UP में राज्य कर्मचारियों को मिलेगी कैशलेस इलाज की सुविधा, आदेश जारी

Update:2016-08-30 13:27 IST

लखनऊ: राज्य कर्मचारियों की पुरानी मांग को पूरी करते हुए यूपी सरकार ने कैशलेस इलाज का आदेश जारी कर दिया। इस आदेश पर अमल से राज्य कर्मचारी निर्धारित अस्पतालों में बिना पैसे खर्च किए इलाज करवा सकेंगे।

गौरतलब है कि पिछले दिनों मुख्य सचिव दीपक सिंघल के साथ बनी सहमति के बाद जारी हुए आदेश को कर्मचारी नेताओं ने जहां स्वागत योग्य कदम बताया, वहीं संगठनों के बीच इसके श्रेय को लेकर खींचतान जारी है।

सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारियों को भी मिलेगा लाभ

इस संबंध में प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण अरुण कुमार सिन्हा ने बताया कि राज्य कर्मचारियों और सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारियों (पेंशनरों) को कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रमुख सचिव वित्त की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था। समिति ने कर्मचारियों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराए जाने पर सकारात्मक विचार किया था। इसी के बाद सरकार ने राज्य कर्मचारियों और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का फैसला लिया है। प्रमुख सचिव ने बताया कि इस संबंध में सोमवार को आदेश जारी कर दिया गया है।

राज्य कर्मचारी सगठनों ने किया स्वागत

कैशलेस इलाज सहित अन्य मांगों को लेकर पिछले दिनों हड़ताल और सचिवालय का घेराव किया गया था। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने इसे 'संघर्ष की विजय' कहा। उन्होंने राज्य सरकार को इसके लिए धन्यवाद भी दिया। वहीं कर्मचारियों के अन्य गुटों ने कहा कि यह आदेश किसी एक गुट के प्रयासों का नतीजा नहीं है। यह सभी के प्रयासों का नतीजा है।

सभी 36 निगमों के कर्मचारियों को मिले सुविधा

शिक्षक कर्मचारी संयुक्त मोर्चे के प्रवक्ता सुशील कुमार बच्चा ने कहा कि साल 2011 से उनका मोर्चा इसे लेकर प्रयासरत था। जिसका नतीजा अब सामने आया है। मोर्चा ने जल्द स्मार्ट कार्ड जारी करने और सभी 36 निगमों के कर्मचारियों को भी यह सुविधा देने की मांग की है।

सरकार ने 15 दिन में पूरा किया वादा

बीते दिनों हुई हड़ताल के बाद मुख्य सचिव दीपक सिंघल ने 15 दिन में कैशलेस इलाज का आदेश जारी करने का आश्वासन दिया था। 10 अगस्त को इसी शर्त पर कर्मचारियों ने हड़ताल समाप्त की थी। 25 अगस्त को 15 दिन पूरे होने के बाद से अटकलों का दौर शुरू हो गया था। दूसरी तरफ, आश्वासन पर हड़ताल स्थगित करने वाले कर्मचारी नेता भी वादाखिलाफी होने पर नए आंदोलन की तैयारी करने लगे थे। हालांकि आंदोलित कर्मचारियों ने अगला आंदोलन शुरू करने से पहले कुछ दिन और इंतजार करने का मन बनाया था। यह इंतजार काम आया।

हाईकोर्ट का भी था दबाव भी

कैशलेस इलाज का आदेश जारी कराने के लिए एक ओर कर्मचारियों का आंदोलन था तो दूसरी तरफ हाईकोर्ट का दबाव भी। नवंबर 2013 में इसी मांग को लेकर कर्मचारियों और रकार के बीच चल रहे टकराव के बाद हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने जिन चार मांगों को पूरा करने का करार किया था, उसमें कैशलेस इलाज की मांग भी शामिल थी। सरकार की ओर से तब इसे लेकर कोर्ट में शपथ पत्र भी दिया था।

ये मिलेगा लाभ

इसके तहत एटीएम कार्ड जैसे स्मार्ट कार्ड के जरिए प्रदेश के लाखों सेवारत और सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारी और अधिकारी चिन्हित निजी अस्पतालों में कैशलेस चिकित्सा करा सकेंगे। इस दायरे में आने वाले बड़े निजी अस्पतालों में मुंबई का टाटा मेमोरियल अस्पताल भी शामिल होगा। यह सुविधा मिलने से कर्मचारियों को अब इलाज से पहले काफी मात्रा में धन इकट्ठा करने और बाद में भुगतान कराने में आने वाली परेशानियों से राहत मिल सकेगी।

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