UP Election 2022: इस बार कौन भेदेगा झांसी का किला, जानें यहां की चारों सीटों का क्या है जातीय समीकरण?

UP Election 2022: झांसी जिले में भी तीसरे चरण में मतदान होना है। झांसी में विधानसभा की चार सीटें बबीना (Babina Seat), झांसी नगर (Jhansi Seat), मऊरानीपुर (Mauranipur) और गरौठा (Garautha) हैं।;

Report :  B.K Kushwaha
Published By :  Shreya
Update:2022-02-17 13:52 IST

(डिजाइन फोटो- न्यूजट्रैक) 

UP Election 2022: यूपी विधानसभा के तीसरे चरण (UP Third Phase Voting) में 24 फरवरी को बुंदेलखंड (Bundelkhand) में मतदान होना है। newstrack.com अपने पाठकों को हर विधानसभा सीट के आंकड़ें और वहां का ताजा समीकरण क्या है उससे रूबरू करवा रहा है। इसी क्रम में झांसी जिले में भी तीसरे चरण में मतदान होना है। झांसी में विधानसभा की चार सीटें बबीना (Babina Seat), झांसी नगर (Jhansi Seat), मऊरानीपुर (Mauranipur) और गरौठा (Garautha) हैं। यहां चारों सीटों पर इस बार किसके बीच मुकाबला हो रहा है, चलिए उसके बारे आपको बताते हैं।

झांसी सदर विधानसभा

झांसी की सदर सीट (Jhansi Sadar Seat) आजादी के बाद से ही ज्यादातर कांग्रेस और भाजपा के कब्जे में रही है। इस सीट पर अब तक सपा जीत नहीं दर्ज कर सकी है। इस विधानसभा सीट पर पिछले 11 चुनाव में 10 बार ब्राह्मण प्रत्याशी (Brahmin Voters) ही चुने गए हैं। वहीं एक बार जब किसी भी दल ने चुनाव में ब्राह्मण प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया तो क्षेत्र की जनता ने इस सीट पर एक बार निर्दलीय ब्राहमण प्रत्याशी को चुनाव में जीत दिला दी। झांसी सदर विधानसभा सीट पर ज्यादातर ब्राह्मण प्रत्याशी ही जीतते आए हैं। अब तक के चुनाव में गैर ब्राह्मण प्रत्याशी के रुप में कांग्रेस से प्रदीप जैन आदित्य और बसपा से कैलाश साहू की जीत हुई है।

सदर विधानसभा सीट पर 2017 में भाजपा के प्रत्याशी रवि शर्मा ने जीत दर्ज की है। चुनाव में उन्हें 117873 मत मिले हैं जबकि बसपा के सीताराम कुशवाहा दूसरे स्थान पर रहें, उन्हें 62095 मत मिले। इस चुनाव में भाजपा से रवि शर्मा हैट्रिक लगने के लिए दिन रात प्रचार में जुटे हुए हैं तो वहीं सीताराम को समाजवादी पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया है, बसपा से कैलाश साहू और कांग्रेस से राहुल रिछारिया मैदान में है। झांसी सदर विधानसभा में 3,98,008 कुल मतदाता हैं ये आंकड़ों 2017 का है।  

वोटिंग (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

मऊरानीपुर विधानसभा सीट

मऊरानीपुर विधानसभा (Mauranipur Seat) की बात करें तो मतदाता खुलकर बात करने से कतराते दिखाई दे रहे हैं। हालांकि गांव गली की चौपालों व जमघटों में अपने लोगों के बीच मतदाता प्रत्याशियों के खिलाफ जमकर भड़ास भी निकालते हैं, लेकिन किसी अनजान व्यक्ति के सामने आने पर वह खामोशी ओढ़ लेते हैं। जिससे मतदाता की नब्ज़ टटोलने में परेशानी हो रही है। देश की सबसे बड़ी विधान सभा क्षेत्रों में शुमार मऊरानीपुर विधानसभा में वर्तमान में चतुषकोणीय मुकाबला दिखाई दे रहा है। तीन दिन पहले तक इस चुनाव में भाजपा गठबंधन व समाजवादी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला दिखाई दे रहा था लेकिन अब कांग्रेस ने सघन जनसम्पर्क कर कार्यकर्ताओं के बल पर प्रत्याशी को सक्रिय मुकाबले में ला दिया है।

वहीं बसपा का चुनाव प्रचार अपने अंदाज में खामोशी के साथ चल रहा है। मऊरानीपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा गठबंधन ने यह सीट अपना दल के लिये छोड़ दी है। भाजपा के स्थापना के बाद यह पहला मौका है जब मऊरानीपुर विधानसभा में चुनाव बिना भाजपा के चुनाव चिन्ह के लड़ा जा रहा है। इस चुनाव में सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं फिर अपना दल से टिकट पाने में सफल रहीं पूर्व विधायक डॉ0 रश्मि आर्य ने सभी राजनीतिक समीकरणों में भारी उलटफेर कर अपनी तंगड़ी दाबेदारी पेश की है।

