Lok Sabha Election: बाराबंकी (एससी) लोकसभा, नौकरशाह से राजनेता बने पुनिया के सामने बेटे को उत्तराधिकार सौंपने की चुनौती

Lok Sabha Election: 1859 में इसे नवाबगंज में स्थानांतरित कर दिया गया था, जो बाराबंकी का दूसरा चर्चित नाम भी है

Report :  Neel Mani Lal
Update:2024-05-17 12:23 IST

Lok Sabha Election ( Social Media Photo) 

Lok Sabha Election 2024: बाराबंकी विविधताओं से भरा इलाका है। आज़ादी के आन्दोलन में इस इलाके ने अग्रणी भूमिका निभाई थी।बाराबंकी को पूर्वांचल का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। बाराबंकी नगर को कई साधुओं और संतों की तपोस्थली होने का गौरव मिला हुआ है। कहा जाता है कि यह भगवान वराह के पुनर्जन्म की धरती है। इसी वजह से इस शहर को बानहन्या कहा जाने लगा और यही नाम आगे चलकर बाराबंकी हो गया। बाराबंकी क्षेत्र में स्थित कुछ महत्वपूर्ण स्थानों में मरकामऊ का पूर्णेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर, मौर्या शिवाला, किन्तूर में महाभारत काल से प्रसिद्ध कुन्तेश्वर मंदिर, बरौलिया में महाभारत कालीन पारिजात वृक्ष शामिल हैं।

सूफी संत वारिस अली शाह की दरगाह देवा शरीफ यहीं पर है। 1858 तक जिले का मुख्यालय दरियाबाद हुआ करता था। लेकिन 1859 में इसे नवाबगंज में स्थानांतरित कर दिया गया था, जो बाराबंकी का दूसरा चर्चित नाम भी है।

विधानसभा क्षेत्र

- बाराबंकी लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें आती हैं - कुर्सी, जैदपुर, रामनगर, हैदरगढ़ और बाराबंकी। जैदपुर और हैदरगढ़ की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इन सीटों में हैदरगढ़ (एससी) और कुर्सी सीट पर भाजपा का कब्जा है जबकि बाकी सीटें समाजवादी पार्टी के खाते में हैं।


जातीय समीकरण

- 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक बाराबंकी की जनसंख्या लगभग 33 लाख थी। इस लोकसभा क्षेत्र में 76 प्रतिशत आबादी हिंदू और 22 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय की है। बाराबंकी संसदीय सीट दलित बाहुल्य क्षेत्र है। दलित और पिछड़े वर्ग के वोटर्स यहां से चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं।


राजनीतिक इतिहास और पिछले चुनाव

- बाराबंकी सुरक्षित लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी। 1952 से 2019 तक यह सीट कई दलों के कब्जे में रही है। इस सीट पर अब तक कुल 17 बार चुनाव हुए हैं। इसमें से छह बार कांग्रेस का कब्जा रहा, 3 बार भाजपा, दो बार सपा और एक बार बसपा को जीत मिली है।

- 1952 के पहले चुनाव में कांग्रेस के मोहनलाल सक्सेना जीते।

- 1957 में निर्दलीय राम सेवक यादव को जीत हासिल हुई।

- 1962 में राम सेवक यादव सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर विजयी हुए।

- 1967 राम सेवक यादव फिर जीते, इस बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर।

- 1971 में कांग्रेस के रूद्र प्रताप सिंह को जीत मिली।

- 1977 की लहर में जनता पार्टी के राम किंकर जीते। 1980 में उन्हें फिर विजय हासिल हुई।

- 1984 में कांग्रेस के कमला प्रसाद रावत जीते।

- 1989 में जनता दल के राम सागर रावत संसद सदस्य बने। 1991 में वह जनता पार्टी से और 1996 में समाजवादी पार्टी से जीते।

- 1998 में भाजपा के बैज नाथ रावत को जीत हासिल हुई।

- 1999 में समाजवादी पार्टी के राम सागर रावत को जीत मिली।

- 2004 में बसपा से कमला प्रसाद रावत सांसद बनीं।

- 2009 में कांग्रेस के पीएल पुनिया को जीत मिली।

- 2014 में भाजपा से प्रियंका सिंह रावत जीतीं।

- 2019 में भाजपा के उपेन्द्र सिंह रावत को जीत हासिल हुई।


इस बार के उम्मीदवार

- बाराबंकी लोकसभा सीट से इस बार बसपा ने शिव कुमार दोहरे को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा से जिला पंचायत अध्यक्ष राजरानी रावत व इंडिया अलायन्स से कांग्रेस पार्टी के तनुज पुनिया मैदान में हैं।


स्थानीय मुद्दे

- उद्योग धंधों का बंद होना, मेंथा की खेती से जुडी समस्याएं, बुनकरों की बुरी स्थिति, घाघरा नदी से हर साल आने वाली बाढ़, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य प्रमुख चुनावी मुद्दे हैं।

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