election 2019 : पूर्वांचल के सियासी रण में भाजपा का पेंच फंसा

Update: 2019-04-20 10:02 GMT
election 2019 : पूर्वांचल के सियासी रण में भाजपा का पेंच फंसा

आशुतोष सिंह

वाराणसी। पूर्वांचल के सियासी रण में भाजपा का पेंच फंस गया है। विरोधियों के साथ अब उसे अपनों की भी चुनौती मिल रही है। भाजपा की सहयोगी पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने पूर्वांचल की 39 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर भाजपा को बड़ा झटका दिया है। सुभासपा सुप्रीमो ओमप्रकाश राजभर के इस कदम के बाद पार्टी ने खामोशी की चादर ओढ़ ली है। माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर अंतिम फैसला अमित शाह करेंगे। हालांकि पार्टी को लगता है कि अंतिम वक्त में ओमप्रकाश राजभर को मना लिया जाएगा। उत्तर प्रदेश की सत्ता में योगी सरकार की इंट्री के साथ ही भाजपा और सुभासपा के बीच छत्तीस का आंकड़ा रहा है। सरकार में होने के बाद भी ओमप्रकाश राजभर के तेवर हमेशा तीखे रहे। सावर्जनिक मंचों पर वो सरकार की नीतियों की आलोचना करते रहे। उनके निशाने पर कभी केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा रहें तो कभी योगी आदित्यनाथ। दो साल के दौरान कई ऐसे मौके आए जब दोनों पार्टियों के बीच 'तलाक' की नौबत आई, लेकिन हर बार बात संभल जाती थी। कई बार तो राजभर ने खुले तौर पर अल्टीमेटम भी दिया लेकिन भाजपा की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा। आखिरकार चुनाव के पहले राजभर ने बगावत का बिगुल फूंक दिया

इन ३९ सीटों पर लड़ेगी सुभासपा

सुभासपा ने यूपी की 39 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का फैसला कर लिया है। इसके तहत सुभासपा धरौहरा, सीतापुर, मोहनलालगंज, लखनऊ, रायबरेली, अमेठी, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, बांदा, फतेहपुर, फूलपुर, इलाहाबाद, बाराबंकी, फैजाबाद, अम्बेडकरनगर, कैसरगंज, श्रावस्ती, गोंडा, डुमरियागंज,बस्ती,संतकबीरनगर, महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछलीशहर, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर,चंदौली,वाराणसी,भदोही, मिर्जापुर और राबर्ट्सगंज शामिल हंै।

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सीटों पर नहीं बनी बात तो उतारे कैंडिडेट

भाजपा ने बड़ी चालाकी से सुभासपा को ये कहते हुए अपने पाले में रखा कि आपकी मांगों पर विचार किया जाएगा। पार्टी ने एक तरह से ओमप्रकाश राजभर को नजरदांज कर रखा था। ऐसे में राजभर के सामने भाजपा से अलग होकर चुनाव लडऩे के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। राजभर चाहते थे कि उन्हें यूपी में पांच सीटें मिलें लेकिन भाजपा आलाकमान ने उसे सिरे से खारिज कर दिया। इसके बाद राजभर ने दो सीटों पर सौदेबाजी शुरू की। अमित शाह ने उन्हें इंतजार करने के लिए बोला। इस बीच वक्त निकलता गया और भाजपा ने इस प्रस्ताव पर ध्यान नहीं दिया। हालांकि जब राजभर ने दबाव डाला तो भाजपा शर्तों के साथ सिर्फ एक सीट देने पर राजी हुई। शर्त ये थी कि सुभासपा का उम्मीदवार भाजपा के सिंबल पर चुनाव लड़ेगा। दूसरी ओर राजभर का कहना था कि मैं अपने संगठन को खत्म कर भाजपा के सिम्बल पर चुनाव नहीं लड़ूंगा। राजभर कहते हैं कि भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लडऩे की इच्छा आज भी है लेकिन अपना दल को 2 सीटें देने के बावजूद अब तक हमें एक भी सीटें देने को भाजपा राजी नहीं हुई। भाजपा ने सिर्फ हमें विधायक नहीं बनाया, हमने भी उनके सैकड़ों विधायक बनाए हैं। दरअसल ओम प्रकाश राजभर तकरीबन साल भर पहले से ही विरोधी तेवर दिखाने लगे और अपनी पार्टी के लिए 5 सीटें मांगने लगे। भाजपा ने उनकी बात तो नहीं मानी लेकिन चुनाव के घोषणा से एक दिन पहले उनकी पार्टी के तकरीबन 9 लोगों को अलग अलग आयोगों का उपाध्यक्ष और अध्यक्ष बना कर राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया। फिर भी वह लोकसभा की 2 सीट चाह रहे थे जिसे भाजपा ने नहीं दिया। यहां तक कि जिस घोसी सीट पर वह अपनी पार्टी के सिम्बल से लडऩा चाह रहे थे वहां भी उन्हें भाजपा ने अपने सिम्बल से लडऩे का ऑफर कर दिया। जिसके बाद फिर से ओम प्रकाश राजभर भड़क गए।

