Bareilly News: पुरानी पेंशन व सेवा सुरक्षा की बहाली की मांग को लेकर शिक्षकों का काली पट्टी बांधकर मूल्यांकन कार्य जारी

Bareilly News: शिक्षकों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी जायज़ मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लेती, तब तक उनका प्रदर्शन इसी तरह जारी रहेगा।;

Update:2025-03-22 19:56 IST

Bareilly News (Image From Social Media)

Bareilly News: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर शिक्षकों द्वारा पुरानी पेंशन बहाली, सेवा सुरक्षा की धाराओं को पूर्ववत लागू करने, वित्तविहीन शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन देने और सभी माध्यमिक शिक्षकों को निःशुल्क चिकित्सा सुविधा प्रदान करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है। इस क्रम में शनिवार को चौथे दिन भी शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षा 2025 के उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया।

राजकीय इंटर कॉलेज, बरेली सहित जिले के चारों मूल्यांकन केंद्रों पर शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। शिक्षकों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी जायज़ मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लेती, तब तक उनका प्रदर्शन इसी तरह जारी रहेगा। मंडलीय अध्यक्ष डॉ. रण विजय सिंह यादव के नेतृत्व में शिक्षकों ने अनुशासन में रहते हुए मूल्यांकन कार्य किया और साथ ही अपनी आवाज़ भी बुलंद की।

मांगें पूरी न हुईं तो होगा आंदोलन तेज़

इस अवसर पर प्रदर्शन में आदेश यादव (गुड्डू), जिला मंत्री मुन्नेश अग्निहोत्री, सरदार अहमद, डॉ. लाखन सिंह, हरीश स्वामी, डॉ. कुलदीप विश्नोई, डॉ. नरेश सिंह, नवनीत शर्मा, मुकेश शर्मा, मुकुल मोहन जोशी, रामानंद, शेर सिंह, रहीम खान सहित सैकड़ों शिक्षक शामिल रहे। सभी ने सरकार से जल्द से जल्द मांगों को पूरा करने की अपील की।

संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि शिक्षक समाज को दिशा देने वाला होता है, लेकिन आज उन्हीं शिक्षकों को अपने हक के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। सरकार को समझना चाहिए कि पुरानी पेंशन शिक्षकों के भविष्य की सुरक्षा से जुड़ा विषय है, इसे बहाल करना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी भी है।

शिक्षक समाज किसी भी राष्ट्र की बुनियाद होते हैं। अगर वही असंतुष्ट और असुरक्षित महसूस करेंगे तो शिक्षा व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। पुरानी पेंशन बहाली हो, सेवा सुरक्षा की धाराएं यथावत लागू की जाएं, वित्तविहीन शिक्षकों को न्याय मिले और चिकित्सा सुविधाएं निःशुल्क दी जाएं— ये सब केवल शिक्षकों के लिए नहीं, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए भी ज़रूरी हैं।

सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और जल्द से जल्द निर्णय लेना चाहिए ताकि शिक्षक निश्चिंत होकर अपने कर्तव्य का निर्वहन कर सकें। यदि इस तरह की उपेक्षा जारी रही तो आने वाले समय में शिक्षा जगत में और अधिक असंतोष देखने को मिल सकता है, जिससे छात्रहित भी प्रभावित होगा।

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