दो राज्यों में कांग्रेस को दिए गए समर्थन पर बसपा कर सकती है पुनर्विचार, जानिए क्यों?

मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस सरकारों को बाहर से दिए गए समर्थन पर बसपा पुनर्विचार कर सकती है। पार्टी सुप्रीमों मायावती का कहना है एससी-एसटी कानून 1989 व सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन में आरक्षण के बहाली की मांग को लेकर 2 अप्रैल को भारत बन्द का आहवान किया गया था।

Update:2018-12-31 19:19 IST

लखनऊ: मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस सरकारों को बाहर से दिए गए समर्थन पर बसपा पुनर्विचार कर सकती है। पार्टी सुप्रीमों मायावती का कहना है एससी-एसटी कानून 1989 व सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन में आरक्षण के बहाली की मांग को लेकर 2 अप्रैल को भारत बन्द का आहवान किया गया था।

उस दौरान यूपी समेत बीजेपी शासित राज्यों में से एमपी व राजस्थान में निर्दोंष लोगों को फँसाया गया है। कांग्रेसी सरकारों को उन पर चल रहे मामलों को तुरन्त वापस लेकर खत्म करना चाहिये। यह दलित और आदिवासी समाज के जनहित से जुड़ा मुद्दा है। यदि इस पर अविलम्ब कार्रवाई नहीं शुरू हुई तो बसपा को कांग्रेसी सरकारों (मध्यप्रदेश व राजस्थान) को बाहर से समर्थन देने के मामले में पुनर्विचार करना पड़ सकता है।

नव वर्ष के शुभकामना संदेश में मायावती ने जनता को चुनावी संदेश देते हुए यह भी कहा है कि शुभ मनोकामनाओं से कहीं ज़्यादा देश की लगभग 125 करोड़ जनता की भलाई उसके अपने कर्मों पर निर्भर है कि वे इस नये वर्ष को अपने व अपने परिवार के कल के भविष्य के लिये किस प्रकार की बेहतर शुरूआत के रूप में लेते हैं। वैसे नये साल से ठीक पहले पाँच राज्यों में विधानसभा के आमचुनावों में जनता ने बीजेपी के अहंकार को तोड़कर देशहित में बहुत कुछ बेहतर करने का संकेत दे दिया है।

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कानून—व्यवस्था के रखवालों को जान के लाले

उन्होंने कहा कि प्रदेश में जंगलराज के दौरान जनता ही नहीं बल्कि अब तो कानून-व्यवस्था के रखवालों के भी जान के लाले पड़ने लगे हैं। ‘‘बुलन्दशहर व गाजीपुर’’ ज़िले में पुलिसकर्मी की हुई मौत इसका उदाहरण है। जिसके लिये कोई पेशेवर अपराधी व माफिया नहीं बल्कि बीजेपी आदि के सफेदपोश ज्यादा जिम्मेदार हैं।

भाजपा और कांग्रेस दोनों पर बरसी

बसपा सुप्रीमों ने कांग्रेस को चेताते हुए कहा है कि नई सरकारों को बीजेपी की तरह किसानों व बेरोजगारों से वादाखिलाफी का काम कतई नहीं करना चाहिये। सिर्फ घोषणाओं से काम चलने वाला नहीं है। कागजी घोषणाओं के मामले मे बीजेपी व कांग्रेस दोनों ही एक ही थाली के चट्टे-बट्टे रहे हैं और अब यह कांगेस के ऊपर है कि वह इस अवधारणा को अब भी बदल पाती है या नहीं।

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तीन तलाक विधेयक प्रवर समिति को भेजा जाए

मायावती ने कहा कि केन्द्र सरकार को अपना अड़ियल व्यवहार त्यागकर ‘‘तीन तलाक विधेयक-2018’’ को पहले ‘‘संयुक्त संसदीय प्रवर समित’’ के पास विचार-विमर्श के लिए भेजे जाने की समूचे विपक्ष की मांग को स्वीकार कर लेना चाहिए।

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