बनारस की 400 साल की परंपरा: अब टूटेगी, पहली बार नहीं होगा भरत मिलाप मेला
नाटी ईमली में भरत मिलाप का आयोजन दशहरा के अगले दिन यानी एकादशी को होता आया है। भरत मिलाप देखने लिए लाखों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है।
वाराणसी। धर्म नगरी वाराणसी को आस्था और परंपरा का भी शहर कहा जाता है। यहां होने वाले लक्खा मेले की रौनक पूरी दुनिया में मशहूर है। लेकिन कोरोना काल में ये रौनक फीकी पड़ गई है। कोरोना की वजह से 400 वर्षों से अधिक पुरानी रामनगर की अनूठी रामलीला इस वर्ष स्थगित है तो नाटी इमली का लक्खी मेला भरत मिलाप भी नहीं होगा।
लाखों लोग पहुंचते हैं भरत मिलाप देखने
नाटी ईमली में भरत मिलाप का आयोजन दशहरा के अगले दिन यानी एकादशी को होता आया है। भरत मिलाप देखने लिए लाखों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है। प्रभु राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का मिलाप देखने के लिए उमड़ने वाली यही लाखों की भीड़ इसबार आयोजन में बाधक बन गई। भरत मिलाप कराने वाले चित्रकूट रामलीला के व्यवस्थापक मुकुंद उपाध्याय बताते हैं कि इस लीला की शुरुआत विक्रम संवत 1600 में हुई। वर्तमान में विक्रम संवत 2077 चल रहा है।
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इस साल लीला के आयोजन का 477वां साल था। उपाध्याय ने इस पल को कष्टकारी बताया और रोष व्यक्त करते हुए कहा कि बिहार चुनाव में बड़ी-बड़ी रैलियां हो रही हैं, लेकिन रामलीला और भरत मिलाप के लिए अनुमति नहीं दी जा रही। उन्होंने कहा कि हम जुलूस तक नहीं निकालने को तैयार हैं, बस प्रशासन आयोजन की अनुमति दे दे जिससे परंपरा न टूटे। उपाध्याय के मुताबिक उनकी मांग न सरकार सुन रही है और ना ही प्रशासन।
नक्कटैया मेला भी हुआ स्थगित
कोरोना ने कई परम्पराओं को तोड़ दिया। इस वर्ष भारत के प्रमुख त्यौहार सावन की कावड़ यात्रा, गणपति विसर्जन, लोलार्क षष्टी, मोहर्रम, चेहलुम, स्थगित रहे तो आने वाले दिनों में भारत के गर्व कहे जाने वाले त्यौहार रामलीला और रावण दहन पर भी कोरोना का संकट साफ़ देखा जा रहा है।
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इसी क्रम में 132 वर्ष पुरानी श्री चेतगंज रामलीला समिति के पदाधिकारियों ने इस वर्ष रामलीला का व्यापक मंचन स्थगित करते हुए सांकेतिक रूप से रामलीला स्थल फ़तेह राम बगीचा में मानाने का एलान किया। इस वर्ष इस समिति द्वारा आयोजित काशी का प्रसिद्द चेतगंज नक्कटैया मेला को भी समिति ने स्थगित कर दिया है। यह मेला करवा चौथ के दिन होता था।
सिर्फ सांकेतिक रूप से होगी रामलीला
चेतगंज रामलीला समिति के पदाधिकारियों के अनुसार 28 दिन अनवरत चलने वाली इस रामलीला में इस वर्ष प्रथम दिन शाम 7 बजे मुकुट पूजन के पश्चात प्रतिदिन रामलीला स्थल पर सांकेतिक रूप से भगवान श्रीराम के चित्र और गोस्वामी तुलिसदास के द्वारा रचित रामचरितमानस के ग्रन्थ की आरती और पूजन रामायणी द्वारा किया जायेगा।
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