कैंसर पीड़ित की जान आफत में, लाॅकडाउन में भूख से लड़ रहा गरीब परिवार

पूरे देश में कोरोना वायरस को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। वायरस संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में सरकार द्वारा इस वायरस पर काबू पाने के लिए सम्पूर्ण देश में 03 मई तक लाकडाउन घोषित किया गया है।

Update: 2020-04-24 06:29 GMT

गोंडा: पूरे देश में कोरोना वायरस को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। वायरस संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में सरकार द्वारा इस वायरस पर काबू पाने के लिए सम्पूर्ण देश में 03 मई तक लाकडाउन घोषित किया गया है। जिसके चलते पूरे देश में सिर्फ कुछ आवश्यक वस्तुओं की दुकानों को छोड़ कर सारी सेवायें सुविधाएं व्यापार सब बंद है। जिसके चलते गरीब लोगों को खासी दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा है। मजदूरों और गरीबों का तो जीवन ही दुश्वार हो गया है। इसी बीच गोंडा से एक दिल झकझोर देने वाली खबर सामने आ रही है। यहां धन के अभाव में इलाज बाधित होने से एक कैंसर पीड़ित मजदूर की स्थित अब दयनीय हो गई है। परिवार के सामने रोटी का भी संकट खड़ा हो गया है।

मजदूरी के सहारे चल रही थी जिंदगी

गोंडा नगर के राधाकुण्ड मोहल्ले में कोतवाली देहात थाने के सामने रहने वाले 53 वर्षीय रामचन्द्र कश्यप पुत्र राम सरन की स्थिति अत्यंत दयनीय है। कुछ माह पहले से मुंह के कैंसर से पीड़ित राम चन्द्र इलाज और पैसे के अभाव में घुट-घुट कर मरने को मजबूर हैं। अत्यंत गरीब परिवार के राम चन्द्र फ्रिज, वाशिंग मशीन आदि उपकरण की मरम्मत कर खर्च चलाते थे। उनके तीन बच्चे शुभम स्नातक, शिवम और सत्यम 12वीं में पढ़ रहे थे। बीमारी से पिता बिस्तर पर पड़े तो पुत्रों में सबसे बड़ा स्नातक तृतीय वर्ष का छात्र शुभम बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर उनके लिए दवा और परिवार के लिए रोटी का इंतजाम करने लगा। लेकिन लाॅकडाउन की स्थिति में लोगों ने ट्यूशन पढ़़वाना भी बंद कर दिया तो आमदनी भी बंद हो गई। अन्य काम भी बंद होने से उसे अब कहीं मेहनत मजदूरी भी नहीं मिल पा रही है। ऐसे में शुभम भी लाचार हो गया तो महंगी दवाओं का खर्च तथा परिवार के भरण पोषण की विकट समस्या खड़ी हो गई है।

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खाने के लाले हैं, कैसे कराएं कैंसर का इलाज

राम चन्द्र की पत्नी संगीता ने बताया कि लाॅकडाउन के चलते उनका परिवार काफी मुश्किल में है। बड़ा बेटे शुभम की भी आमदनी बंद होने से घर में अब चूल्हा जलाने के लिए अनाज नहीं बचा है। जिसके चलते अब हम लग भूखे ही सोने को मजबूर हैं। इलाज के अभाव में पति भी घुट-घुट कर मरने को मजबूर हैं। संगीता के मुताबिक उनके पास कोई सरकारी आदमी मदद के लिए नहीं आया। जो पैसा था हम लोगों के पास वो भी खत्म हो गया है और हम लोगों के खाने के लाले पड़ गए हैं। ऐसे में उनके पति के कैंसर की बीमारी का इलाज नहीं हो पा रहा है। पुत्र शुभम ने बताया कि मित्रों से कुछ पैसे का इंतजाम करके पिता को लखनऊ के अपोलो अस्पताल ले गया था, लेकिन वहां इलाज का खर्च वहन करने की स्थिति न होने के कारण वापस आना पड़ा।

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प्रशासन से की मार्मिक अपील

कैंसर पीड़ित राम चन्द्र के परिवार के सदस्यों के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना मुश्किल हो गया है। अब इस परिवार ने सरकार से सहायता की गुहार लगाई है। ऐसे में महंगी दवाओं का खर्च तथा परिवार के भरण पोषण की विकट समस्या से निदान दिलाने हेतु जिला प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं से अपील की है।

रिपोर्ट: तेज प्रताप सिंह

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