देवबंदी उलेमा ने कहा- राष्ट्रगान में हो परिवर्तन, निकाला जाए 'सिंध' शब्द
मदरसों में राष्ट्रगान गाए जाने को लेकर हाईकोर्ट द्वारा जारी किए गए फरमान पर देवबंदी उलेमा का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश से पहले ही मदरसों में समय-समय पर राष्ट्रगान पूरे सम्मान के साथ गाया जाता है। उलेमा ने राष्ट्रगान में परिवर्तन कराए जाने की मांग भी की।
सहारनपुर: मदरसों में राष्ट्रगान गाए जाने को लेकर हाईकोर्ट द्वारा जारी किए गए फरमान पर देवबंदी उलेमा का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश से पहले ही मदरसों में समय-समय पर राष्ट्रगान पूरे सम्मान के साथ गाया जाता है। उलेमा ने राष्ट्रगान में परिवर्तन कराए जाने की मांग भी की।
सोशल मीडिया में राष्ट्रगान को लेकर हाईकोर्ट के निर्णय की खासी चर्चा बनी हुई है। इस बाबत देवबंदी उलेमा ने साफ कहा कि वें कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। लेकिन मदरसों में न्यायालय के आदेश से पहले ही वक्त-वक्त पर सम्मान के साथ राष्ट्रगान गाया जाता है।
मदरसा दारुल उलूम निस्वाह के मोहतमिम मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी ने कहा कि राष्ट्रगान देश की आनबान का गीत है। राष्ट्र की अस्मिता के लिए इसमें से सिंध शब्द को निकालकर देश के दूसरें प्रदेशों के नाम शामिल किए जाने चाहिए। क्योंकि सिंध पाकिस्तान का हिस्सा है। इसलिए राष्ट्रगान में भारत के अभिन्न अंग कश्मीर समेत दूसरें राज्यों को शामिल किया जाना चाहिए। मदरसा दारुल उलूम अशरफिया के मोहतमिम मौलाना सालिम अशरफ कासमी ने कहा कि मदरसों ने कभी राष्ट्रगान का विरोध नहीं किया। मुस्लिमों को राष्ट्रगान का गायन करने में कोई ऐतराज नहीं है। मदरसों में पहले से ही सभी आवश्यक मौकों पर राष्ट्रगान का गायन पूरे सम्मान के साथ होता आया है। जो आगे भी जारी रहेगा।