Jhansi News: उत्तर मध्य रेलवे में अफसरशाही बरकरार, निचले स्तर के कर्मचारियों की नहीं हो रही सुनवाई
Jhansi News: उत्तर मध्य रेलवे में अफसरशाही बरकरार हैं। यही कारण है कि अफसर को छोड़कर निचले स्तर के कर्मचारियों की सुनवाई तक नहीं हो रही हैं। इसको लेकर झांसी रेल मंडल के कर्मचारियों में काफी आक्रोश व्याप्त है।;
Jhansi News: उत्तर मध्य रेलवे में अफसरशाही बरकरार।
Jhansi News: उत्तर मध्य रेलवे (North Central Railway) में अफसरशाही बरकरार हैं। यही कारण है कि अफसर को छोड़कर निचले स्तर के कर्मचारियों की सुनवाई तक नहीं हो रही हैं। यही कारण है कि कोविड में वर्क्स मैनेंजर की हुई मौत के मामले में मृतक के पत्नी ने ट्विटर पर जमकर बवाल किया। इसके बाद एनसीआर के महाप्रबंधक (NCR general manager) के सक्रियता के चलते मात्र दो घंटे के अंदर एक लाख 82 हजार का नॉन रेफर प्रतिपूर्ति दावा का पैंमेंट पास कर दिया।
रेल कर्मचारियों में काफी आक्रोश व्याप्त
इसको लेकर झांसी रेल मंडल (Jhansi Railway Division) के कर्मचारियों में काफी आक्रोश व्याप्त है। कर्मचारियों का कहना है कि अफसरशाही के चलते उक्त पैमेंट तो पास कर दिया मगर अभी 374 फाइलें मंडलीय रेलवे अस्पताल में धूल खा रही हैं। इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा हैं। रेलवे बोर्ड (Railway Board) ने कोविड का प्राइवेट अस्पताल (Covid private hospital) में इलाज करने वाले कर्मचारियों को भुगतान करने के निर्देश दिए थे। इन निर्देशों के तहत झांसी रेल मंडल (Jhansi Railway Division) के रेलकर्मचारियों ने रेलवे अस्पताल के अलावा प्राइवेट अस्पतालों में भी उपचार कराया था। यही नहीं, कोविड से रेलकर्मचारियों, अफसर समेत अन्य लोगों की मौत हो चुकी हैं। इस मामले में मृतक के परिजनों ने रेलवे अस्पताल में नॉन रेफर प्रतिपूर्ति दावा करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है। प्रार्थना पत्र देने के बाद भी इन लोगों को दावा नहीं मिला है। इसको लेकर रेलकर्मचारियों में काफी आक्रोश व्याप्त है।
रेलवे अस्पताल में बिल पास कराने को एक बाबू पर बोझ
झांसी रेल मंडल (Jhansi Railway Division) का सबसे बड़ा रेलवे अस्पताल झांसी (Railway Hospital Jhansi) में हैं। इस अस्पताल में तीन साल से बिल पास करवाने वाला बाबू नहीं हैं। एक ही बाबू यहां पर तैनात है। बताते हैं कि जुलाई वर्ष 2017 में ग्रुप डी से ग्रुप सी अवर लिपिक चिकित्सा विभाग में संतोष कुमार तिवारी पदस्थ हुआ था। साथ ही माह अप्रैल वर्ष 2021 में अवर लिपिक से प्रवर लिपिक के पदोन्नोति के साथ चिकित्सा विभाग (medical department) में पदस्थ हुआ था। बाबू ने रेलवे अफसरों को बताया था कि फाइल डॉक्टर, अकाउंट आदि स्थानों पर लगातार भेजी जा रही थी मगर जवाब दिया जाता था कि समय नहीं है। इस कारण फाइल विलंबित होती जा रही थी।
हर साल आते हैं नॉन रेफर प्रतिपूर्ति दावा के केस
बताते हैं कि नॉन रेफर (non refer case) प्रति-पूर्ति दावा वर्ष 2017 में 77 केस आए थे। नॉन प्रतिपूर्ति दावा वर्ष 2018 में 101 केस, वर्ष 2019 में 148 केस, वर्ष 2020 में एक जनवरी 2020 से 30 मई 20 तक कुल 33 केस आए थे। इसके बाद रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हो पाया। क्योंकि एक जून 2020 में आर एस यादव कार्यालय अधीक्षक को कार्य दिया गया था।
यह हैं स्थिति
नॉन रेफर केस (non refer case) वर्ष 2001 में कुल केसों की संख्या 374 हैं। इसमें वर्तमान में पदस्थ लिपिक ने 168 केसों का निस्तारण कर चुका है। 37 केस लेखा विभाग में वित्तीय सहमति के लिए भेजा गया है। साथ ही दस केसों में कमियां पाई गई थी। इस मामले में पत्र लिखा गया है मगर ध्यान नहीं दिया गया। बताते हैं कि वर्ष 2017, 2018, 2019, 2020 तक नॉन रेफर (non refer case) प्रतिपूर्ति दावा की कुल संख्या 359 है। बताते हैं कि नॉन रेफर प्रतिपूर्ति दावा वर्ष 2021 में कुल केसों की संख्या 374 है जो कि पिछले चार सालों में जितने कुल केस आए थे। इससे भी ज्यादा केस वर्ष 2021 में आए थे।
सिंतबर 2021 में आई थी वर्क्स मैनेंजर की फाइल
रेलवे वर्कशॉप (Railway Workshop) में चंद्र कुमार सिंह वर्क्स मैनेंजर के पद पर कार्यरत था। पिछली साल चंद्र कुमार सिंह की कोरोना (Coronavirus) के चलते मौत हो गई थी। कोविड का पैसा न मिलने पर मृतक की पत्नी रुचि श्रीवास्तव ने सिंतबर 2021 में दावा के लिए फाइल पेश की थी। जब पैसा नहीं मिला तो मृतक की पत्नी ने महाप्रबंधक समेत रेलवे अफसरों को ट्विटर पर मैसेज भेजा। यह मैसेज पढ़ते ही जीएम के आदेश पर मंडल रेल प्रबंधक व अन्य अफसर सक्रिय हो गए। 6 जनवरी 2022 को फाइल को चेक किया गया।
वहीं, मुख्य कारखाना प्रबंधक (chief factory manager) और सीएमएस कक्ष में बैठ गए। शाम चार बजे से लेकर छह बजे तक फाइल को अपडेट किया गया। इसमें दो लाख का दावा किया गया था, मगर रेलवे ने एक लाख 82 हजार का पैमेंट पास कर दिया। इस मामले को लेकर रेल कर्मचारियों में काफी आक्रोश व्याप्क है। रेल कर्मचारियों का कहना है कि जब अफसर की फाइल पास हो जाती है तो निचले स्तर के कर्मचारियों की फाइल पास क्यों नहीं की जा रही हैं।
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