इस चुनाव में भाजपा के नेता व कार्यकर्ता कमल के फूल के जगह अपना दल के चुनाव चिन्ह कप प्लेट के लिये वोट मांगते नजर आ रहे हैं। भाजपा से टिकट पाने से वंचित रहे पार्टी के कई नेताओं ने गठबंधन धर्म निभा रहे हैं। वहीं समाजवादी पार्टी ने बसपा से सपा में शामिल हुये पूर्व एमएलसी तिलकचन्द्र अहिरवार को पहले पार्टी का प्रदेश महासचिव बनाया फिर मऊरानीपुर विधानसभा से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। अब वह इस चुनाव को पूरी दमखम से लड़ रहे हैं।

तिलकचन्द्र अहिरवार के पक्ष में समाजवादी पार्टी के परम्परागत जातीय मतदाताओं के अलावा उनकी बिरादरी के वोट का बड़ा हिस्सा मिलने की सम्भावना ‌जताई जा रही है। तिलकचन्द्र अहिरवार अहिरवार जाति से हैं जो बसपा का परम्परा गत वोट बैंक माना जाता है। मऊरानीपुर विधानसभा में अहिरवार मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। वहीं कांग्रेस ने अपनी पार्टी के जिलाध्यक्ष भगवानदास कोरी को अपना प्रत्याशी बनाया है। हालांकि उनके प्रत्याशी बनाये जाने से अंसतुष्ट होकर दो कांग्रेसी नेता चुनाव मैदान में उतर आये हैं, जो उनकी मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।

मऊरानीपुर विधानसभा का रिकॉर्ड

मऊरानीपुर को यूपी की सबसे बड़ी तहसील होने का दर्जा प्राप्त है। इस विधानसभा क्षेत्र में 2011 की जनगणना के अनुसार 53 फीसदी पुरुषों की आबादी है, जबकि महिलाओं की आबादी 45 फीसदी है। 2002 से यह सीट सुरक्षित है। इस सीट पर भाजपा ने तीन बार जीत दर्ज की तो कांग्रेस ने छह बार, जबकि सपा और बसपा एक-एक बार जीत दर्ज कर पाए हैं। 

(कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

बबीना विधानसभा

बबीना विधानसभा क्षेत्र (Babina Assembly Seat) में भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस के प्रत्याशी मैदान में हैं, यहां जातिवाद और धार्मिकता हावी हो जाती है। इस बार बबीना विधानसभा चुनाव में एक बार फिर जातिवाद का मुद्दा हावी है। 330820 मतदाताओं वाली बबीना विधानसभा में सबसे अधिक मतदाता अहिरवार जाति के हैं, उसके बाद राजपूत, यादव कुशवाहा, लगभग समान हालत में है। बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट पर जहां दशरथ सिंह राजपूत को अपना प्रत्याशी बनाया है। समाजवादी पार्टी ने पिछली बार की तरह इस बार भी डॉक्टर चंद्रपाल सिंह के बेटे यशपाल सिंह को मैदान में उतारा है। इनके पास यादव और मुसलमान का वोट बैंक माना जा रहा है।

भाजपा ने इस सीट पर निवर्तमान विधायक राजीव सिंह पारीछा पर एक बार फिर भरोसा दिखाया है। इनके पास सवर्ण वोट के साथ ही कुशवाहा वर्ग के वोटों की संख्या अच्छी खासी है। कांग्रेस ने भी चंद्रशेखर तिवारी को मैदान में उतारकर भाजपा के ब्राह्मण वोट में सेंध लगाने की कोशिश की है। माना जा रहा है की बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी दशरथ सिंह राजपूत जितने अधिक वोट लेंगे उतना नुकसान भाजपा प्रत्याशी को होगा।

गरौठा विधानसभा सीट

गरौठा विधानसभा सीट (Garautha Assembly Seat) भाजपा के लिए काफी चुनौतीपूर्ण साबित हुई है। इस सीट पर 2017 से पहले 1985 में कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 32 सालों तक भाजपा इस सीट पर अपना खाता नहीं खोल पाई। यहां सपा की मजबूत पकड़ मानी जाती है, क्योंकि 2007 और 2012 में यहां से उन्हें जीत मिली थी। यहां से सपा के दीप नारायण सिंह यादव दो बार विधायक चुने गए। 2017 में सपा का यह गढ़ ढह गया और यहां से भाजपा के जवाहर लाल राजपूत ने जीत दर्ज की।

2007 में इस विधानसभा सीट से सपा के ही दीप नारायण ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने इस बार चुनाव में कांग्रेस के रणजीत सिंह जुदेव को शिकस्त दी थी। 2002 में बसपा के बृजेन्द्र कुमार व्यास ने जीत दर्ज की। वहीं, 1996 में सपा के चंद्रपाल सिंह यादव विधायक चुने गए। 1985 में कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने भाजपा प्रत्याशी के रुप में जीत दर्ज की थी। उसके बाद से बीजेपी को 32 साल लगे दोबारा इस सीट को जीतने में। इस चुनाव में सपा से दीपनारायण यादव, भाजपा से जवाहर सिंह राजपूत, बसपा से वीर सिंह गुर्जर और कांग्रेस से नेहा चुनाव लड़ रही है। 

दोस्तों देश और दुनिया की खबरों को तेजी से जानने लिए बने रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलो करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Tags:    

Similar News