बड़ी खुशखबरी: पीसीडीएफ के सैकड़ों कर्मचारियों को मिलेगी बढ़ी हुई ग्रेच्युटी
यह आदेश जस्टिस विवेक चौधरी की बेंच ने पीसीडीएफ की ओर से सहायक श्रम आयुक्त के आदेशों को चुनौती देने वाली 93 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए, पारित किया। सहायक श्रम आयुक्त ने सैकड़ों कर्मचारियों के प्रार्थना पत्रों पर अलग-अलग आदेश पारित करते हुए, पीसीडीएफ को ग्रेच्युटी अधिनियम के अनुसार ग्रेच्युटी का भुगतान करने के आदेश दिये थे।
विधि संवाददाता
लखनऊ: हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रादेशिक को-ऑपरेटिव डेयरी फ़ेडरेशन (पीसीडीएफ) के कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए. ग्रेच्युटी अधिनियम के अनुसार ग्रेच्युटी देने के सहायक श्रम आयुक्त, लखनऊ के आदेश को सही माना है। कोर्ट ने सहायक आयुक्त के फैसले को चुनौती देने वाली पीसीडीएफ की याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
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श्रम आयुक्त के आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई मुहर
यह आदेश जस्टिस विवेक चौधरी की बेंच ने पीसीडीएफ की ओर से सहायक श्रम आयुक्त के आदेशों को चुनौती देने वाली 93 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए, पारित किया। सहायक श्रम आयुक्त ने सैकड़ों कर्मचारियों के प्रार्थना पत्रों पर अलग-अलग आदेश पारित करते हुए, पीसीडीएफ को ग्रेच्युटी अधिनियम के अनुसार ग्रेच्युटी का भुगतान करने के आदेश दिये थे। दरअसल 24 सितम्बर 2015 को पीसीडीएफ की ओर से स्वैच्छिक सेवानिवृति योजना (वीआरएस) लाई गई थी।
अधिनियम के तहत कुल साढे छह लाख रुपये के ग्रेच्युटी के भुगतान की मांग
जिसके तहत कर्मचारियों को फरवरी 2016 तक साढे तीन लाख रुपये की ग्रेच्युटी की रकम का भुगतान किया गया था। बाद में कर्मचारियों की ओर से ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत कुल साढे छह लाख रुपये के ग्रेच्युटी के भुगतान की मांग की गई। कोर्ट ने अपने विस्तृत आदेश में ग्रेच्युटी अधिनियम की धारा 14 का जिक्र करते हुए कहा कि ग्रेच्युटी अधिनियम की उक्त धारा यह स्पष्ट करती है कि कोई भी करार या को-ऑपरेटिव सोसायटीज एक्ट ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत भुगतान करने के रास्ते में नहीं आ सकता है।
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कोर्ट ने सहायक श्रम आयुक्त के आदेश को बरकरार रखते हुए, पीसीडीएफ की सभी 93 याचिकाओं को खारिज कर दिया। वहीं कोर्ट ने पीसीडीएफ द्वारा दिये वितीय समस्या के तर्क को भी अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ग्रेच्युटी का भुगतान करने का उसका दायित्व है, वह यह कहकर नहीं बच सकता कि उसकी वित्तीय हालत ठीक नहीं है।