Independence Day 2023: अंग्रेज अफसर को जूतों की माला पहनाने पर गोरों ने मचाया था तांडव, गांव के कुओं में डलवाया मिट्टी का तेल

Barabanki News: देश को मिली आजादी से पहले बाराबंकी जिले के दरियाबाद क्षेत्र में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का एक प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ था, जिसके बाद देश के अंदर आजादी को लेकर क्रांति फैली थी।

Update: 2023-08-14 03:48 GMT
Barabanki News (photo: social media )

Barabanki News: राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले में ऐसे कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुए, जो देश को आजादी दिलाने के लिए कुर्बान हो गये। इनमें से कई क्रांतिकारियों को अंग्रेजी हुकूमत से टकराने के चलते कठोर कारावास और जुर्माना भी झेलना पड़ा। यहां तक कि अंग्रेजों ने गांव के कुओं में मिट्टी का तेल और गांव का सारा राशन तक फेंकवा दिया था।

दरअसल, देश को मिली आजादी से पहले बाराबंकी जिले के दरियाबाद क्षेत्र में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का एक प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ था, जिसके बाद देश के अंदर आजादी को लेकर क्रांति फैली थी। बाराबंकी जिले में दो बार महात्मा गांधी भी आये थे। वर्ष 1930 में महात्मा गांधी के दांडी मार्च के बाद बाराबंकी जिले में आजादी को लेकर लोगों में क्रांति की आग धधक उठी थी। साल 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन को लेकर देश में छिड़ी मुहिम में यहां के लोग भी कूद पड़े थे। ऐसे में उन लोगों का अपने ऊपर फख्र करना लाजमी है। जिनके परिवार के लोगों ने इस आजादी के लिए यातनाएं झेली थीं।

बाराबंकी जिला मुख्यालय से लगभग दस किमी दूर हरख क्षेत्र भी आज उन्ही क्रांतिकारियों के नाम से प्रसिद्ध है, जिन्होंने देश की आजादी को लेकर काफी संघर्ष किया। हरख से ऐसे सैकड़ों लोग हुए जिन्होंने अंग्रेजों से लोहा लिया। उन सैकड़ों क्रांतिकारियों में से 18 ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे जो अंग्रेजी हुकूमत के दौरान जेल भी गये। क्योंकि इन्होंने अंग्रेजी अफसर को न सिर्फ जूतों की माला पहनाई बल्कि अंग्रेजी डाक और रेलवे स्टेशन को भी लूटा। जिसके बदले उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। ऐसे क्रांतिकारियों में हरख के शिव नारायण, रामचंदर, श्रीकृष्ण, श्रीराम, मक्का लाल, सर्वजीत सिंह, राम चंद्र, रामेश्वर, कामता प्रसाद, सर्वजीत, कल्लूदास, कालीचरण, बैजनाथ प्रसाद, रामगोपाल, रामकिशुन, द्वारिका प्रसाद और मास्टर सहित 18 लोग शामिल थे। वर्ष 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री कमला पति त्रिपाठी ने सभी को ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया था। गांव के पास स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नाम से द्वार भी बना है।

हार्डी बने व्यक्ति को जूतों की माला पहनाई

बाराबंकी के हरख में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे राम चन्द्र के बेटे उपेंद्र और भूपेंद्र ने बताया कि उन्हें गर्व है कि उनके पिता अंग्रेजों के समय में आजादी के लिए जेल गए। उन्होंने बताया कि अंग्रेजी हुकूमत के दौरान साल 1942 में एक अंग्रेज एवी हार्डी नाम का जिले का डीएम था। हार्डी को सबक सिखाने के लिए गांव वालों ने स्वागत के बहाने बुलाया, फिर उन लोगों ने उसके सामने अवधी भाषा में एक नाटक खेला। गांव के ही एक व्यक्ति ने हार्डी का रोल किया। एक सीन में हार्डी बने व्यक्ति को जूतों की माला पहनाई गई। अवधी भाषा मे खेले गए इस नाटक कोअंग्रेज डीएम हार्डी समझ नहीं पाया, लेकिन अगले दिन जब उसे असलियत पता चली तो उसने अंग्रेजी पुलिस के जरिये गांव में कोहराम मचा दिया। लोगों के घरों में रखे अनाज को उस अंग्रेज अफसर ने कुवें में फिंकवा दिया। जानवरों को खुलवा दिया। इतना ही नहीं कुओं में मिट्टी का तेल फेंकवाकर, टॉयलेट भी करवाया, जिससे कोई वहां का पानी न पी सके। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम चन्द्र की पत्नी रमा कांति देवी ने बताया कि अंग्रेजी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए उन्होंने अपने साथियों के साथ डाक लूटी और बिंदौरा रेलवे स्टेशन को आग के हवाले किया। उन्हें गर्व है कि उनके पति ने देश को आजादी दिलाने में अपना बलिदान दिया।

गांव के प्रधान प्रतिनिधि चट्टान सिंह ने बताया कि इस घटना में अंग्रेजी अफसर ने 18 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा करवाकर उन्हें जेल भिजवाया। उनपर जुर्माना लगाया गया। बाद में जब देश आजाद हुआ तो जुर्माने की 5 हजार रुपये की रकम वापस हुई। उस रकम से हरख में नया आयुर्वेदिक चिकित्सालय बनाया गया, जो आज भी मौजूद है। उन्होंने कहा कि आज बड़ा दुख भी होता है कि जिन महापुरुषों ने देश की आजादी के लिए इतना संघर्ष किया। आज उनकी समाधि पर फूल चढ़ाने वाला कोई नहीं है। सेनानी रहे बाबू पुत्तुलाल वर्मा की समाधि स्थल का हाल देखा, तो जंगल झाड़ियों के बीच खंडहर में तब्दील होती दिखी। बाबू पुत्तुलाल वर्मा आजादी के बाद एमएलसी हुए थे। वहीं ग्रामीण रामपाल ने बताया कि जो भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुए उनकी याद में गांव का प्रवेश द्वार बना है। इन सभी का नाम उसपर अंकित है। जिन्हें पूर्व की भारत सरकार द्वारा तांब्र पात्र से सम्मानित भी किया गया। ब्लाक परिसर के अंदर शहीद स्मारक पार्क का जीर्णोद्धार और अमृत सरोवर का निर्माण कराया गया है। गांव के लोगों का कहना है कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के योगदान पर हम सबको गर्व है। सभी इस बात को लेकर गौरवान्वित हैं कि उनके बाप-दादाओं ने आजादी के लिए कुर्बानियां दी थीं।

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