भाजपा को हो सकता है नुकसान

सुभासपा के अलग चुनाव लडऩे की सूरत में भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है क्योंकि पूर्वांचल की कई ऐसी सीटें हैं जहां राजभर बिरादरी की संख्या 6 से 9 प्रतिशत तक है। ओमप्रकाश की नाराजगी का मतलब है राजभर समाज में गलत संदेश जाना। माना जा रहा है कि सुभासपा के अलग चुनाव लडऩे से भाजपा को आधा दर्जन सीटों पर नुकसान हो सकता है। इसमें वाराणसी, गाजीपुर, चंदौली, घोसी और बलिया सीट शामिल है। इन सीटों पर सुभासपा का मजबूत संगठन है। वैसे भी पश्चिमी यूपी की तुलना में इस इलाके में हिंदू-मुस्लिम वर्ग के बीच ध्रुवीकरण कम है।

पूर्वांचल में है दबदबा

पूर्वांचल में भाजपा के लिये अपना दल के बाद ओम प्रकाश राजभर की पार्टी बड़े मायने रखती है। इन्हीं दो पार्टियों की कश्ती पर सवार होकर भाजपा न सिर्फ 2014 में उत्तर प्रदेश में 73 सीट के रिकार्ड आंकड़े तक पहुंची थी बल्कि 2017 के विधान सभा में प्रदेश की सत्ता तक भी इसी कश्ती की सवारी से कामयाब हुई थी। सुहेलदेव भारतीय समाज ने विधानसभा चुनाव में गाजीपुर की जहूराबाद सीट पर 49,600 वोट हासिल किए थे। पार्टी को बलिया के फेफना में 42,000, रसड़ा में 26,000, सिकंदरपुर में 40,000 और बेल्थरा रोड में 38,000 वोट मिले। बाकी सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों ने 18 से 30 हजार वोट बटोरे थे। इन वोटों ने उसे उसकी ताकत जरूर बता दी थी। राजभर की पार्टी के मतदाताओं की का पूर्वांचल सहित प्रदेश के 15 जिलों में खासी संख्या है। पिछले चुनाव में उनके वोटों की ताकत कई सीटों पर 18 से 45 हजार के आसपास दिखाई पड़ा है।

क्या कहना है भाजपा का

यूपी में हमारा ओमप्रकाश राजभर से गठबंधन है। गठबंधन में ओमप्रकाश राजभर कैबिनेट मंत्री हैं। उनकी पार्टी के दो सदस्य दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री हैं। पांच मेंबर अलग अलग समितियों के सदस्य हैं। हमने आज भी उनके पसंद की सीट रखी हुई है। उनसे अपील है कि वह उन सीटों से लड़ें। जिस सीट (घोसी) से वह लडऩा चाहते हैं तो यदि भाजपा के सिंबल से लड़ते तो 70 हजार वोट प्लस होता। हम चाहते हैं कि सुभासपा हमारे साथ चुनाव लड़े। जल्द ही कोई अच्छा फैसला होगा क्योंकि राजनीति में संभावना कभी भी बन सकती है।

- महेंद्रनाथ पांडेय, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष

 

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