न्यूमोकॉल हराएगा इस बीमारी कोः नौनिहालों को लगाया जाएगा टीका

कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ.रामअवतार ने बताया कि जन्म से एक साल की उम्र तक के बच्चों को वैक्सीन तीन टीकों के रूप में दी जाएगी। दो प्राइमरी टीके क्रमश: छह और 14 सप्ताह की उम्र पर और बूस्टर टीका नौ महीने की उम्र पर दिया जाएगा।

Update:2020-08-05 17:33 IST
hamirpur district

हमीरपुर। निमोनिया से होने वाली शिशुओं की मौत पर विराम लगाने को लेकर 12 अगस्त से हमीरपुर सहित प्रदेश के 56 जिलों में न्यूमोकॉकल कंजुगेट वैक्सीन (पीसीवी) नियमित टीकाकरण में शामिल हो जाएगी। इस वैक्सीन को लेकर बुधवार को जिला महिला अस्पताल के सभागार में शहरी क्षेत्र की एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें उन्हें वैक्सीन कैसे और कब-कब लगाई जाएगी, के बारे में जानकारी दी गई।

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जिला प्रतिरक्षण अधिकारी का बयान

कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ.रामअवतार ने बताया कि जन्म से एक साल की उम्र तक के बच्चों को वैक्सीन तीन टीकों के रूप में दी जाएगी। दो प्राइमरी टीके क्रमश: छह और 14 सप्ताह की उम्र पर और बूस्टर टीका नौ महीने की उम्र पर दिया जाएगा। इस टीके के बाद निमोनिया से होने वाली शिशु मृत्यु दर में निश्चित तौर पर कमी आएगी। टीका बच्चों की दाहिनी जांघ के बीचों-बीच लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह वैक्सीन नई नहीं है। अभी प्रदेश के 19 जिलों में नियमित टीकाकरण के तहत दी जा रही थी। 10 अगस्त से इसे स्टेट से लांच किया जाएगा और 12 अगस्त से हमीरपुर सहित कुल 56 जनपदों में इस वैक्सीन को एक साथ लांच किया जा रहा है।

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टीका इन बिमारियों से भी बचाएगा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के ब्लाक मॉनीटर आनंद ने बताया कि टीका शिशुओं को न सिर्फ निमोनिया बल्कि सेप्सिस (खून का इंफेक्शन), बैक्टीरीयल मेनिनजाइटिस (दिमागी बुखार) से भी बचाएगा। कार्यशाला में जिला महिला अस्पताल से सीएमएस डॉ.पीके सिंह, जिला मलेरिया अधिकारी आरके यादव, अर्बन कोआर्डिनेटर पीयूष वर्मा भी मौजूद रहे।

नाक और गले में पाया जाता है बैक्टीरिया

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने बताया कि न्यूमोकोकस जिसे स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिए भी कहते हैं, एक बैक्टीरिया है। यह स्वस्थ लोगों के नाक और गले में बिना कोई बीमारी किए हुए भी पाया जाता है। यह शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है और कई बीमारियों न्यूमोनिया, बैक्टीरीमिया, सेप्सिस (खून का इंफेक्शन), बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस (दिमागी बुखार), ओटाइटिस मीडिया (कान का इंफेक्शन), साइन्यूसाइटिस, ब्रोन्काइटिस आदि को पैदा कर सकता है।

रिपोर्टर- रविंद्र सिंह, हमीरपुर

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