तक तक पहुंच, स्वास्थ्य कर्मचारियों को तकनीक प्रशिक्षण और सांस्कृतिक दृष्टिकोण शामिल हैं।अपनी दैनिक ज़िम्मेदारी मे वे इन समस्याओं को कैसे प्रभावित करते हैं।

राउंड टेबल परिचर्चा मे मुख्यतयह मुद्दे उठते रहे डिजिटल उपकरणों के माध्यम से सशक्तिकरण दोहरी तलवार शबीना मुमताज शबीना मुमताज़ (वरिष्ठ संदर्भ समूह सदस्य, मानवाधिकार इकाई) ने वक्तव्य देते हुए बांदा की आशा कार्यकर्ताओं के बारे में बताया कि किस तरह से उन्हें डिजिटल कौशल की कमी की वजह से चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा,जब ASHA के पास डिजिटल कौशल नहीं होता है तो उनका सशक्तिकरण पीछे रह जाता है इसका प्रभाव उनके आत्म-सम्मान पर पड़ता है। यह बयान इस बात पर ज़ोर देता है कि सही प्रशिक्षण और सहायता की उन्हें कितनी कहां आवश्यकता है। ताकि डिजिटल की मदद उन्हें सशक्त बनाया जा सके न कि उन्हें हाशिये पर धकेल दे।डिजिटल विभाजन सुरक्षा और सामाजिक चुनौतियां–सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र कुमार जो मित्र बुंदेलखंड’ संस्था के जरिये नरैनी क्षेत्र मे किशोरावस्था के युवाओं के साथ काम करते है। इन्होंने टेक्नोलॉजी आने के बावजूद जारी सामाजिक समस्याओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा,हालाँकि हम डिजिटल युग में हैं, सामाजिक चुनौतियाँ बनी रहती हैं। जब ASHA कार्यकर्ता किसी से फ़ोन पर बात करती हैं,तो पुरुष अभद्र टिप्पणियाँ करते हैं।” इस टिप्पणी ने यह बताने की कोशिश की कि तकनीकी उन्नति के साथ-साथ सामाजिक पूर्वाग्रहों को भी दूर किया जाना चाहिए, ताकि महिलाओं को डिजिटल क्षेत्र में उत्पीड़न और शोषण का सामना न करना पड़े।

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