यूं ही नहीं योगी की नजरों में आया चितौरा झील का तट, पर्यटन का केंद्र बनेगा बहराइच

बहराइच को एक प्रकार से सिद्ध स्थल भी कहा जाता है। यहां कई पीड़ित और क्षुब्ध लोग आए और यहां चर्चित हो गए। अभी भी बहराइच में परेशान लोग आते हैं और मुस्कुराते हुए जाते हैं।

Update: 2021-02-13 11:26 GMT
यूं ही नहीं योगी की नजरों में आया चितौरा झील का तट, पर्यटन का केंद्र बनेगा बहराइच

बहराइच चितौरा झील का एक पौराणिक महत्व यह भी है कि इस झील के तट पर त्रेता युग के मिथिला नरेश महाराजा जनक के गुरु अष्टावक्र यहां तपस्या करते थे यह सर्वविदित है कि मुनि अष्टावक्र का शरीर 8 स्थानों से मुड़ा हुआ था। इसीलिए उनका नाम अष्टावक्र और जिस नदी के तट पर उनका आश्रम था।

परेशान लोग आते हैं और मुस्कुराते हुए जाते हैं

उस नदी को टेढ़ी नदी कहा जाता था और यही तू ही नहीं थी बाद में चितौरा झील के नाम से जानी जाने लगी। बहराइच को एक प्रकार से सिद्ध स्थल भी कहा जाता है। यहां कई पीड़ित और क्षुब्ध लोग आए और यहां चर्चित हो गए। अभी भी बहराइच में परेशान लोग आते हैं और मुस्कुराते हुए जाते हैं।

 

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पूर्व में भी हो चुका है चित्तौरा झील को सुंदर बनाने का प्रयास

 

बहराइच। चितौरा झील के तट को सुंदर बनाने का प्रयास अब से लगभग दो दशक पूर्व भी किया जा चुका था उस समय उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार थी और दिनेश शर्मा जो मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री हैं उस समय पर्यटन निगम के उपाध्यक्ष थे।

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चित्तौरा झील के तट का सुंदरीकरण

उनके प्रयास से चित्तौरा झील के तट का सुंदरीकरण किया गया था और कुछ मोटर बोट भी मंगाई गई थी। कालांतर में सत्ता बदल गई और तत्कालीन सरकार का किया गया प्रयास फाइलों में दबकर रह गया मोटर बोट खराब हो गई और वापस भी हो गई। अब एक बार फिर इस स्थल को सुंदर करने का प्रयास किया जा रहा है। इसको लेकर जनपद वासी काफी उत्साहित हैं।

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