होली को बनाना है खुशहाल तो रंगों का करें संभलकर इस्तेमाल

Update: 2016-03-18 11:08 GMT

कानपुर: होली का नाम आते ही खुद-ब-खुद सतरंगी छटा छाने लगती है और रंगों के त्योहार में हर किसी का मन इसमें सराबोर होने को करने लगता है। होली में यूज किए जाने वाले गुलाल को लगाने से पहले थोड़ा सावधान होने की भी जरूरत है।

आप सोच रहे होंगे कि रंगों से क्यों सावधान हुआ जाए? इसकी वजह आजकल हर चीज में होने वाली मिलावट है, चाहे मिठाई हो या कपड़े और ये तो रंग है। रंगों में तो आसानी से मिलावट की जा सकती है। इसमें ऐसे केमिकल मिलाए जाते है जो नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ते है।

पैसे की लालच में कर रहे कारोबार

कानपुर में कुछ खाली पड़े मकानों और प्लाटों में मुनाफाखोर रंगों का काला कारोबार कर रहे है। ये मुनाफाखोर, ग्रेरू, चूना, केमिकल, मार्बल का चूरा पिसा हुआ कांच मिलाकर रंग और गुलाल बनाते रहे है।वही इन रंगों में पिसे हुए कांच का भी प्रयोग किया जाता है, इसमें हरा रंग सबसे ज्यादा खतरनाक होता है।

 

त्वचा के लिए हानिकारक

-खबरों के मुताबिक ये रंग शहर के अन्य जनपदों में भी सप्लाई किया जाता है।

-इन रंगों को बनाने में किसी भी मानक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

-चंद पैसों के लिए ये मुनाफाखोर ना जाने कई जिंदगी को बदरंग कर देते है।

-इन्हें पता होता है कि ये सारे केमिकल त्वचा के लिए हानिकारक होते है।

-डॉ राकेश अग्रवाल ने कहा रंगों से कई बीमारियों का शिकार होना पड़ता है।

-साथ ही,इससे आंखों की रोशनी भी जा सकती है।

-और उन्हें त्वचा संबंधी गंभीर बीमारिया भी हो सकती है।

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