हरा है बाटला इनकाउन्टर का जख्म, अदालत से न्याय की आस

बाटला हाउस कांड में निर्दोष लोगों को आज तक न्याय नहीं मिला बल्कि मामले को और उलझाने की कोशिश की गई। उक्त बातें एसोसिएशन फॉर वेलफेयर मेडिकल एजुकेशन एंड लीगल असिस्टेंन्स के अध्यक्ष डॉ.जावेद अख्तर ने पूरा गुलामी स्थित अपने आवास पर पत्रकार वार्ता में कही।

Update: 2023-05-16 20:49 GMT

आजमगढ़: आजमगढ़ के सीने पर लगा बाटला का जख्म अभी भी हरा है। बाटला इनकाउन्टर को लम्बा समय बीत जाने के बावजूद आज भी पुराना दिन याद करके यहां के मुसलमान सिहर उठते हैं। आज भी वह यह मानने को तैयार नहीं हैं कि बाटला मुठभेड़ सही था। वह यही कहते हैं कि बाटला के नाम पर हमारे साथ नाइंसाफी की गयी है।

19 सितम्बर 2008 को दिल्ली में हुए बाटला हाउस मुठभेड़ ने आजमगढ़ की पूरी तस्वीर ही बदलकर रख दी। बाटला हाउस मुठभेड़ में आजमगढ़ जिले के सरायमीर थाना क्षेत्र के संजरपुर गांव के रहने वाले दो लड़के आतिफ अमीन पुत्र मो.अमीन एवं मो. साजिद उर्फ छोटा साजिद पुत्र अंसारूल हसनान मारे गये थे।

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फरार हुए इन आरोपित लड़कों ने कट्टर इस्लामिक देशों में शरण ले ली है

सुरक्षा एजेन्सियों ने कई को फरार हो जाना बताया। बाद में विभिन्न आतंकी वारदातों में संलिप्तता के आरोप में 15 लड़के गिरफ्तार किये गये तथा कई अभी भी फरार चल रहे हैं। कहा जा रहा है कि फरार हुए इन आरोपित लड़कों ने कट्टर इस्लामिक देशों में शरण ले ली है और वह देश की सुरक्षा एजेन्सियों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं।

बाटला हाउस मुठभेड़ के बाद आजमगढ़ का सियासी पारा भी तेजी से चढ़ा। इसी मुठभेड़ की कोख से एक नये सियासी दल का उदय हुआ। इस संगठन का नाम उलेमा कौंसिल रखा गया। इसका गठन शहर स्थित जमार्तुरशात मदरसे के नाजिम आमिर रशादी ने किया और इसकी पहली बैठक 20 अक्टूबर 2008 को हुई। इस पहली बैठक में कहा गया कि यह गैर राजनीतिक मंच है और इसका मकसद आतंकवाद के नाम पर फंसाये गये निर्दोष मुस्लिम लड़कों की लड़ाई लडना होगा।

इसके साथ ही बाटला काण्ड की हर बरसी पर यह संगठन दिल्ली जाकर धरना-प्रदर्शन करता रहा। यह अलग बात है कि आतंकी वारदातों में आरोपित लड़कों को न्याय दिलाने के लिए कोई जमीनी लड़ाई न लड़ पाने के कारण यह संगठन जिले के मुसलमानों की नजर में गिर गया और लोगों ने इससे दूरी बना ली।

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अदालत से न्याय की दोहरायी प्रतिबद्धता

बाटला हाउस कांड में निर्दोष लोगों को आज तक न्याय नहीं मिला बल्कि मामले को और उलझाने की कोशिश की गई। उक्त बातें एसोसिएशन फॉर वेलफेयर मेडिकल एजुकेशन एंड लीगल असिस्टेंन्स के अध्यक्ष डॉ.जावेद अख्तर ने पूरा गुलामी स्थित अपने आवास पर पत्रकार वार्ता में कही।

उन्होंने कहा कि बीते 2008 में बाटला कांड में निर्दोष लोगों को आज तक न्याय नहीं मिला बल्कि मामले को और उलझाने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि जो बच्चे उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए बाहर गए, उन्हें आतंकवाद में बेवजह फर्जी तौर पर फसाया गया।

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ओमेला इसकी लड़ाई लड़ रहा है। संस्था को उम्मीद है कि अदालत से उन्हें न्याय मिलेगा। इस मौके पर डॉ.जावेद, डा.फखरे आलम, अमीर आलम, अकील, मोअज्जम भाई, अकील अहमद, असलम सुल्तान, शाहिद, प्रोफेसर जावेद अली आदि लोग मौजूद थे।

 

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