विश्व गुरु भारत निर्माण के शक्ति पुंज 'युवा'

उन्होंने बताया कि ईश्वरीय ज्ञान से हमें अपनी आत्मा के स्वरुप, शक्ति और गुणों का परिचय मिलता है। जिन्हें राजयोग के अभ्यास से उन्नत अवस्था तक पहुंचा कर हम अपना जीवन श्रेष्ठ और सरल बनाना सकते हैं।

Update: 2019-05-10 15:48 GMT

लखनऊ: ब्रह्माकुमारीज की 'मेरा भारत स्वर्णिम भारत अखिल भारतीय बस प्रदर्शनी' यात्रा जानकीपुरम से प्रारम्भ हुई जिसकी अगुवाई गले में सन्देश पट्टिका पहने मोटरसायकल सवार भाइयों ने की। मार्ग में पुष्प वर्षा के साथ यह बस यात्रा विकास नगर, निराला नगर, हजरतगंज होते हुए गोमतीनगर पहुंची।

अहमदाबाद की वरिष्ठ दीदी गीता बहन के संरक्षण में मुंबई आई० आई० टी० के प्रोफेसर गिरीश भाई सहित बस के साथ तेरह सेवाधारी भाई बहन आये हैं जो भारतीय सेना, आईटी सेक्टर, शिक्षा आदि क्षेत्रों से जुड़े हैं। आज हिन्द इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस सफेदाबाद में आयोजित कार्यक्रम में तनाव से मुक्ति, श्रेष्ठ चरित्र निर्माण तथा असफलताओं को कैसे निष्फल करें विषयों पर सारगर्भित विचार रखते हुए भाई बहनों ने बताया कि यदि हमारी आत्मिक स्थिति सुदृढ़ है, सोच सकारात्मक है, संकल्प शुभ हैं तो विषम से विषम परस्थिति को भी सहज पार किया जा सकता है।

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उन्होंने बताया कि ईश्वरीय ज्ञान से हमें अपनी आत्मा के स्वरुप, शक्ति और गुणों का परिचय मिलता है। जिन्हें राजयोग के अभ्यास से उन्नत अवस्था तक पहुंचा कर हम अपना जीवन श्रेष्ठ और सरल बनाना सकते हैं।

इसके बाद टेक्नो मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट, फैज़ाबाद रोड में हुए कार्यक्रम में "आओ चुनौतियों को स्वीकार करें" विषय पर वक्ताओं ने बताया कि जीवन में कोई भी कार्य असंभव नहीं यदि हमारे संकल्प श्रेष्ठ और ढृढ़ हैं। उन्होंने बताया कि हर संकल्प बीज के सामान होता है, अगर बीज अच्छा है, उसे यथा समय खाद- पानी आदि मिलता रहे तो वृक्ष और फल भी अच्छे मिलते हैं। इसी तरह हमारे संकल्प अटल हों, लक्ष्य को पाने की लगन कम न हो तो मंजिल अवश्य मिल जाएगी। इसके लिए भी आत्मबल का मजबूत होना जरूरी है। जिसकी आत्मिक शक्ति जितनी प्रबल होती है उसके लिए चुनौती उतनी ही सहज होती जाती है।

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रामकृष्ण मठ, निराला नगर में 'छिपे हीरे की खोज' विषय पर वक्ताओं ने बताया कि पांच भौतिक तत्वों से निर्मित मानव देह में जो चैतन्य शक्ति, जिसे ऊर्जा कहें व आत्मा कहें ही ‘हीरा है’। विकारों, व्यसनों, नकारात्मकता आदि के कारण ही इस हीरे की चमक कम हो जाती है और हमारा जीवन बोझिल, तनाव ग्रस्त, दुखद हो जाता है. योग के अभ्यास तथा आत्मा के परमात्मा के साथ संयोग से इस हीरे की चमक लौटने लगती है। चमकदार हीरे का स्वामी सदा प्रसन्न, संतुष्ट रहता है।

इसके अतरिक्त जनेश्वर मिश्रा पार्क में बस में प्रदर्शित चित्रों द्वारा बड़ी संख्या में लोगों को श्रेष्ठ जीवन, महान भारत, स्वच्छ व स्वस्थ भारत के निर्माण में वे कैसे सहयोग कर सकते हैं, इसकी जानकारी दी गयी।

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